वर्तमान में एक चिंताजनक बहस चल रही है कि क्या बड़ी संख्या में पोल्ट्री फार्म चिकित्सकीय रूप से रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के स्रोत बनते जा हैं, क्या ये अपने निकट रहने वाले समुदायों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं?
इससे निपटने के लिए अब वैज्ञानिकों ने पोल्ट्री फार्मों में बीमारी को पहचानने के नए तरीके खोजने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग किया है। यह एंटीबायोटिक दवाओं से उपचार की जरूरत को कम करने के साथ ही लोगों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध फैलने के खतरे को भी कम करेगा।
यह अध्ययन नॉटिंघम विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ वेटरनरी मेडिसिन एंड साइंस एंड फ्यूचर फूड बीकन की डॉ. तानिया डॉटोरिनी के नेतृत्व में किया गया है।
चीन में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मुर्गी पालन में तेजी से वृद्धि के परिणामस्वरूप एंटीबायोटिक दवाओं का भारी और अंधाधुंध उपयोग हुआ है। इससे जानवरों में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है, जो सीधे संपर्क में आने से, पर्यावरण प्रदूषण और भोजन की खपत के माध्यम से लोगों में फैल सकता है।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध के साथ अब दुनिया भर में सबसे खतरनाक मुद्दों में से एक, मुर्गी पालन में जीवाणु संक्रमण के प्रभावी और तेजी से निदान एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता को कम कर सकता है, जिससे महामारी और एएमआर कम हो जाएगा।
इस शोध में, नॉटिंघम के शोधकर्ताओं ने चीनी पोल्ट्री फार्म और उससे जुड़े बूचड़खाने में जानवरों, मनुष्यों और वातावरण से नमूने एकत्र किए। इस जटिल तथा बहुत बड़े आंकड़ों का अब नया डायग्नोस्टिक बायोमार्कर के लिए विश्लेषण किया गया है। जो बैक्टीरिया के संक्रमण, एएमआर के प्रतिरोध और मनुष्यों में फैलने के बारे में पता लगाएगा। ये आंकड़े तब शुरूआती हस्तक्षेप और उपचार में मदद करेंगे, प्रसार को कम करेंगे और एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता पर गौर करेगा।
अध्ययन ने तीन प्रमुख निष्कर्ष निकाले। सबसे पहले, कई समान चिकित्सकीय रूप से प्रासंगिक रोगाणुरोधी प्रतिरोध जीन (एआरजी) और संबंधित गतिशील आनुवंशिक तत्व जिसे जीनोम के भीतर और बैक्टीरिया के बीच पहुंचाने में सक्षम एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीन कहते हैं।
ये मनुष्य और ब्रायलर चिकन दोनों के नमूनों में पाए गए थे। विशेष रूप से, ग्यारह प्रकार के चिकित्सकीय रूप से महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन, संरक्षित गतिशील एआरजी जीन संरचनाओं के साथ विभिन्न जीवों के नमूनों के बीच पाए गए।
डॉ. डॉटोरिनी ने कहा यदि हम केवल बड़े पैमाने पर पारंपरिक तुलनात्मक विश्लेषण करते हैं, तो इन समानताओं को याद किया जाएगा, जो वास्तव में दिखाते है कि माइक्रोबायोम और प्रतिरोधक वातावरण और जीवों में अलग-अलग होते हैं। कुल मिलाकर, यह खोज अनेक पैमाने को अपनाने की प्रासंगिकता का सुझाव देती है। परस्पर जुड़े जटिल वातावरण में प्रतिरोधों और माइक्रोबायोम की समानता और अंतर के विश्लेषण को सामने रखती है।
दूसरे, अध्ययन से पता चला है कि कल्चर-आधारित विधियों के साथ मेटागेनोमिक्स आंकड़े को एक साथ लाने के लिए एक मशीन लर्निंग दृष्टिकोण विकसित किया गया। जिसमें टीम को एक मुर्गी की आंत में दवा प्रतिरोधी नमूना मिला जो कि खेतों से फैला एएमआर से मेल खाता था। इन परिणामों ने इस परिकल्पना को बल दिया कि सहसंबंध साथ में खाना खाने और रोगजनक बैक्टीरिया के प्रतिरोध फेनोटाइप्स और प्रतिरोध में एआरजी के प्रकारों के बीच मौजूद हैं।
अंत में, सेंसिंग तकनीक और मशीन लर्निंग का उपयोग करते हुए, टीम ने खुलासा किया कि एएमआर से संबंधित चीजें स्वयं तापमान और आर्द्रता जैसे विभिन्न बाहरी कारकों से जुड़े हुए होते हैं।
डॉ. डॉटोरिनी ने कहा खाद्य उत्पादन उद्योग एंटीबायोटिक दवाओं का एक प्रमुख उपभोक्ता के रूप में इनका उपयोग करता है, लेकिन इन वातावरणों के भीतर एएमआर खतरों को अभी भी पूरी तरह से समझा नहीं गया है। इसलिए इन वातावरणों के लिए अनुकूलित अध्ययन और बेहतर तरीकों को स्थापित करना महत्वपूर्ण है जहां जानवर और इंसान एक साथ रह रहें हो।
साफ सुथरे तरीके से मुर्गी पालन, किफायती डीएनए अनुक्रमण और मशीन लर्निंग तकनीकों को अपनाने से कृषि वातावरण में एएमआर के खतरों की बेहतर समझ और इसकी मात्रा का निर्धारण करने वाले तरीकों को विकसित करने का अवसर मिलता है। यह अध्ययन द आईएसएमई जर्नल में प्रकाशित हुआ है।