

भारत में सात नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
हर साल लगभग 11 लाख नए कैंसर रोगी सामने आते हैं।
तंबाकू सेवन कैंसर का प्रमुख कारण है, इसके धुएं में 70 से अधिक कैंसरकारी रसायन पाए जाते हैं।
30 से 50 फीसदी कैंसर को केवल जागरूकता और स्वस्थ जीवनशैली से रोका जा सकता है।
नियमित जांच और समय पर पहचान से इलाज की सफलता बढ़ जाती है।
भारत में हर साल सात नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को कैंसर के खतरे, इसके लक्षण, रोकथाम एवं समय पर जांच के महत्व के बारे में जागरूक करना है। कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जो यदि देर से पहचानी जाए तो इसका इलाज कठिन और महंगा हो सकता है। इसलिए यह दिन जनसाधारण में जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ आदतें अपनाने की प्रेरणा देता है।
भारत दुनिया का पहला देश है जिसने आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय स्तर पर कैंसर जागरूकता दिवस को मान्यता दी है। इसे साल 2014 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने शुरू किया था। सात नवंबर की तारीख को इसलिए चुना गया, क्योंकि यह महान वैज्ञानिक मैरी क्यूरी का जन्मदिन है, जिनकी रेडियोधर्मिता पर की गई खोज ने कैंसर के उपचार में नई राहें खोलीं। उनके योगदान के कारण ही रेडियोथेरेपी जैसे आधुनिक उपचार पद्धति विकसित हो सकी।
भारत की विशाल जनसंख्या और बदलती जीवनशैली कैंसर के मामलों में लगातार बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण मानी जा रही है। देश में हर साल करीब 11 लाख नए कैंसर के मरीज सामने आते हैं। चिंताजनक बात यह है कि दो-तिहाई रोगियों में बीमारी का पता तब चलता है जब यह काफी गंभीर अवस्था में पहुंच चुकी होती है, जिससे इलाज कठिन हो जाता है और जीवन दर कम होती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर आठ मिनट में एक महिला की मृत्यु गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर से होती है। वहीं पुरुषों में फेफड़ों और मुंह के कैंसर तथा महिलाओं में स्तन एवं मुंह के कैंसर के मामले सबसे अधिक हैं।
कैंसर से बचाव: रोकथाम है सबसे बड़ा हथियार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 30 से 50 प्रतिशत कैंसर के मामले केवल जीवनशैली में सुधार और जागरूकता से रोके जा सकते हैं।
1. तंबाकू और धूम्रपान से दूरी
तंबाकू सेवन कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, तंबाकू के धुएं में 70 से अधिक कैंसरकारी रसायन पाए जाते हैं। यह केवल फेफड़ों ही नहीं, बल्कि मुंह, स्वरयंत्र, अग्नाशय, मूत्राशय और गर्भाशय के कैंसर का भी बड़ा कारण है। गुटखा, पान मसाला और खैनी जैसी चबाने वाली तंबाकू भी उतनी ही खतरनाक है।पहला दिन तंबाकू छोड़ने का कठिन जरूर होता है, लेकिन उसी दिन से शरीर खुद को ठीक करना शुरू कर देता है।
2. संतुलित और पोषक आहार
ताजी सब्जियां, रंग-बिरंगे फल, साबुत अनाज और दालें शरीर को एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करती हैं, जो कोशिकाओं को क्षति से बचाती हैं। पैकेट फूड, जंक फूड और अत्यधिक शक्कर से दूरी बनानी चाहिए। लाल मांस और प्रोसेस्ड मीट (जैसे सलामी, सॉसेज) कम से कम खाने चाहिए। एक पौष्टिक आहार शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ कैंसर से लड़ने की ताकत भी बढ़ाता है।
3. शराब सेवन कम करें
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार, हल्का या मध्यम शराब सेवन भी स्तन, जिगर और कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। शराब शरीर में एसीटैल्डिहाइड नामक हानिकारक रसायन बनाती है, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर कैंसर का खतरा बढ़ाता है। शराब की जगह नींबू पानी, हर्बल चाय या नारियल पानी जैसी स्वस्थ पेय आदतें अपनानी चाहिए।
4. नियमित स्वास्थ्य जांच
कैंसर जितना जल्दी पहचाना जाता है, इलाज की सफलता की संभावना उतनी ही अधिक रहती है। 40 साल से ऊपर के लोगों को सालाना जांच करवानी चाहिए। महिलाओं को स्वयं स्तन परीक्षण की आदत डालनी चाहिए।
कैंसर कोई एक व्यक्ति की लड़ाई नहीं, यह समाज, परिवार और स्वास्थ्य तंत्र की संयुक्त जिम्मेदारी है। जागरूकता, समय पर पहचान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हम कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस हमें यह संदेश देता है कि रोकथाम ही सबसे प्रभावी इलाज है।