ऊर्जा दक्षता के मामले में अव्वल रहा कर्नाटक, आंध्र, तेलंगाना, केरल और राजस्थान का प्रदर्शन भी रहा बेहतर

यदि असम को छोड़े दें तो ऊर्जा दक्षता के मामले में किसी भी उत्तर-पूर्वी राज्य का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। नगालैंड और मणिपुर को तो इस इंडेक्स में केवल आठ-आठ अंक मिले है
फोटो: आईस्टॉक
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ऊर्जा दक्षता के मामले में कर्नाटक का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा, जिसे हाल ही में जारी स्टेट एनर्जी एफिशिएन्सी इंडेक्स (एसईईआई) 2021-22 में कुल 82.5 अंक दिए गए हैं। इसके साथ ही आंध्रप्रदेश (77.5), तेलंगाना (74), केरल (68.5) और राजस्थान (67) का प्रदर्शन भी अन्य राज्यों से बेहतर था। इन सभी राज्यों को 60 फीसदी से ज्यादा अंक मिले हैं।

वहीं चार राज्यों असम (50.5), हरियाणा (55), महाराष्ट्र (53.5) और पंजाब (53) को उपलब्धि प्राप्त करने वाले राज्यों की श्रेणी में रखा है, जिन्हें इस इंडेक्स में 50 से 60 अंक दिए गए हैं। इसके साथ ही कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम और चंडीगढ़ अपने-अपने राज्य-समूहों में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्य रहे। वहीं तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ने पिछले सूचकांक की तुलना में इस बार सबसे ज्यादा सुधार दर्ज किया है।

यदि दिल्ली की बात करें तो उसे इस इंडेक्स में 33 अंक दिए हैं जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि ऊर्जा दक्षता के मामले में उसका प्रदर्शन कुछ खास अच्छा नहीं है। हालांकि प्रति व्यक्ति आवासीय बिजली खपत को देखें तो इस मामले में दिल्ली सबसे ऊपर है। जहां प्रति व्यक्ति हर वर्ष 699.12 किलोवाट घंटा बिजली की खपत की जा रही है।

इसी तरह यदि असम को छोड़े दें तो किसी भी उत्तर-पूर्वी राज्य का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। नगालैंड और मणिपुर को तो इस इंडेक्स में केवल आठ-आठ अंक मिले है, जबकि मिजोरम (8.5) की स्थिति भी कोई खास अच्छी नहीं थी।  

तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के प्रदर्शन में आया है सबसे ज्यादा सुधार

रिपोर्ट के मुताबिक जहां 2020 के लिए जारी इंडेक्स की तुलना में तेलंगाना की परफॉरमेंस में 45.5 अंकों का सुधार आया है, वहीं आंध्र प्रदेश के प्रदर्शन में भी 27 अंकों का उछाल दर्ज किया गया है।

यह जानकारी केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह द्वारा कल जारी “राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (एसईईआई) 2021-22” में सामने आई है। इस रिपोर्ट में ऊर्जा दक्षता के मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की वार्षिक प्रगति का आकलन पेश किया गया है।

इस इंडेक्स के लिए 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने आंकड़ों को साझा किया था। अच्छी बात यह रही की पिछले सूचकांक की तुलना में इस बारे 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया है। वहीं सात राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों असम, आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, केरल, और तेलंगाना के प्रदर्शन में इस बार 15 अंकों से ज्यादा का सुधार आया है।

इस बारे में ऊर्जा मंत्री आर के सिंह का कहना है कि, "चूंकि हम कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं, ऐसे में ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के साथ सतत विकास को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है, ताकि कोई पीछे न छूट जाए। राष्ट्र की जलवायु प्रतिबद्धताओं में प्रभावी ढंग से योगदान करने के लिए राज्यों की ऊर्जा दक्षता में होती प्रगति और परिणामों की समय-समय पर निगरानी करना जरूरी है।

ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) के महानिदेशक का इस बारे में कहना है कि, "भारत एनडीसी लक्ष्यों को हासिल करने के साथ 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन करने वाली अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग, संसाधन का विवेकपूर्ण आवंटन, नीतिगत योजनाओं और हो रही प्रगति की नियमित निगरानी जरूरी है।

गौरतलब है कि इस सूचकांक को ऊर्जा दक्षता और उत्सर्जन में कमी लाने से जुड़े लक्ष्यों की दिशा में होती प्रगति पर निगरानी करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस रिपोर्ट में राज्यों को ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए निम्नलिखित सिफारिशें की हैं जो एसडीजी और एनडीसी लक्ष्यों को हासिल करने में योगदान देंगी।

  • उन क्षेत्रों में जहां विशेष ध्यान देने की जरूरत है वहां ऊर्जा दक्षता के लिए वित्तीय सहायता देना।
  • ऊर्जा दक्षता से जुड़ी जरूरतों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में संस्थागत क्षमता विकसित करना।
  • राज्यों की ऊर्जा दक्षता को बेहतर बनाने के लिए वित्तीय संस्थानों, ऊर्जा सेवा कंपनियों और ऊर्जा पेशेवरों में आपसी सहयोग को बढ़ाना।
  • सभी क्षेत्रों के लिए ऊर्जा सम्बन्धी आंकड़ों की रिपोर्टिंग और निगरानी को मुख्यधारा में लाना।

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