ब्रह्मपुरी में ओशो गंगा धाम ने वन क्षेत्र पर अवैध रूप से अतिक्रमण किया है, इसके साथ ही उनके द्वारा किया कुछ निर्माण बाढ़ संभावित क्षेत्र में भी किया गया है। यह जानकारी संयुक्त समिति ने 21 अक्टूबर, 2024 को अपनी रिपोर्ट में दी है।
गौरतलब है कि संयुक्त समिति ने 24 सितंबर, 2024 को टिहरी गढ़वाल के ब्रह्मपुरी में स्थित ओशो गंगा धाम परिसर का निरीक्षण किया था।
राजस्व और वन विभाग द्वारा भूमि की संयुक्त माप के दौरान यह पाया गया कि ओशो गंगा धाम 0.4146 हेक्टेयर भूमि पर स्थित है। हालांकि, पट्टे के तहत केवल 0.2089 हेक्टेयर भूमि को ही मंजूरी दी गई है। इस कब्जे वाली भूमि में से 0.1566 हेक्टेयर पर इमारतें हैं, जबकि 0.2580 हेक्टेयर भूमि खाली पड़ी है।
परिसर में कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। वहीं नदी के किनारे एक सेप्टिक टैंक का निर्माण किया गया है।
निरीक्षण में पाया गया कि संपत्ति पर एक हॉल, आवासीय कॉटेज और टिन के अस्थाई शेड भी बनाए गए थे। यह हिस्सा उस क्षेत्र में आता है जहां 100 वर्षों में बाढ़ आंके का खतरा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, "ये निर्माण गंगा नदी के केंद्र से करीब 63 मीटर की दूरी पर हैं।
आमतौर पर दिल्ली में केवल सर्दियों में ही लागू किया जाता है ग्रैप: सीएक्यूएम रिपोर्ट
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के 200 या उससे अधिक होने पर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) स्टेज-I को आधिकारिक तौर पर लागू नहीं किया गया था, क्योंकि एक्यूआई में उतार-चढ़ाव के रुझान सामने आए थे। 2017 से, ग्रैप को आमतौर पर केवल सर्दियों के महीनों में ही लागू किया जाता है।
यह जानकारी राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों के लिए बनाए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने 23 अक्टूबर, 2024 को अपनी रिपोर्ट में दी है। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 27 सितंबर, 2024 को दिए आदेश पर हलफनामे के साथ प्रस्तुत की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक मई 2024 के दौरान गर्मियों में मौसम बेहद शुष्क था, और बारिश नहीं हुई। ऐसी शुष्क परिस्थितियों में पड़ोसी क्षेत्रों और सीमा पार से तेज हवाओं के साथ आए धूल के बेहद महीन कण और अन्य प्रदूषक वातावरण में फैले गए। इसकी वजह से कुछ विशेष दिनों में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर असामान्य रूप से बढ़ गया। हालांकि यह किसी क्षेत्र विशेष की वजह से नहीं हुआ था।
25 सितंबर, 2024 को भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा, जब दिल्ली में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 235 तक पहुंच गया, जो वायु गुणवत्ता की 'खराब' श्रेणी को दर्शाता है। हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक यह वृद्धि एक अस्थाई वायुमंडलीय घटना के कारण हुई थी।
वायु गुणवत्ता सूचकांक में पहले से ही गिरावट की प्रवत्ति थी। साथ ही आईएमडी/आईआईटीएम के पूर्वानुमान ने संकेत दिया था कि आने वाले दिनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक वापस दोबारा से मध्यम श्रेणी (200 से नीचे) आ जाएगा।