विश्व बांस दिवस 2025: जानिए क्या है इस साल की थीम?

बांस है प्रकृति का हरित उपहार, जो प्लास्टिक का विकल्प बनकर पर्यावरण बचाता है और सतत जीवन शैली को नई दिशा देता है।
बांस पर्यावरणीय संकट का समाधान हो सकता है, इसके माध्यम से हम सतत विकास, हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
बांस पर्यावरणीय संकट का समाधान हो सकता है, इसके माध्यम से हम सतत विकास, हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
Published on
Summary
  • बांस को “ग्रीन गोल्ड” कहा जाता है, यह सबसे तेज बढ़ने वाला पौधा है।

  • बांस घर, फ्लोरिंग और फर्नीचर बनाने में पर्यावरण अनुकूल विकल्प है।

  • कई देशों में बांस से पारंपरिक वाद्ययंत्र बनाए जाते हैं।

  • बांस की कोपलें एशियाई व्यंजनों में स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन हैं।

  • बांस अधिक ऑक्सीजन छोड़कर और कम संसाधनों में उगकर पर्यावरण की रक्षा करता है।

हर साल 18 सितंबर को विश्व बांस दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बांस की पर्यावरणीय, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है। बांस को अक्सर “ग्रीन गोल्ड” कहा जाता है क्योंकि यह धरती पर सबसे तेजी से बढ़ने वाले पौधों में से एक है।

बांस : प्रकृति का अद्भुत उपहार और पर्यावरण का रक्षक

बांस अपनी मजबूती, लचक और टिकाऊपन के लिए जाना जाता है। यह न केवल घर बनाने, फर्नीचर और फ्लोरिंग में उपयोगी है बल्कि प्लास्टिक, लकड़ी और स्टील का विकल्प भी है। बांस से बने टूथब्रश, स्ट्रॉ, कपड़े, खिलौने और सजावटी सामान तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। यह पर्यावरण को हानि पहुंचाए बिना हमारी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करता है।

यह भी पढ़ें
त्रिपुरा के बांस की कोंपल में पाए गए मोटापा कम करने के गुण: शोध
बांस पर्यावरणीय संकट का समाधान हो सकता है, इसके माध्यम से हम सतत विकास, हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

विश्व बांस दिवस 2025 की थीम

इस साल की थीम “अगली पीढ़ी का बांस : समाधान, नवाचार और डिजाइन” है। यह थीम बांस को वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और संसाधनों की कमी का समाधान बताती है।

इतिहास : कैसे शुरू हुई बांस दिवस की परंपरा

साल 2009 में थाईलैंड के बैंकॉक में हुए वर्ल्ड बांस कांग्रेस में थाई रॉयल फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने इस दिवस की घोषणा की थी। पिछले 30 वर्षों से वर्ल्ड बांस ऑर्गनाइजेशन बांस के महत्व को बढ़ाने और इसके उपयोग को प्रोत्साहित करने में काम कर रहा है। भारत, चीन और जापान जैसे देशों में बांस भोजन, निर्माण और संस्कृति का हिस्सा रहा है।

यह भी पढ़ें
इन फलों की वजह से बढ़ती है चूहों की आबादी, यही चूहे बनते हैं अकाल का कारण
बांस पर्यावरणीय संकट का समाधान हो सकता है, इसके माध्यम से हम सतत विकास, हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

बांस की खासियत : सबसे तेज बढ़ने वाला पौधा

बांस दुनिया का सबसे तेज बढ़ने वाला पौधा है। यह 24 घंटे में लगभग 90 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है। यह लकड़ी की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करता है और अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है। यही कारण है कि बांस को वनों की कटाई रोकने और पुनर्वनीकरण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

सांस्कृतिक और पारंपरिक उपयोग

जापान में बांस से बना शकुहाची फ्लूट एक पारंपरिक वाद्ययंत्र है। इंडोनेशिया का अंगक्लुंग वाद्ययंत्र भी बांस से तैयार होता है। भारत में कई समुदाय बांस रोपण अभियान चलाते हैं। फिलीपींस में शिल्पकार अपने हस्तशिल्प प्रदर्शित करते हैं। घाना में इसे सतत विकास के साधन के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

यह भी पढ़ें
हर 50 साल में खिलने वाला फूल भारत के एक राज्य में अकाल के लिए है जिम्मेवार, पर कैसे?
बांस पर्यावरणीय संकट का समाधान हो सकता है, इसके माध्यम से हम सतत विकास, हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

भोजन के रूप में बांस

एशियाई देशों में बांस की कोपलें (शूट्स) एक लोकप्रिय व्यंजन हैं। इन्हें सूप, स्टर-फ्राई और सलाद में इस्तेमाल किया जाता है। यह न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि पोषण से भरपूर भी हैं।

पर्यावरण संरक्षण में बांस की भूमिका

बांस का उपयोग लकड़ी के विकल्प के रूप में करके पेड़ों की कटाई कम की जा सकती है। यह पानी और मिट्टी के संरक्षण में मदद करता है। इसके उपयोग से प्लास्टिक प्रदूषण कम किया जा सकता है क्योंकि बांस आधारित उत्पाद पुन: उपयोग योग्य और बायोडिग्रेडेबल होते हैं।

यह भी पढ़ें
बांस को चट करने वाले ये कीट बनें दुनिया के लिए चुनौती
बांस पर्यावरणीय संकट का समाधान हो सकता है, इसके माध्यम से हम सतत विकास, हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

आधुनिक जीवनशैली में बांस का महत्व

आज बांस सिर्फ ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं है। बड़े आर्किटेक्ट्स और डिजाइनर बांस का उपयोग करके सस्टेनेबल बिल्डिंग बना रहे हैं। बांस फर्नीचर और फ्लोरिंग अब ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध है और लोग इसे तेजी से अपना रहे हैं। इससे न केवल सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को बढ़ावा मिलता है बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं

बांस है भविष्य की हरित धरोहर

विश्व बांस दिवस 2025 केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हरित क्रांति का आह्वान है। यह हमें याद दिलाता है कि बांस पर्यावरणीय संकट का समाधान हो सकता है। इसके माध्यम से हम सतत विकास, हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। अब समय आ गया है कि हम बांस को “अल्टीमेट ग्रीन सॉल्यूशन” मानकर अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in