दिल्ली उच्च न्यायालय ने एमसीडी आयुक्त और उप वन संरक्षक (उत्तर-पश्चिम) को नोटिस जारी कर पूछा है कि अदालती आदेश का पालन न करने पर उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए। मामला पेड़ों को कंक्रीट मुक्त करने के न्यायालय द्वारा दिए आदेश का पालन न करने से जुड़ा है। इस मामले में 13 सितंबर, 2024 को सुनवाई हुई।
अदालत ने इन सभी से एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही एमसीडी आयुक्त और डीसीएफ (उत्तर-पश्चिम) दोनों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित होने का भी आदेश दिया गया है।
इसके अतिरिक्त यह भी आदेश दिया गया है कि दिल्ली में पेड़ों के कंक्रीट मुक्त pकर दिया गया है यह दर्शाने वाला एक हलफनामा, जिस पर एमसीडी आयुक्त और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) द्वारा हस्ताक्षर किए गए हों, दो सप्ताह के भीतर प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि पुराने राजिंदर नगर में छह दशक पुराने बरगद के पेड़ को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं, जिसके लिए मूल रूप से आवेदन दायर किया गया था। कोर्ट ने डीसीएफ और एमसीडी को इस क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का भी आदेश दिया है। इसका मकसद यह जानना है कि क्या इस तरह के पुराने पेड़ों की उचित देखभाल की जा रही है या नहीं।
अदालत का कहना है कि यह मामला एजेंसियों द्वारा अपनी जिम्मेवारी से भागने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें एजेंसियों अपनी जिम्मेवारी दूसरे पर डालती नजर आई। अदालत के मुताबिक यह दिल्ली में पेड़ों और उनके आसपास व्यापक पैमाने पर हो रहे कंक्रीटीकरण के प्रति पूरी तरह से उदासीनता को भी दर्शाता है।
जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने इस मामले में 14 फरवरी, 2022 के आदेश का भी हवाला दिया है। इस आदेश में अदालत ने नगर निगम में 'वृक्ष रोग शल्य चिकित्सा इकाई' स्थापित करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने निगम को पर्याप्त संख्या में वृक्ष एम्बुलेंस उपलब्ध कराने को भी कहा था। अदालत ने इस बारे में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) को नई दिल्ली नगर परिषद से सहायता लेने का सुझाव दिया था, जो पिछले कई वर्षों से ट्री एम्बुलेंस का उपयोग कर रही है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 13 सितंबर, 2024 को कहा है कि इस आदेश को दिए ढाई साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन पेड़ों को कंक्रीट मुक्त करने के लिए अब तक जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
ऐसे में एमसीडी और डीसीएफ (उत्तर) को अदालत के निर्देशों का पालन न करने के लिए अवमानना का दोषी पाया गया है। आदेश में कहा गया है कि एमसीडी और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेवार हैं कि उनके अधीनस्थ अधिकारी अदालत के आदेशों का ठीक से पालन करें।
पेड़ों को कंक्रीट मुक्त करने के आदेश का पालन न करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी को लगाई फटकार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को पेड़ों के आस-पास से कंक्रीट न हटाने के लिए फटकार लगाई है। गौरतलब है कि 17 अक्टूबर, 2023 को न्यायालय ने पीडब्ल्यूडी से 48 घंटे के भीतर जिला न्यायालयों और दिल्ली उच्च न्यायालय में मौजूद सभी पेड़ों से कंक्रीट को हटाने का निर्देश दिया था।
13 सितंबर, 2024 को कोर्ट ने कहा कि विभाग अभी भी आदेशों का विरोध कर रहे हैं। ऐसे दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि पीडब्ल्यूडी के प्रधान सचिव को नोटिस भेजकर पूछा जाए कि 17 अक्टूबर, 2023 के आदेश का उल्लंघन करने के लिए उनपर अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए।