
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने छह तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए कोई कार्रवाई न करने पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। इस मामले में दो दिसंबर, 2024 को एनजीटी में सुनवाई हुई थी।
मामला दिल्ली के मुंडका में छह तालाबों के जीर्णोद्धार से जुड़ा है, जिन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है, या निर्माण के लिए भर दिया गया है।
इस मामले में अदालत ने पश्चिमी दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट और दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) के प्रबंध निदेशक को भी अगली सुनवाई पर उपस्थित होने के लिए कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 13 दिसंबर, 2024 को होनी है।
इस बीच, अदालत ने कहा है कि संबंधित अधिकारी तालाबों को उनकी मूल स्थिति में बहाल करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दे सकते हैं।
25 अक्टूबर, 2024 के अपने आदेश में ट्रिब्यूनल ने कहा है कि इनमें से पांच तालाब दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अधीन हैं, जबकि एक दिल्ली राज्य औद्योगिक और अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) के कब्जे में है।
25 अक्टूबर को डीडीए की ओर से पेश वकील ने कहा है कि उनके नियंत्रण में आने वाले तालाबों को बहाल करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इस दिशा में प्रगति हो रही है और एक महीने के भीतर पर्याप्त प्रगति हासिल कर ली जाएगी। डीडीए ने की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी वादा किया है। हालांकि, अदालत ने कहा है कि अब तक ऐसी कोई रिपोर्ट पेश नहीं की गई है।
रिकॉर्ड से पता चला है कि डीडीए द्वारा प्रस्तुत अंतिम दस्तावेज 21 अगस्त, 2023 का एक संक्षिप्त हलफनामा है। उसके बाद तब से, कोई स्थिति रिपोर्ट पेश नहीं की गई है।
इस बारे में दो दिसंबर 2024 को डीडीए के वकील ने जानकारी दी कि काम प्रगति पर है, हालांकि जब कोर्ट ने उनसे ब्यौरा मांगा तो वो अदालत के सामने कोई जानकारी पेश नहीं कर सके। वहीं जो तालाब डीएसआईआईडीसी के नियंत्रण में है, उसके संबंध में कोई भी प्रतिनिधि अदालत में पेश नहीं हुआ और न ही कोर्ट में कोई जवाब दाखिल किया गया है।
जलस्रोतों की बदहाली के लिए कौन है जिम्मेवार
वेटलैंड्स (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2017 के मुताबिक, जिला वेटलैंड समिति के अध्यक्ष के रूप में यह जिला मजिस्ट्रेट की जिम्मेवारी है कि जल निकायों को नुकसान न पहुंचे। साथ ही इनकों अतिक्रमण या क्षरण से बचाने की भी जिम्मेवारी जिला मजिस्ट्रेट की है। अदालत के मुताबिक हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है। न ही यह दिखाने के लिए कोई सबूत हैं कि तालाबों को उनकी मूल स्थिति में बहाल करने के लिए कदम उठाए गए हैं या उठाए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि इस मामले में आवेदक जीत सिंह यादव ने सात नवंबर 2024 को अपनी शिकायत में कहा था कि तालाब की जगह पर कोई जीर्णोद्धार नहीं हो रहा है। इसके बजाय वहां अतिक्रमण अब भी जारी है।
उन्होंने बताया कि गुहली तालाब पर हाल ही में दीवार खड़ी करके बनाकर कमरे बना दिए गए हैं। यह एक चारदीवारी से भी घिरा है। इस तरह से बनाया गया यह ढांचा एक धार्मिक स्थल का है। आवेदक ने इस बारे में उप-विभागीय मजिस्ट्रेट को भी शिकायत भेजी है।
आवेदक ने यह भी बताया है कि बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड ने ट्रांसफार्मर के लिए तालाब क्षेत्र में घेरा बनाकर निर्माण किया है। हालांकि, इस मुद्दे पर जिला अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
बता दें कि दिल्ली में मुंडका निवासी जीत सिंह यादव ने तालाबों को अवैध रूप से भरने और उन्हें नई परियोजनाओं के लिए बदलने तथा जमीन हड़पने के बारे में एक पत्र याचिका भेजी थी। उन्होंने विशेष रूप से शंगुशर, गुगा, जोहड़ी और गुहली तालाबों का उल्लेख किया है। इनके बारे में उनका कहना है कि वे पहले ही भरे जा चुके हैं और उनका उपयोग अवैध रूप से किया जा रहा है।
आवेदक ने इस बात का भी जिक्र किया है कि शिशुवाला एक ऐतिहासिक तालाब है। इस तालाब से पंप सेटों की मदद से पिछले दो महीनों से अधिक समय से पानी खींचा जा रहा है। इतना ही नहीं पश्चिम में तालाब की जमीन पर एक सड़क बनाई जा रही है, और उसे समतल करने के लिए मिट्टी डाली जा रही है। इस तरह तालाब में बदलाव करके उसकी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है।