सुप्रीम कोर्ट ने आरे में अनुमति से अधिक पेड़ काटने पर मुंबई मेट्रो को लगाई फटकार, लगाया दस लाख का जुर्माना

आरे वन क्षेत्र में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए यह विवाद 2014 से चल रहा है
The apex court, however, allowed MMRC to remove 177 trees from the forest to construct a metro car shed in adherence with the tree authority’s authority’s decision. Representative photo: iStock.
The apex court, however, allowed MMRC to remove 177 trees from the forest to construct a metro car shed in adherence with the tree authority’s authority’s decision. Representative photo: iStock.
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सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) पर दस लाख रूपए का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की यह राशि अगले दो सप्ताह के भीतर जमा करनी है। मामला आरे वन क्षेत्र में अनुमति से अधिक पेड़ काटने का है। साथ ही कोर्ट ने उसके आदेशों को अवहेलना करने के लिए मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को फटकार भी लगाई है।

गौरतलब है कि मुंबई मेट्रो ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए आरे वन क्षेत्र में पेड़ प्राधिकरण से और पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी थी। 17 अप्रैल, 2023 को दिए आदेश में कोर्ट ने पाया कि मुंबई मेट्रो ने अदालत के अधिकार क्षेत्र को पार करने का प्रयास किया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि एमएमआरसीएल को आरे वन क्षेत्र में 84 पेड़ काटने की अनुमति दी गई थी, उससे ज्यादा पेड़ों को काटने के लिए पेड़ प्राधिकरण के पास जाना अनुचित था।

हालांकि शीर्ष अदालत ने एमएमआरसीएल को आरे वन क्षेत्र में 177 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने अनुमति देते हुए कहा कि पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने से सार्वजनिक परियोजना का काम रुक जाएगा, जो सही नहीं है।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने एमएमआरसीएल की खिंचाई करते हुए कहा कि, "आप लोग सोचते हैं कि आप सुप्रीम कोर्ट को भटका सकते हैं। आप अदालत से आगे नहीं बढ़ सकते। कोर्ट अधिकारियों से इतना खफा था कि उसने कहा कि एमएमआरसीएल के अधिकारियों को जेल भेजा जाना चाहिए। इंडिया टुडे के मुताबिक कोर्ट ने एमएमआरसीएल के सीईओ को अदालत में उपस्थित होने का भी निर्देश दिया है।

पीठ ने एमएमआरसीएल को अगले दो सप्ताह के भीतर वन संरक्षक को 10 लाख रुपये बतौर जुर्माना देने का निर्देश दिया है। वहीं कोर्ट ने वन संरक्षक को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि निर्देशित वनीकरण को पूरा किया जाए।

साथ ही इस आदेश का पालन हो रहा है या नहीं यह सत्यापित करने के लिए कोर्ट ने आईआईटी बॉम्बे के निदेशक को इसे सत्यापित करने के लिए एक टीम को नियुक्त करने के लिए भी कहा है। उन्होंने कहा कि, "इस मामले में अदालत को तीन सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट सौंपी जानी चाहिए।"

इससे पहले कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए छात्र रिशव रंजन ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने 2019 में स्वत: संज्ञान लिया था। 7 अक्टूबर, 2019 को, कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को आरे में कोई और पेड़ न काटने के साथ यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।

जानिए क्या है आरे वन विवाद

गौरतलब है कि आरे वन क्षेत्र में एक मेट्रो कार शेड के निर्माण को लेकर 2014 से विवाद चल रहा है। इस कार शेड को आरे से कांजुरमार्ग ले जाने के प्रयासों के चलते शिवसेना और उसके पूर्व सहयोगी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच विवाद भी हुआ था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आरे वन क्षेत्र मुंबई के गोरेगांव में 1,800 एकड़ का शहरी जंगल है, जो कंक्रीट संरचनाओं से घिरा हुआ है। यह शहरी वन क्षेत्र वनस्पतियों और जीवों की 300 से अधिक प्रजातियों का घर है।

इस क्षेत्र को तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने कार शेड की साइट के रूप में चुना था। हालांकि फडणवीस सरकार की  सहयोगी शिवसेना ने इसका विरोध किया था। युवा सेना के नेता आदित्य ठाकरे ने इसकी अगुवाई की थी।

बाद में, उद्धव ठाकरे के कार्यभार संभालने के एक दिन बाद 29 नवंबर, 2019 को आरे में शेड बनाने की योजना को उलट दिया गया था। उन्होंने आरे परियोजना का काम रोक दिया और घोषणा की कि यह शेड कांजुरमार्ग के साल्ट पैन्स में बनाया जाएगा। इसके साथ ही आरे में करीब 800 एकड़ भूमि को आरक्षित वन घोषित किया गया था।

महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद यह मुद्दा एक बार फिर गरमा गया जब 2022 में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आरे कॉलोनी से कार शेड को स्थानांतरित करने के उद्धव ठाकरे के फैसले को पलट दिया। इस मामले में कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों द्वारा दायर कई याचिकाओं में कहा है कि अधिकारियों ने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति के फैसले का उल्लंघन करते हुए आरे वन क्षेत्र में पेड़ों को काटना शुरू कर दिया है।

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