वैज्ञानिकों ने खोजा जंबो फेज से एंटीबायोटिक बनाने का नया तरीका

जंबो फेज नामक एक अनोखे प्रकार के वायरस में इस प्रक्रिया को देखकर, वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि वे नए एंटीबायोटिक बनाने में सफल होंगे जो प्रतिरोध के बढ़ते संकट से निपटने में मदद कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में पहले ही फेज के इस विशिष्ट परिवार में आवश्यक आनुवंशिक परिवर्तन करने के लिए एक सीआरआईएसपीआर आधारित विधि विकसित कर ली है।
शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में पहले ही फेज के इस विशिष्ट परिवार में आवश्यक आनुवंशिक परिवर्तन करने के लिए एक सीआरआईएसपीआर आधारित विधि विकसित कर ली है।फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, डॉ. विक्टर पैडीला-सांचेज
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शोध के मुताबिक, फेज ऐसे वायरस होते हैं जो बैक्टीरिया पर हमला करके उनके डीएनए में बदलाव करते हैं, फिर प्रजनन के लिए बैक्टीरिया की मशीनरी को पर कब्जा कर लेते हैं। आखिरकार वे खुद की इतनी प्रतियां बनाते हैं कि बैक्टीरिया फट जाते हैं।

जंबो फेज नामक एक अनोखे प्रकार के वायरस में इस प्रक्रिया को देखकर, वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि वे नए एंटीबायोटिक बनाने में सफल होंगे जो प्रतिरोध के बढ़ते संकट से निपटने में मदद कर सकते हैं।

जंबो फेज में औसत फेज के डीएनए से चार गुना अधिक डीएनए होता है। यह इस आनुवंशिक सामग्री का उपयोग बैक्टीरिया के अंदर एक प्रतिबंधित स्थान बनाने के लिए करता है जहां यह प्रोटीन से बने सुरक्षात्मक कवच से घिरा हुआ अपने डीएनए की कॉपी या प्रतिलिपि बना सकता है।

नेचर पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में यूसी सैन फ्रांसिस्को के शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि यह ढाल "गुप्त हैंडशेक" के एक सेट के माध्यम से काम करती है। वे केवल उपयोगी प्रोटीन के एक विशिष्ट सेट को ही गुजरने देते हैं।

हैंडशेक में एक बड़ा, केंद्रीय प्रोटीन शामिल होता है। इसका आकार ऐसा होता है कि यह अपने अलग-अलग हिस्सों का उपयोग करके अलग-अलग प्रोटीन की पहचान करता है और उन्हें रास्ता दिखता है।

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शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में पहले ही फेज के इस विशिष्ट परिवार में आवश्यक आनुवंशिक परिवर्तन करने के लिए एक सीआरआईएसपीआर आधारित विधि विकसित कर ली है।

गुप्त तरीके से हाथ मिलाना या हैंडशेक

जंबो फेज वायरस के एक समूह से संबंधित हैं जिन्हें बैक्टीरियोफेज या संक्षेप में फेज कहा जाता है, जिनकी खोज एक सदी से भी पहले हुई थी। शुरुआत में, फेज को जीवाणु संक्रमण के इलाज के तरीके के रूप में देखा जाता था, क्योंकि वे लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और कुछ खास बैक्टीरिया को मार सकते हैं जबकि अन्य को अकेला छोड़ सकते हैं।

एंटीबायोटिक दवाओं के विकसित होने के बाद रुचि खत्म हो गई, लेकिन एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया से लड़ने के नए तरीके खोजने की तत्काल जरूरत ने इसे एक बार फिर से जगा दिया है।

वैज्ञानिकों ने पहली बार 1980 के दशक की शुरुआत में जंबो फेज पर काम करना शुरू किया था, लेकिन 2017 तक यूसीएसएफ और यूसी सैन डिएगो के शोधकर्ताओं ने मिलकर उस लचीले प्रोटीन की पहचान की जो ढाल बनाता है।

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शोध में कहा गया है कि साल 2020 में, बॉन्डी-डेनोमी ने एक अध्ययन की अगुवाई की जिसमें दिखाया गया कि प्रोटीन शील्ड बैक्टीरिया के बचाव के हमलों से फेज के डीएनए की रक्षा करता है।

शोधकर्ता को संदेह था कि यह शील्ड जंबो फेज को संक्रमण के खिलाफ इन वायरसों का उपयोग करने के मामले में नियमित फेज की तुलना में अलग-अलग फायदा दे सकती है। शोध के मुताबिक, शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि शील्ड उपयोगी प्रोटीन को कैसे पहचानती है और उन्हें संरक्षित क्षेत्र में कैसे प्रवेश कराती है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि रहस्य यह था कि फेज द्वारा बनाए गए प्रोटीन का एक समूह अप्रत्याशित तरीके से आपस में क्रिया करता है।

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केंद्र में एक फेज प्रोटीन कोकोंटिस था जिसे इंपोर्टर1 या इम्प1 कहा जाता था। प्रोटीन को संरक्षित स्थान में आयात करने के लिए, उन्हें इम्प1 के साथ क्रिया करनी थी। शोधकर्ताओं ने आयातक प्रोटीन का एक अतिरिक्त सेट भी पाया जो ढाल के माध्यम से बाहरी प्रोटीन लाने में इम्प1 की सहायता करता है।

प्रोटीन को संरक्षित क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति मिलने से पहले ढाल के बाहर इम्प1 और प्रोटीन के बीच क्रिया ठीक होनी चाहिए।

यह दो दोस्तों के बीच गुप्त हाथ मिलाने जैसा है। जिनके हाथ मिलाने का तरीका सही है, उन्हें अनुमति मिल जाती है और बाकी को बाहर निकाल दिया जाता है। यह देखने के लिए कि वे हाथ मिलाना वास्तव में कैसा दिखता है, कोकोंटिस ने आणविक स्तर पर इम्प1 "हाथ" की सतह का मानचित्रण किया।

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मानचित्र से पता चला कि संरक्षित क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति वाले प्रत्येक फेज प्रोटीन का इम्प1 हाथ के साथ बातचीत करने का अपना अनूठा तरीका होता है - एक प्रोटीन अंगूठे को छूता है, दूसरा उंगली को, तीसरा किसी दूसरी उंगली को।

इस तरह यह विविधता आयातक प्रोटीन के समूह को हाथ मिलाने की एक श्रेणी को पहचानने में मदद करती है।

एंटीबायोटिक बनाने का एक नया तरीका

शोधकर्ताओं ने स्यूडोमोनास बैक्टीरिया का उपयोग करके यह काम किया, जिसे उन्होंने इसलिए चुना क्योंकि यह अधिकांश एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति अपनी प्रतिरोधक क्षमता के लिए कुख्यात है।

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उन्होंने जो सीखा, उससे वैज्ञानिकों को उस पुराने नजरिए को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी जो एंटीबायोटिक दवाओं के मानक बन जाने के बाद पीछे छूट गया था। इसे फेज थेरेपी कहा जाता है, इसमें एक संक्रमण से दूसरे संक्रमण से लड़ना शामिल है। सबसे पहले एक इंसान बैक्टीरिया से संक्रमित होता है। फिर इंसान बैक्टीरिया को मारने के लिए फेज का उपयोग करता है।

लेकिन बैक्टीरिया जल्दी ही नए बचाव विकसित कर लेते हैं। एक बार जब वे फेज की सुरक्षा कवच को पार करने का तरीका बना लेते हैं, तो वे फेज को मार देते हैं।

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यह समझना कि ढाल के गुप्त हैंडशेक कैसे काम करते हैं, वैज्ञानिकों को ऐसे फेज बनाने में मदद करेगा जो इन विकासवादी बदलावों का सामना कर सकें।

शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में पहले ही फेज के इस विशिष्ट परिवार में आवश्यक आनुवंशिक परिवर्तन करने के लिए एक सीआरआईएसपीआर आधारित विधि विकसित कर ली है।

वैज्ञानिक उस जानकारी का उपयोग जंबो फेज को बदलने के लिए भी कर सकते हैं जो दवाएं बनाते हैं या जीवाणु संक्रमण के कारण होने वाले कैंसर से लड़ते हैं। इन फेज के काम करने के मूल विज्ञान पर पकड़ बनाकर, शोधकर्ता उन्हें बीमारी से लड़ने के लिए अनुकूलित करने के लिए आधार तैयार कर रहे हैं।

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