बंधवाड़ी लैंडफिल से आस-पास के क्षेत्रों में रिस रहा दूषित पानी, जंगल तक पहुंच चुका है कचरा

एनजीटी ने पर्यावरण नियमों और वर्षों से जमा कचरे के उचित प्रबंधन में अपनाए जा रहे ढुलमुल रवैये पर चिंता जताई है
बंधवाड़ी लैंडफिल से आस-पास के क्षेत्रों में रिस रहा दूषित पानी, जंगल तक पहुंच चुका है कचरा
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण नियमों और वर्षों से जमा कचरे के उचित प्रबंधन में अपनाए जा रहे ढुलमुल प्रयासों पर चिंता जताई है। मामला हरियाणा के गुरुग्राम में बंधवारी लैंडफिल साइट पर वर्षों से जमा कचरे के निपटान से जुड़ा है।

हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचसपीसीबी) ने 15 मई, 2024 को अपना जवाब दाखिल किया था। इस मामले में तीन सितंबर, 2024 को एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा है कि वो एचसपीसीबी द्वारा जवाब में बताए स्थानों से भूजल के नमूने एकत्र करने के साथ उनका परीक्षण और विश्लेषण करे। अदालत ने सीपीसीबी से इसके परिणाम अगली रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

गौरतलब है कि इसमें लैंडफिल को साफ न करने से जुड़ा पिछले उल्लंघन भी शामिल है। ट्रिब्यूनल ने एचएसपीसीबी के सदस्य सचिव को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। साथ ही अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 17 दिसंबर, 2024 को होगी।

आवेदक की ओर से पेश वकील ने दो सितंबर, 2024 को हलफनामे के साथ प्रस्तुत की गई तस्वीरों का हवाला दिया है। इन तस्वीरों से पता चला है कि मानसून के दौरान लैंडफिल से बहुत ज्यादा मात्रा में लीचेट साइट के किनारे मौजूद सड़क के साथ-साथ आस-पास के क्षेत्रों में बह रहा था।

आवेदक ने 29 अगस्त, 2024 को गुरुग्राम के डिवीजनल वाइल्डलाइफ ऑफिसर के द्वारा सीसीएफ (डब्ल्यूएल) को भेजे एक पत्र का भी हवाला दिया है। इस पत्र में बताया गया है कि नगर निगम का कचरा और लीचेट बहकर वन क्षेत्र तक पहुंच गया है।

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 15 मई, 2024 को दाखिल अपने जवाब में जानकारी दी है कि क्षेत्र के भूजल परीक्षणों में करीब सभी स्थानों पर प्रदूषण का स्तर स्वीकृत सीमा से अधिक पाया गया है। अदालत का कहना है कि हाल में मानसून के दौरान हुए रिसाव के चलते भूजल और अधिक प्रदूषित हो गया होगा।

रोहतक में जल निकाय पर अतिक्रमण, स्थिति रिपोर्ट में देरी पर एनजीटी ने उपायुक्त को लगाई फटकार

महम में एक जमीन के मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने में हुई देरी पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने रोहतक के उपायुक्त को फटकार लगाई है। अदालत को दी जानकारी से पता चला है कि वहां एक जल निकाय पर अतिक्रमण किया गया है।

शिकायतकर्ता का कहना है कि महम नगर पालिका की निष्क्रियता के चलते तालाब कचरे से भर गया है और दूषित पानी को बिना साफ किए उसमें डाला जा रहा है।

12 मार्च, 2024 को अपने जवाब में, रोहतक के उपायुक्त ने कहा है कि विचाराधीन भूमि की स्थिति संदेह में है और यदि उसमें गलत तरीके से बदलाव किया गया है तो इसकी जांच और सुधार की आवश्यकता है। भूमि, जिसे मूल रूप से 1909 से गैर मुमकिन जोहार के रूप में वर्गीकृत किया गया था, उसे अब बदलकर गैर मुमकिन कर दिया गया है।

डिप्टी कमिश्नर की प्रतिक्रिया से संकेत मिलता है कि यह भूमि 1909 में एक तालाब या जल निकाय थी, लेकिन तब से उसके आधिकारिक रिकॉर्ड में बदलाव हुआ है। ऐसे में उपायुक्त को इसकी जांच करने की आवश्यकता है कि यह परिवर्तन कैसे किया गया। इसके लिए उन्होंने 12 मार्च, 2024 को जांच के लिए अदालत से अतिरिक्त समय देने का अनुरोध किया था।

इस मामले में तीन सितंबर, 2024 को, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि रोहतक के उपायुक्त द्वारा अनुरोध किए हुए पांच महीने से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन उनके ओर से भूमि की स्थिति या जांच के बारे में कोई और प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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