खतरे में लखनऊ का चांदे बाबा तालाब, एनजीटी ने कदम उठाने का दिया आदेश

अदालत में प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार, चांदे बाबा तालाब का कुल क्षेत्रफल 36.909 हेक्टेयर है, जिसमें से 3.1859 हेक्टेयर पर अतिक्रमण है
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
Published on
सारांश
  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लखनऊ के चांदे बाबा तालाब के संरक्षण के लिए जिला मजिस्ट्रेट को शपथपत्र के माध्यम से उठाए गए कदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया है।

  • तालाब की वर्तमान स्थिति का ड्रोन वीडियो भी अदालत में जमा करने को कहा गया है, जिससे तालाब की बहाली और संरक्षण कार्यों में मदद मिलेगी।

  • उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी 8 मई 2023 को सबमिट रिपोर्ट में माना था कि आस-पास के क्षेत्रों से सीवेज ले जा रह एक नाले का दूषित पानी बिना किसी उपचार के चांदे बाबा तालाब में डाला जा रहा है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने लखनऊ के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वे चांदे बाबा तालाब के संरक्षण और सुधार के लिए उठाए कदमों की जानकारी एक शपथपत्र के माध्यम से अदालत में प्रस्तुत करें। इसके साथ ही तालाब का ड्रोन वीडियो भी अदालत में जमा करने का निर्देश एनजीटी ने दिया है।

8 अक्टूबर 2025 को अदालत ने कहा कि ड्रोन वीडियो तालाब की वर्तमान स्थिति का सही मूल्यांकन करने में मदद करेगी। साथ ही, यह दृश्य न केवल तालाब की मौजूदा दशा को दिखाएंगे साथ ही उसकी बहाली और संरक्षण कार्यों में भी सहायक होंगे।

इसमें जलग्रहण क्षेत्र में वृक्षारोपण भी शामिल है।

यह मामला लखनऊ के गांव गढ़ी-चुनौती में स्थित ‘चांदे बाबा तालाब’ के संरक्षण और विकास से जुड़ा है। सर्दियों में यह तालाब हजारों प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है, लेकिन तालाब के आसपास अतिक्रमण और जलस्तर में गिरावट के कारण पक्षियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है।

तालाब का जल स्रोत ‘नगवा नाला’ नामक एक तूफानी जलनिकासी नाला है। यह नाला साई नदी में मिल जाता है और इसका ताजा पानी बेकार चला जाता है। आवेदक ने कहा है कि तालाब का जलस्तर बढ़ाने के लिए इस नाले को चांदे बाबा तालाब से जोड़ा जाना चाहिए।

यह भी पढ़ें
अवैध निर्माण और गंगा प्रदूषण के मामले में जल्द से जल्द रिपोर्ट सबमिट करे समिति: एनजीटी
प्रतीकात्मक तस्वीर

अदालत में प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार, चांदे बाबा तालाब का कुल क्षेत्रफल 36.909 हेक्टेयर है, जिसमें से 3.1859 हेक्टेयर पर अतिक्रमण है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी 8 मई 2023 को सबमिट रिपोर्ट में माना था कि आस-पास के क्षेत्रों से सीवेज ले जा रह एक नाले का दूषित पानी बिना किसी उपचार के चांदे बाबा तालाब में डाला जा रहा है।

एसपीसीबी की केंद्रीय प्रयोगशाला में नाले में छोड़े जा रहे सीवेज के नमूना का विश्लेषण किया गया। विश्लेषण से पता चला कि इस पानी में बीओडी, टोटल कॉलिफॉर्म और फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा बहुत ज्यादा है, जबकि इसमें डिसॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा शून्य पाई गई।

एनजीटी को सौंपी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, "इलाके का दूषित सीवेज सीधे चांदे बाबा तालाब में मिल रहा है, जो तालाब में पानी की गुणवत्ता को खराब कर रहा है।"

एनजीटी ने दतिया में साकी घाट पर अवैध बजरी खनन रोकने के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने 7 अक्टूबर 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। अदालत ने मध्य प्रदेश के दतिया जिले के वन विभाग को निर्देश दिया गया है कि यदि साकी घाट, नदी महुआर के पास गांव घुघसी और ओरिना में कोई रेत या बजरी का खनन पाया जाता है तो उसे तुरंत रोका जाए।

आदेश में यह भी कहा गया है कि इसके लिए वन अधिनियम, 1980 और भारतीय वन अधिनियम, 1927 के प्रावधानों के तहत प्रभावी कार्रवाई की जानी चाहिए।

एनजीटी में प्रस्तुत आवेदन में कहा गया है कि बिना खनन लीज के रोजाना 150 से 200 ट्रैक्टर साकी घाट से बजरी लोड कर रहे हैं, जबकि यह क्षेत्र वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है।

वहीं दूसरी और इस मामले की जांच के लिए गठित संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साकी घाट में नदी महुआर के पास घुघसी और ओरिना में किसी प्रकार का बजरी या रेत खनन नहीं हो रहा है। खनन विभाग द्वारा इस क्षेत्र में खनन के लिए कोई लीज जारी नहीं की गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जिस स्थल पर रेत या बजरी जमा है वो पूरी तरह से वन भूमि में है और वहां वाहनों के पहुंचने के लिए कोई रास्ता मौजूद नहीं है।

संयुक्त समिति ने यह भी कहा है कि वन विभाग और खनन विभाग के पास अवैध खनन और परिवहन को रोकने के लिए पेट्रोलिंग और चेकपोस्ट का सिस्टम मौजूद है। रिपोर्ट में दोनों विभागों से इस क्षेत्र में पेट्रोलिंग बढ़ाने और नदी घाटों तक जाने वाले रास्तों में वाहनों की आवाजाही रोकने के लिए बाधाएं स्थापित करने की सिफारिश की गई है।

पर्यावरणीय सुधार के लिए एनजीटी का ईसी फंड ही एकमात्र विकल्प: सीपीसीबी रिपोर्ट

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 8 अक्टूबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को रिपोर्ट सौंपते हुए कहा है कि एनजीटी पर्यावरणीय मुआवजा कोष के तहत चल रहे 24 प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए कोई वैकल्पिक फंड उपलब्ध नहीं हैं।

ऐसे में सीपीसीबी ने एनजीटी से अनुरोध किया है कि वह इन 24 परियोजनाओं और एनजीटी के निर्देशानुसार अन्य गतिविधियों, अध्ययनों, परियोजनाओं या खर्चों के लिए एनजीटी के पर्यावरणीय मुआवजा कोष का उपयोग जारी रखने की अनुमति दें।

सीपीसीबी रिपोर्ट में एनजीटी फंड के अंतर्गत चल रही 24 परियोजनाओं की सूची भी दी गई है। इनमें महाराष्ट्र के साकरवाड़ी में गोदावरी बायोरिफाइनरीज के डिस्टिलरी स्पेंट वॉश के डि-स्लज और रिफिल किए गए लैगून की दूषित मिट्टी, सतही जल और भूजल का बायोरिमेडिएशन शामिल है।

एक अन्य परियोजना पानीपत रिफाइनरी के आसपास पर्यावरण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और भूजल के पुनरुद्धार की योजना है। इसके अलावा, राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों की समीक्षा और राष्ट्रीय स्तर पर उपग्रह आधारित वायु गुणवत्ता निगरानी भी एनजीटी फंड के तहत शामिल परियोजनाओं में हैं।

गौरतलब है कि एनजीटी ने 9 सितंबर 2025 को सीपीसीबी को यह बताने का निर्देश दिया था कि इन 24 परियोजनाओं में से किसी के लिए कोई वैकल्पिक फंडिंग स्रोत उपलब्ध है या नहीं। साथ ही, सीपीसीबी को सभी फंडिंग स्रोतों (अनुदान और अन्य स्रोत) और प्राप्त राशि का खुलासा करने के लिए भी कहा था।

सीपीसीबी रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके पास पांच प्रकार के फंड उपलब्ध हैं, इनमें अनुदान 126 करोड़ रुपए, केंद्रीय योजनाएं 7.51 करोड़ रुपए, पर्यावरण संरक्षण शुल्क फंड 347.5 करोड़ रुपए, सीपीसीबी द्वारा स्वयं-सृजित फंड 98.35 करोड़ रुपए शामिल हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in