
पृथ्वी की सतह के नीचे हलचल जो बहुत दूर लग सकती है, लेकिन यह गतिविधि भूमि के भार को संतुलित बनाने में मदद करती है। यह महासागर के फैलाव, जलवायु पैटर्न और यहां तक कि जानवरों की गतिविधि और विकास को तय करती है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि लाखों साल पहले पृथ्वी का आवरण या मेंटल में फटने वाली गर्म चट्टानें मानव विकास की कहानी का एक अहम हिस्सा हो सकती हैं।
शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने दो करोड़ साल पहले एशिया और अफ्रीका को जोड़ने वाले एक बड़े जमीनी पुल के निर्माण की जांच-पड़ताल की, जो अब अरब प्रायद्वीप और अनातोलिया है।
भूमि पर होने वाली इस तरह की घटनाओं ने जिराफ, हाथी, गैंडे, चीते और यहां तक कि मनुष्यों के शुरुआती पूर्वजों को अफ्रीका और एशिया के बीच घूमने में सक्षम बनाया। भूमि में इस तरह के बदलाव होने से अफ्रीका का अन्य महाद्वीपों से 7.5 करोड़ साल पुरानी दुरी समाप्त हो गई।
नेचर रिव्यूज अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित शोध इस सवाल का जवाब है कि हमारा ग्रह सामान्य रूप से कैसे बदला? जीवन और टेक्टोनिक के बीच क्या संबंध हैं?
कहानी पांच से छह करोड़ वर्ष पहले शुरू होती है, जब पृथ्वी के आवरण में फिसलने वाली चट्टान के एक स्लैब ने गर्म चट्टानों के लिए एक "कन्वेयर बेल्ट" बनाया, जो भूमिगत प्लम में उबलने लगी, जो लगभग तीन करोड़ साल बाद सतह पर पहुंची।
मेंटल में इस गतिविधि ने टेक्टोनिक प्लेटों की टक्कर के साथ मिलकर भूमि में एक हलचल पैदा की जिसने प्राचीन टेथिस सागर को बंद करने में योगदान दिया, इसे अब भूमध्य सागर और अरब सागर में विभाजित कर दिया और एक भूभाग बनाया जिसने पहली बार एशिया और अफ्रीका को जोड़ा।
इन विशिष्ट प्रक्रियाओं - मेंटल और गतिशील स्थलाकृति में सही तरह से हुए बदलावों के कारण उथला समुद्री मार्ग कई लाख वर्ष पहले बंद हो गया। प्लम के बिना, यह तर्क दिया जा सकता है कि महाद्वीपीय टकराव अलग होता है।
अगर अफ्रीका और एशिया के जुड़ने में 10 लाख साल और लग जाते, तो अफ्रीका में आने-जाने वाले जानवर एक अलग विकासवादी रास्ते पर होते। इसमें आज के मनुष्यों के पूर्वज भी शामिल हैं।
जमीनी पुल के पूरी तरह बंद होने से कई लाख साल पहले, मनुष्यों के प्राइमेट पूर्वज एशिया से अफ्रीका आए थे। जबकि वे प्राइमेट एशिया में विलुप्त हो गए, उनकी वंशावली अफ्रीका में अलग-अलग हो गई। फिर जब जमीनी पुल पूरी तरह से उभरा, तो इन प्राइमेट ने एशिया को फिर से आबाद किया।
अरब प्रायद्वीप के इस ऊपर उठने ने महासागर प्रसार और पृथ्वी की जलवायु पर भी बड़ा प्रभाव डाला। आस-पास के महासागरों का तापमान गर्म हो गया, जिससे मौसमी तापमान की सीमाएं बढ़ गईं और उत्तरी अफ़्रीका से लेकर मध्य एशिया तक की भूमि का एक हिस्सा अधिक शुष्क हो गया।
शोधकर्ताओं का मानना है कि इस जमीनी पुल का निर्माण सहारा को रेगिस्तान बनाने में अंतिम बार देखा गया। इन स्थलाकृतिक बदलावों ने एशिया में मॉनसून के मौसम को बढ़ाया, जिससे दक्षिण-पूर्व एशिया नमी भरा हो गया।
यह शोध पत्र प्लेट टेक्टोनिक्स, मेंटल संवहन (गर्मी से ठंडे की ओर जाना), स्थलाकृति और पैलियोजियोग्राफी, विकासवादी विज्ञान, स्तनपायी विकास, जलवायु विकास और महासागर प्रसार सहित अन्य विषयों पर मौजूदा शोध को एक साथ जोड़ता है, ताकि इन मेंटल गतिशीलता के व्यापक प्रभावों की एक सटीक कहानी बताई जा सके।