कैसे बचेंगे उत्तराखंड में धधकते जंगल, रिपोर्ट ने सुझाया रास्ता

रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड को अपनी फायर लाइन्स की समीक्षा करनी चाहिए, जिनकी लंबे समय से जांच नहीं की गई है
धधकती आग की भेंट चढ़ते जंगल; फोटो: आईस्टॉक
धधकती आग की भेंट चढ़ते जंगल; फोटो: आईस्टॉक
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उत्तराखंड में वनों में लगने वाली आग से निपटने के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को यह निर्देश दिए जाने चाहिए कि वो आग के बेहतर प्रबंधन और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए उत्तराखंड वन विभाग को धन मुहैया कराए।

यह बातें एमिकस क्यूरी गौरव कुमार बंसल द्वारा 14 अक्टूबर, 2024 को एनजीटी में सौंपी रिपोर्ट में कही गई हैं।

इसके साथ ही उत्तराखंड को अपनी फायर लाइन्स की समीक्षा करनी चाहिए, जिनकी लंबे समय से जांच नहीं की गई है। यह आग के प्रभावी प्रबंधन के लिए बेहद मायने रखती हैं। उत्तराखंड सरकार को आग से निपटने के लिए लिए पर्याप्त संख्या में वन रक्षक, चौकीदार और वनपालों की भी नियुक्त करने चाहिए।

उत्तराखंड सरकार से भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा 31 मार्च, 2020 से 31 मार्च, 2021 के लिए जारी अनुपालन लेखा परीक्षा रिपोर्ट में बताई सिफारिशों का भी पालन करने के लिए कहा जाना चाहिए।

गौरतलब है कि 18 अप्रैल, 2024 को एनजीटी ने एमिकस क्यूरी से ऋषिकेश-देहरादून रोड के किनारे बड़कोट वन क्षेत्र में पत्तियों को जलाने के मामले में रिपोर्ट मांगी थी। एमिकस क्यूरी ने अपनी इस रिपोर्ट में उन महत्वपूर्ण कमियों और उल्लंघनों पर भी चर्चा की है जो राज्य में प्रभावी वन अग्नि प्रबंधन में बाधा डाल रहे हैं।

जम्मू कश्मीर में बंद करने के आदेश के बावजूद दोबारा शुरू हो गए ईंट भट्टे, एनजीटी ने दिए कार्रवाई के निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 15 अक्टूबर, 2024 को सम्बंधित उपायुक्त से कश्मीर में चल रहे 134 ईंट भट्टों को बंद कराने का निर्देश दिया है। यह ईंट भट्टे बंद करने के आदेश के बावजूद फिर से चालू हो गए थे। मामला सैयद रियाज बनाम जम्मू कश्मीर का है।

उपायुक्त को जम्मू कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति (जेकेपीसीसी) के साथ परामर्श और समन्वय करके आवश्यक कानूनी कदम उठाने के लिए कहा गया है। साथ ही उनसे दो माह के भीतर इस मामले में क्या कार्रवाई की है इस सन्दर्भ में एनजीटी के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

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