राजस्थान की नाहरगढ़ सेंचुरी में बन रही हैं अवैध इमारतें, एनजीटी ने दिए जांच के आदेश

वन्यजीव अभ्यारण्य और पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र में अवैध इमारतों और भूमि हड़पने को लेकर कई मामले दर्ज किए गए हैं, जो नियमों का उल्लंघन करते हैं
राजस्थान की नाहरगढ़ सेंचुरी में बन रही हैं अवैध इमारतें, एनजीटी ने दिए जांच के आदेश
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक अक्टूबर 2024 को एक समिति बनाने का निर्देश दिया है। समिति को नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य और उसके इको-सेंसिटिव जोन के बारे में राजस्थान सरकार के आदेशों को लागू करने के लिए उचित समाधान खोजने की जिम्मेवारी दी गई है। यह समिति भूमि की पहचान करेगी और नियमों का पालन करते हुए उसे वन विभाग को हस्तांतरित करेगी।

इस समिति में राजस्थान वन और वन्यजीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन के साथ-साथ प्रमुख सचिव (राजस्व), राजस्थान और जयपुर के जिला कलेक्टर शामिल होंगें। बता दें कि जयपुर के जिला कलेक्टर 2019 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा गठित निगरानी समिति के अध्यक्ष भी हैं।

इस समिति से तीन महीने के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।

यह शिकायत वन खंड आमेर 54 में भूमि की पहचान, सीमांकन और चिह्नित करने से जुड़ी है। इस क्षेत्र को आठ मार्च 2019 की अधिसूचना के तहत वन्यजीव अभयारण्य और पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया गया था।

वन्यजीव अभ्यारण्य और पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र में अवैध इमारतों और भूमि को हड़पने को लेकर कई मामले दर्ज किए गए हैं, जो सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन करते हैं। चूंकि भूमि को स्पष्ट रूप से चिह्नित नहीं किया गया है और वन विभाग को हस्तांतरित नहीं किया गया है, इसलिए भूमि पर कुछ अधिकारों का दावा करने वाले लोगों के बीच गंभीर मतभेद सामने आए हैं।

पर्यावरण के लिए खतरा बनी पानीहाटी नगरपालिका द्वारा की जा रही कचरे की अवैध डंपिंग

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी पीठ ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूबीपीसीबी) से जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। मामला पानीहाटी नगर पालिका द्वारा खाली जमीन पर अवैध रूप से कचरा डाले जाने से जुड़ा है।

इस मामले में पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अपने निष्कर्षों और कचरे को साफ करने के लिए उठाए कदमों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। तीन अक्टूबर, 2024 को अदालत ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से यह भी देखने को कहा है कि क्या कचरा डंपिंग साइट मानदंडों पर खरी है।

एनजीटी ने पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पानीहाटी नगर पालिका और उत्तर 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस भेजने का भी आदेश दिया है।

यह मामला उत्तर 24 परगना में पानीहाटी नगर पालिका के रवींद्र नगर में खाली जमीन पर कचरा डंप करने से जुड़ा है। आरोप है कि 2018 से पानीहाटी नगर पालिका बायोमेडिकल के साथ ठोस कचरा, प्लास्टिक, खाद्य अपशिष्ट और मानव अपशिष्ट सहित विभिन्न प्रकार के कचरे को डंप कर रही है। यह कचरा समय के साथ वहां जमा होता जा रहा है और दिन-प्रतिदिन जमीन को नुकसान पहुंचा रहा है।

यह भी कहा गया है कि चार जुलाई, 2018 को नगर निगम के अधिकारियों को एक सामूहिक शिकायत भेजी गई थी। इस शिकायत में उनसे कचरा की डम्पिंग को बंद करने और जमीन को साफ करने के लिए कहा गया था।

हालांकि अधिकारियों को शिकायत मिलने के बावजूद उन्होंने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। वहां कचरा अभी भी डंप किया जा रहा है। इससे क्षेत्र में गंदगी और बदबू फैल रही है, साथ ही कीड़े-मकोड़े और मच्छर पैदा हो रहे हैं। यह गंदगी भूमि को भी नुकसान पहुंचा रही है।

अदालत का कहना है कि आवेदन के साथ जो तस्वीरें प्रस्तुत की गई हैं, उनमें आवेदक द्वारा लगाए गंभीर पर्यावरण प्रदूषण के दावों के स्पष्ट प्रमाण दिखाई दे रहे हैं।

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