मानव माइक्रोबायोम की खोज में नई छलांग: भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया निगलने वाला स्मार्ट माइक्रो डिवाइस

आईआईटी, दिल्ली और एम्स के वैज्ञानिकों ने ऐसा स्मार्ट माइक्रो डिवाइस बनाया है, जो सीधे छोटी आंत तक पहुंचकर वहां मौजूद माइक्रोबायोम के नमूने जुटा सकता है
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
Published on
सारांश
  • आईआईटी दिल्ली और एम्स के वैज्ञानिकों ने एक स्मार्ट माइक्रो डिवाइस विकसित किया है, जो निगलने पर छोटी आंत में जाकर बैक्टीरिया के नमूने इकट्ठा करता है।

  • यह खोज मानव माइक्रोबायोम को समझने में मदद करेगी और बीमारियों की जल्दी पहचान और सटीक इलाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

  • हमारे शरीर के भीतर जीवित सूक्ष्म जीवों का एक पूरा ब्रह्मांड है। से हम मानव माइक्रोबायोम कहते हैं। जैसे हम बाहरी अंतरिक्ष की खोज के लिए रोवर भेजते हैं, वैसे ही हमें शरीर के अंदर की दुनिया को समझने के लिए छोटे उपकरणों की जरूरत है।

क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटी सी गोली निगलते ही आपके पेट की गहराइयों में जाकर सेहत का राज खोल सकती है? इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), दिल्ली और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वैज्ञानिकों ने इसे हकीकत में बदल दिया है। वैज्ञानिकों ने ऐसा माइक्रो डिवाइस बनाया है, जो सीधे छोटी आंत तक पहुंचकर वहां मौजूद बैक्टीरिया के नमूने जुटा सकता है।

यह खोज मानव शरीर के भीतर छिपी सूक्ष्म दुनिया, 'गट माइक्रोबायोम' को समझने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।

हमारे भीतर बसी अनदेखी दुनिया

वैज्ञानिकों के मुताबिक सभी बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते। हमारे शरीर की करीब आधी कोशिकाएं सूक्ष्म जीवाणुओं की हैं। ये बैक्टीरिया हमारे पेट और आंत में मौजूद होते हैं। यह पाचन में मदद करते हैं, रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाते हैं और यहां तक कि हमारे मूड को भी प्रभावित करते हैं।

लेकिन अब तक इन्हें सीधे छोटी आंत में जाकर देखना बहुत मुश्किल था। इसके लिए या तो एंडोस्कोपी जैसे दर्दनाक तरीकों का सहारा लेना पड़ता था, या फिर मल के नमूनों पर निर्भर रहना पड़ता था, जो आंत के ऊपरी हिस्से की सही जानकारी नहीं देते।

यह भी पढ़ें
आईआईटी मद्रास और डेनिश वैज्ञानिकों ने खोजा जीनों का 'स्विच' मेकैनिज्म
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक

‘अंदरूनी अंतरिक्ष’ की खोज

आईआईटी दिल्ली में मेडिकल माइक्रोडिवाइसेस और मेडिसिन लैब के प्रोफेसर सर्वेश कुमार श्रीवास्तव का कहना है, “हमारे शरीर के भीतर जीवित सूक्ष्म जीवों का एक पूरा ब्रह्मांड है। से हम मानव माइक्रोबायोम कहते हैं। जैसे हम बाहरी अंतरिक्ष की खोज के लिए रोवर भेजते हैं, वैसे ही हमें शरीर के अंदर की दुनिया को समझने के लिए छोटे उपकरणों की जरूरत है।”

डिवाइस के बारे में शोधकर्ताओं ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है, उनकी प्रयोगशाला में बना यह प्रोटोटाइप माइक्रो डिवाइस निगलने के बाद अपने आप काम करता है।

यह पेट में बंद रहता है, लेकिन जैसे ही छोटी आंत में पहुंचता है, खुलकर वहां से बैक्टीरिया (सूक्ष्मजीव) के नमूने इकट्ठा करता है और फिर खुद को बंद कर लेता है, ताकि नमूने सुरक्षित रहे। इससे वहां रहने वाले माइक्रोब्स की प्रजाति स्तर पर पहचान के साथ-साथ अन्य बायोमार्कर की जानकारी भी मिलती है।

यह डिवाइस चावल के दाने से भी छोटा है। वैज्ञानिकों ने इसे जानवरों पर सफलतापूर्वक परखा है और इसका पेटेंट भी दाखिल कर दिया है। इस बारे में अधिक जानकारी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल स्मॉल में प्रकाशित हुई है।

यह भी पढ़ें
वैज्ञानिकों ने खोला येलो फीवर वायरस का रहस्य, पहली बार वायरस की हाई-रिजॉल्यूशन 3डी तस्वीरें की जारी
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक

बीमारियों की जल्द पहचान में मदद

एम्स, दिल्ली के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉक्टर और अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता समग्र अग्रवाल का कहना है, “छोटी आंत हमारी सेहत में बेहद अहम भूमिका निभाती है। वहां मौजूद माइक्रोब्स और रसायनों को समझकर हम बीमारियों की जल्दी पहचान कर सकते हैं, पुरानी बीमारियों पर नजर रख सकते हैं और इलाज को ज्यादा सटीक बना सकते हैं।”

अब टीम इस तकनीक को क्लिनिक तक पहुंचाने की तैयारी में है, ताकि जरूरी मंजूरियों के बाद भारतीय मरीजों को इसका फायदा मिल सके।

छोटी आंत के भीतर छिपे माइक्रोबायोम की खोज अब सिर्फ विज्ञान की कल्पना नहीं रही। आईआईटी दिल्ली और एम्स के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह निगलने योग्य स्मार्ट माइक्रो डिवाइस न केवल हमारे शरीर के अंदर की सूक्ष्म दुनिया को उजागर करेगा, बल्कि बीमारियों की जल्दी पहचान और सटीक इलाज की राह भी खोलेगा।

उम्मीद है कि जल्द ही यह तकनीक भारतीय मरीजों के लिए स्वास्थ्य में नई उम्मीद की किरण बन सकती है।

यह भी पढ़ें
वायरस ही बनेंगे इलाज का हथियार: आईआईटी मद्रास और अमेरिकी वैज्ञानिकों की बड़ी रिसर्च
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in