कैसे जीवन रक्षक दवाओं की कीमते तय करती है केंद्र सरकार, नए हलफनामा में दी जाएगी जानकारी

जीवन रक्षक दवाओं की कीमतों के बारे में सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने क्या कुछ कहा
कैसे जीवन रक्षक दवाओं की कीमते तय करती है केंद्र सरकार, नए हलफनामा में दी जाएगी जानकारी
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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि सरकार जीवन रक्षक दवाओं की कीमतों के बारे में एक नया दस्तावेज प्रस्तुत करेगी जिसमें बताया जाएगा कि वह महत्वपूर्ण और जीवन रक्षक दवाओं की कीमतों को कैसे नियंत्रित करती है।

ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क द्वारा दायर इस याचिका पर अगली सुनवाई 4 अक्टूबर 2023 को होगी।

उच्च न्यायालय में मामला जाने के बाद हरिद्वार में तालाब से हटा अतिक्रमण

उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि अकोढ़ा औरंगजेबपुर गांव में तालाब के रूप में चिह्नित किसी भी जमीन पर कोई अतिक्रमण न हो। मामला उत्तराखंड में हरिद्वार की लक्सर तहसील का है। साथ ही उच्च न्यायालय ने ऐसी अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए क्षेत्र में बाड़ लगाने का भी निर्देश दिया है।

मामले में याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि रिट याचिका दायर करने के बाद तालाब से अतिक्रमण और अवैध निर्माण हटा दिए गए हैं।

डेयरी फार्मों और गौशालाओं के पंजीकरण के लिए जारी की जानी चाहिए सूचना: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक डेयरी मालिक को निर्देश दिया है कि वो इस डेयरी के संचालन से निकलने वाले अपशिष्ट जल का उचित उपचार करें। साथ ही साफ करने के बाद इस पानी का उपयोग सिंचाई जैसे कार्यों के लिए किया जाना चाहिए।

इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा है कि जहां भी संभव हो वहां पेड़ या हरित क्षेत्र बनाए जाए ताकि डेयरी से निकलने वाली दुर्गंध या शोर को फैलने से रोका जा सके। कोर्ट ने स्थानीय सरकारी निकायों या नगर निगमों को समाचार पत्रों और अपनी वेबसाइटों के माध्यम से एक नोटिस जारी करने के लिए भी कहा है, जिसमें डेयरी फार्मों और गौशालाओं को नगर निगम के कानूनों के तहत पंजीकरण कराने के लिए कहा जाना चाहिए।

सार्वजनिक जमीन होते अतिक्रमण को हटाने के लिए एनजीटी ने कलेक्टर को दिए आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 12 सितंबर 2023 को उज्जैन के जिला मजिस्ट्रेट/कलेक्टर को सार्वजनिक जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि सार्वजनिक जमीन को वृक्षारोपण के लिए आरक्षित किया गया था, जबकि कुछ जमीन वन विभाग को सौंपी गई थी। चूंकि अतिक्रमण की गई कुछ जमीन पर एक सरकारी स्कूल बनाया गया है। ऐसे में अदालत ने जिला कलेक्टर को इस जमीन से दोगुनी जमीन वृक्षारोपण के लिए दिए जाने की बात कही है।

मामले में कोर्ट ने जिला वन अधिकारी (डीएफओ) और कलेक्टर को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा है, जिसमें यह जानकारी होनी चाहिए कि उन्होंने इन निर्देशों का पालन किया है।

इस बारे में संयुक्त समिति ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि घट्टिया क्षेत्र में करीब 4.8 हेक्टेयर जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया गया है। इसमें से एक हेक्टेयर का उपयोग सरकार की अनुमति के बिना घरों और गौशाला के लिए किया जा रहा है। वहीं 0.5 हेक्टेयर पर एक स्कूल बिल्डिंग बनाई गई है, बाकी जमीन का उपयोग खेती के लिए किया जा रहा है, हालांकि उसपर भी अतिक्रमण किया गया है।

ट्रिब्यूनल का कहना है कि यह रिपोर्ट मई 2023 में दायर की गई थी, लेकिन तब से अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है।

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