ऊधम सिंह नगर: कॉलोनी के लिए अवैध रूप से काटे गए 100 से ज्यादा पेड़, एनजीटी ने मांगा जवाब

आरोप है कि कॉलोनी के लिए 150 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी, लेकिन 600 से ज्यादा पेड़ पहले ही काटे जा चुके हैं
पेड़ों को काट बढ़ता विनाश; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
पेड़ों को काट बढ़ता विनाश; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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पेड़ों की अवैध कटाई के बारे में हरदीप शर्मा की शिकायत और संयुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 24 फरवरी, 2025 को उत्तराखंड सरकार को जवाब देने का आदेश दिया है। सरकार को यह जवाब मुख्य सचिव के माध्यम से देना है।

अदालत ने उधम सिंह नगर के जिला मजिस्ट्रेट, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) के देहरादून कार्यालय, तराई पश्चिम वन प्रभाग के डीएफओ और उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेएसपीसीबी) से भी जवाब मांगा है।

इसके अलावा, काशीपुर तहसील में चांदपुर के कुछ ग्रामीणों (प्रतिवादी) से भी जवाब मांगा है। यह क्षेत्र ऊधम सिंह नगर की काशीपुर तहसील में है।

एनजीटी इस मामले में अगली सुनवाई 7 अप्रैल, 2025 को करेगी।

अदालत ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और उत्तराखंड के पीसीसीएफ (एचओएफएफ) को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के भी निर्देश दिए हैं। उन्हें संबंधित रिकॉर्ड भी अदालत के सामने प्रस्तुत करने होंगे।

पहले ही काटे जा चुके हैं 600 से ज्यादा पेड़

गौरतलब है कि आवेदक हरदीप शर्मा ने 9 जनवरी 2024 को एक पत्र याचिका के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में ऊधमसिंह नगर के चांदपुर, प्रतापपुर में अवैध रूप से पेड़ों को काटे जाने का मामला उठाया गया था।

उनके मुताबिक जिस जगह कॉलोनी विकसित की जा रही है वहां 1100 हरे और परिपक्व पेड़ खड़े थे। इनमें से 150 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी, लेकिन इस कॉलोनी को विकसित करने के लिए 600 से अधिक पेड़ पहले ही काटे जा चुके हैं।

ऐसे में 7 नवंबर, 2024 को एनजीटी ने एक संयुक्त समिति के गठन के निर्देश दिए थे। इस समिति से मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 27 जनवरी, 2025 को संयुक्त समिति की रिपोर्ट दाखिल की थी। रिपोर्ट में कहा गया कि संयुक्त समिति के मुताबिक निजी भूमि पर बिना अनुमति के 264 पेड़ काटे गए हैं।

वन विभाग ने वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के तहत 88 पेड़ों को काटने के लिए उल्लंघनकर्ताओं पर पहले ही ₹4,44,000 का जुर्माना लगाया है और उनसे यह वसूला जा चुका है।

इसके अलावा तराई पश्चिम रामनगर के डीएफओ ने 176 पेड़ों की अवैध कटाई के लिए वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के तहत मामला भी दर्ज किया है। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नियमों को तोड़ने वालों पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में ₹67,26,375 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

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