चंबा में मणिमहेश यात्रा के दौरान अपर्याप्त सुविधाओं से प्रभावित हो रहा पर्यावरण

शिकायत में कहा गया है कि मणिमहेश यात्रा के दौरान चंबा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, लेकिन वहां पर्याप्त शौचालय नहीं हैं
मणिमहेश यात्रा; फोटो: आईस्टॉक
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तीन अक्टूबर 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हिमाचल सरकार से पूछा है कि मणिमहेश यात्रा के दौरान चंबा आने वाले लोगों के लिए पर्याप्त सुविधाएं क्यों नहीं हैं। उनसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली व्यावसायिक गतिविधियों के बारे में भी जवाब मांगा गया है। मामले में अगली सुनवाई 18 अक्टूबर, 2024 को होगी।

गौरतलब है कि यह मामला शिव नुआला कमेटी भटियात द्वारा भेजी एक पत्र याचिका पर स्वतः संज्ञान लेते हुए दर्ज किया गया है। इस शिकायत में कहा गया है कि मणिमहेश यात्रा के दौरान चंबा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, लेकिन वहां पर्याप्त शौचालय नहीं हैं। नतीजतन, तीर्थयात्री इधर-उधर कूड़ा-कचरा छोड़ जाते हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।

इसके अलावा, अनियमित व्यावसायिक गतिविधियां पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है। इसका असर आसपास के हरे भरे क्षेत्रों पर भी पड़ रहा है।

डासना सीवेज प्रदूषण मामले में नगर पंचायत को देना होगा 24 लाख का मुआवजा

डासना नगर पंचायत को जल्द ही नाले में बिना साफ किए सीवेज छोड़ने के मामले में करीब 24 लाख रुपए का जुर्माना भरना होगा। यह जानकारी तीन अक्टूबर, 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को दी गई है। मामला उत्तर प्रदेश का है।

नगर पंचायत 31 अक्टूबर 2024 तक इस राशि का भुगतान करेगी। इसके साथ ही चार नवंबर 2024 तक एनजीटी में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया है, जिसमें मौजूदा स्थिति की जानकारी होनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने एनजीटी को आश्वासन दिया है कि वे व्यक्तिगत रूप से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थापना के मामले की निगरानी करेंगे।

उन्होंने यह भी वादा किया है कि ठोस और तरल कचरे के उपचार में सुधार के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इससे जल निकायों में छोड़े जा रहे गंदे पानी को रोकने में मदद मिलेगी। उनके मुताबिक इससे जुड़े सभी आवश्यक कार्य 31 दिसंबर, 2024 तक पूरे कर लिए जाएंगे।

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