गोरगांव-मुलुंद लिंक रोड प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, सशर्त मंजूरी

बेंच ने कहा इस बात में कोई शक नहीं कि पर्यावरण संरक्षण बेहद जरूरी है, क्योंकि पर्यावरणीय संसाधन भावी पीढ़ियों के लिए हमारी जिम्मेदारी हैं। लेकिन साथ ही, विकास की आवश्यकता को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
फोटो: आईस्टॉक
फोटो: आईस्टॉक
Published on

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई महानगरपालिका की ट्री अथॉरिटी को गोरगांव-मुलुंद लिंक रोड (जीएमएलआर) परियोजना के तहत सुरंग निर्माण शुरू करने के लिए पेड़ों को काटे जाने की अनुमति संबंधी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की सशर्त अनुमति दे दी है। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति नहीं मिलती, तब तक कोई भी पेड़ नहीं काटा जाएगा।

इस मामले में अदालत ने परियोजना पक्ष (मुंबई महानगरपालिका) से विशेषज्ञों की रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट होना चाहिए कि टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) को जमीन के भीतर उतारने के लिए जिस शाफ्ट का निर्माण किया जाना है उसके लिए 95 पेड़ों को काटे जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

साथ ही, परियोजना पक्ष को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह कटने वाले पेड़ों की भरपाई के लिए लगाए जाने वाले पेड़ों की पूरी योजना भी कोर्ट के सामने पेश करे। यह रिपोर्ट और योजना 7 अगस्त 2025 तक हलफनामे के साथ दाखिल करनी होगी। मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त 2025 को होगी।

मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा, "इस बात में कोई शक नहीं कि पर्यावरण संरक्षण बेहद जरूरी है, क्योंकि पर्यावरणीय संसाधन भावी पीढ़ियों के लिए हमारी जिम्मेदारी हैं। लेकिन साथ ही, विकास की आवश्यकता को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।"

यह भी पढ़ें
सुप्रीम कोर्ट ने आरे में अनुमति से अधिक पेड़ काटने पर मुंबई मेट्रो को लगाई फटकार, लगाया दस लाख का जुर्माना
फोटो: आईस्टॉक

क्या है गोरगांव-मुलुंद लिंक रोड (जीएमएलआर) परियोजना?

गौरतलब है कि मुंबई महानगरपालिका की ओर से गोरगांव और मुलुंद को जोड़ने के लिए 6.62 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना है, जो गोरगांव के पश्चिमी एक्सप्रेस हाइवे को मुलुंद के पूर्वी एक्सप्रेस हाइवे से जोड़ेगी। इस परियोजना का उद्देश्य शहर के पूर्वी और पश्चिमी उपनगरों के बीच यात्रा का समय करीब एक घंटे तक कम करना है।

इस सुरंग के निर्माण के लिए 200 मीटर लंबी, 50 मीटर चौड़ी और 35 मीटर गहरी शाफ्ट खोदनी पड़ेगी, जिसके जरिए टीबीएम को जमीन के नीचे भेजा जाएगा।

क्या है विवाद का कारण?

यह आवेदन बृहन्मुंबई महानगरपालिका की ट्री अथॉरिटी द्वारा दायर किया गया। यह आवेदन सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 जनवरी 2025 को दिए आदेश के बाद जरूरी हो गया था, जिसमें कहा गया था कि आरे क्षेत्र में पेड़ों को काटे जाने की अनुमति कोर्ट की मंजूरी के बिना नहीं दी जा सकती। हालांकि यह परियोजना आरे कॉलोनी में नहीं बल्कि फिल्म सिटी क्षेत्र में आती है, फिर भी परियोजना पक्ष ने एहतियात के तौर पर सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी है।

आवेदन में कहा गया कि गोरगांव-मुलुंद लिंक रोड परियोजना बृहन्मुंबई के पूर्वी और पश्चिमी उपनगरों के बीच संपर्क को मजबूत करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

यह भी पढ़ें
आरे मामला: क्या बदल सकती है वन भूमि की परिभाषा?
फोटो: आईस्टॉक

आवेदन में यह भी बताया गया कि सड़क संपर्क को बेहतर बनाने के लिए बृहन्मुंबई महानगरपालिका पहले ही तीन प्रमुख ईस्ट-वेस्ट लिंक रोड बना चुका है, जिनमें सांताक्रूज-चेंबूर लिंक रोड, अंधेरी-घाटकोपर लिंक रोड और जोगेश्वरी-विक्रोली लिंक रोड शामिल हैं। इसी परियोजना के अगले चरण के रूप में गोरगांव-मुलुंद लिंक रोड की आवश्यकता महसूस की गई, जिसे विकास नियंत्रण और प्रोत्साहन विनियमन योजना, 2034 के तहत मंजूरी दी गई है।

ट्री अथॉरिटी की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि शुरुआत में 1,094 पेड़ों को काटे जाने का प्रस्ताव था, लेकिन फिलहाल सिर्फ 95 पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी गई है, ताकि टनल बोरिंग मशीन को जमीन में नीचे उतारने के लिए शाफ्ट बनाई जा सके।

इस आवेदन का विरोध याचिकाकर्ताओं ने किया है। उनकी ओर से पेश वकील का तर्क है कि महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही जनवरी 2025 में हलफनामा देकर कहा था कि अभी और पेड़ काटने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

हलफनामे की जांच से पता चला है कि यह बयान मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की आरे कॉलोनी में मेट्रो लाइन-3 के कार डिपो निर्माण से संबंधित था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह परियोजना मुंबई मेट्रो लाइन-3 के कार डिपो निर्माण से अलग है।

देखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक कदम उठाया है। अब 7 अगस्त तक पेश होने वाली रिपोर्ट के आधार पर तय होगा कि मुंबई की इस सुरंग परियोजना के लिए पेड़ों को काटे जाने की हरी झंडी मिलेगी या नहीं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in