विकास परियोजनाओं के लिए कटने वाले पेड़ों को बचाने के हर संभव प्रयास जरूरी: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पेड़ों को काटने की अनुमति मांगने वाले किसी भी प्राधिकरण को परियोजना की फिर से जांच करनी चाहिए, ताकि पेड़ों को बचाया जा सके
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या को कम करने के लिए प्राधिकरणों को हर संभव प्रयास करने चाहिए।

पांच अगस्त, 2024 को दिए अपने इस आदेश में कोर्ट ने कहा है कि पेड़ों को काटने की अनुमति मांगने वाले किसी भी प्राधिकरण को परियोजना की फिर से जांच करनी चाहिए, ताकि पेड़ों को बचाया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 51ए और नागरिकों के स्वस्थ वातावरण के अधिकार को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश दिया है।

क्यों सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी द्वारा लगाए पांच करोड़ के मुआवजे को किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन (टीएएनजीईडीसीओ) को पांच करोड़ का मुआवजा भरने का आदेश दिया गया था।

गौरतलब है कि एनजीटी ने एन्नोर वेटलैंड्स में सड़क निर्माण को लेकर टीएएनजीईडीसीओ पर पांच करोड़ का जुर्माना लगाया था। अपने पांच अगस्त 2024 को दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एनजीटी ने मामले की विस्तार से जांच नहीं की और निर्देश दिया है कि तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दायर हलफनामे और स्थिति रिपोर्ट की भी बारीकी से जांच की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि विभिन्न प्राधिकरणों और संस्थानों द्वारा दायर रिपोर्टों की भी गहराई से जांच की जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के निर्देश को खारिज करते हुए कहा कि आदेश को अंतरिम माना जाना चाहिए। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि, "हम ट्रिब्यूनल के निष्कर्षों में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमें तथ्यों की अधिक विस्तार से गहन समीक्षा की मांग कर रहे हैं।"

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को अपनी बात रखें का मौका देने के साथ, एनजीटी को निर्देश दिया है कि मामले के सभी दृष्टिकोणों पर बारीकी से ध्यान दिया जाना चाहिए। इस बीच मामले का निपटारा होने तक सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी द्वारा दिए पांच करोड़ रुपए के अंतरिम मुआवजे के आदेश को रद्द कर दिया है।

ताज महल की सुरक्षा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीईसी से दो महीनों में मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि ताज महल की सुरक्षा के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा तैयार किए गए विजन डॉक्यूमेंट और उत्तर प्रदेश की टिप्पणियों को एएसआई के हलफनामे के साथ केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) को भेजा जाए।

पांच अगस्त, 2024 को दिए अपने इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सीईसी को जवाब और सुझाव देने के लिए दो महीने का समय दिया है।

38,740 पौधे लगाने के बाद ही आगरा-जलेसर-एटा सड़क परियोजना के लिए पेड़ों को काट जाने की दी जाएगी अनुमति: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच का कहना है कि आगरा-जलेसर-एटा सड़क परियोजना के लिए ताज ट्रैपेजियम जोन में 3,874 पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी गई थी।

हालांकि केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने जानकारी दी है कि इसके लिए केवल 2,818 पेड़ों को काटने की जरूरत है। वहीं 229 पेड़ों को शिफ्ट किया जाना चाहिए। पांच अगस्त 2024 को दिया यह आदेश उत्तर प्रदेश में आगरा-जलेसर-एटा सड़क परियोजना के लिए पेड़ों को काटे जाने से जुड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीईसी की सिफारिश के आधार पर अनुमति देने से पहले, उत्तर प्रदेश सरकार को पहले 38,740 पौधों को लगाना शुरू करना होगा, जैसा कि सीईसी ने सुझाव दिया था। शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया कि आवेदन और सीईसी रिपोर्ट की एक प्रति अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को दी जाए, जो अन्य मामलों में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस मामले में अगली सुनवाई छह सितंबर, 2024 को की जाएगी।

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