
विश्व में 69 करोड़ से अधिक लोग अत्यधिक गरीबी (प्रतिदिन 2.15 डॉलर से कम) में जीवनयापन कर रहे हैं।
विश्व की लगभग आधी जनसंख्या प्रतिदिन 6.85 डॉलर से कम पर जीवनयापन करती है, जिससे कई लोग असुरक्षा में जीवन जी रहे हैं।
लगभग 1.1 अरब लोग तीव्र बहुआयामी गरीबी का सामना कर रहे हैं, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में कमी शामिल है।
गरीबों पर जलवायु संबंधी झटकों का सबसे अधिक असर पड़ता है, जबकि वे उत्सर्जन में न्यूनतम योगदान देते हैं।
हर साल 17 अक्टूबर को दुनिया भर में गरीबी उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य गरीबी की समस्या के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना, असमानता को खत्म करना और समाज में समान अवसरों को बढ़ावा देना है।
यह दिवस न केवल आर्थिक असमानता को सामने लाता है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और न्याय तक पहुंच की कमी पर भी ध्यान केंद्रित करता है। 2025 में इस दिवस की थीम "भेदभाव को समाप्त कर सभी के लिए गरिमा, न्याय और अवसर सुनिश्चित करना" है।
गरीबी उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस क्या है?
यह दिवस उन लोगों की कठिनाइयों को समझने का अवसर देता है जो गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को एकजुट करना और गरीबी से प्रभावित परिवारों की आवाज को सुना जाना है।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का मानना है कि गरीबी सिर्फ आर्थिक कमी नहीं है, बल्कि यह जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और रोजगार की कमी का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि गरीबी एक सामाजिक चुनौती है, जिसे खत्म करने के लिए हर व्यक्ति, संस्था और सरकार को मिलकर काम करना होगा।
गरीबी उन्मूलन दिवस का इतिहास
गरीबी के खिलाफ यह पहल 1987 में शुरू हुई थी, जब फ्रांस के पेरिस में हजारों लोग एक साथ इकट्ठा हुए थे। उन्होंने गरीबी, भूख, हिंसा और भय से पीड़ित लोगों को सम्मान दिया और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाई थी। इसी कार्यक्रम को बाद में “विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस” कहा गया।
साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र ने 17 अक्टूबर को आधिकारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस घोषित किया। तब से हर साल यह दिन विश्वभर में मनाया जाता है, ताकि गरीबी के प्रति संवेदनशीलता बढ़े और इसके उन्मूलन के लिए कदम उठाए जाएं।
2025 की थीम: भेदभाव समाप्त कर सम्मान और समान अवसर सुनिश्चित करना
इस साल की थीम सामाजिक और संस्थागत भेदभाव को समाप्त करने पर आधारित है। गरीबी झेलने वाले परिवार अक्सर समाज से उपेक्षा, आलोचना और भेदभाव का सामना करते हैं। कई बार सरकारी या सामाजिक व्यवस्थाएं उन्हें मदद करने के बजाय दंडित कर देती हैं।
2025 की थीम का संदेश है कि हमें सबसे कमजोर और पिछड़े परिवारों को प्राथमिकता देनी चाहिए, उनके अनुभवों को समझना चाहिए और भरोसे पर आधारित व्यवस्था बनानी चाहिए। इससे न केवल गरीबी घटेगी बल्कि हर परिवार को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा।
भारत की स्थिति और गरीबी उन्मूलन के प्रयास
भारत ने पिछले दशकों में गरीबी घटाने की दिशा में सराहनीय प्रगति की है। हालांकि अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों और कमजोर वर्गों के बीच कई चुनौतियां बनी हुई हैं।
सरकार द्वारा चलाए जा रहे कई प्रमुख कार्यक्रम गरीबी मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं:
एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (आईआरडीपी): ग्रामीण गरीबों को रोजगार और आर्थिक सहायता प्रदान करता है।
मनरेगा: ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों का रोजगार सुनिश्चित करता है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डे-एनआरएलएम): ग्रामीण महिलाओं और परिवारों को आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है।
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम): शहरी गरीबों को कौशल विकास और स्वरोजगार के अवसर देता है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई): गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन उपलब्ध कराती है।
दुनिया में गरीबी के क्या कहते हैं आंकड़े?
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 69 करोड़ से अधिक लोग अत्यधिक आय की गरीबी (प्रतिदिन 2.15 डॉलर से कम) में रहते हैं, तथा विश्व की लगभग आधी जनसंख्या प्रतिदिन 6.85 डॉलर से कम पर जीवनयापन करती है, जिससे अनेक लोग कठिनाई से केवल एक झटके की दूरी पर हैं।
लगभग 1.1 अरब लोग तीव्र बहुआयामी गरीबी का सामना कर रहे हैं, स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में एक दूसरे से जुड़ी हुई कमी का सामना कर रहे हैं। देशों के भीतर का अंतर, देशों के बीच के अंतर से भी अधिक हो सकता है।
जलवायु संबंधी झटकों का सबसे अधिक असर गरीबों पर पड़ता है: दुनिया का सबसे गरीब आधा हिस्सा उत्सर्जन में एक छोटा सा योगदान देता है, फिर भी जलवायु संबंधी खतरों से होने वाली आय की हानि का एक बड़ा हिस्सा उसे ही उठाना पड़ता है।
संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक प्रयास
गरीबी एक वैश्विक समस्या है, जिसका समाधान तभी संभव है जब सभी देश एकजुट होकर कदम उठाएं। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) का पहला लक्ष्य है – “सभी रूपों में और हर जगह गरीबी समाप्त करना।” संयुक्त राष्ट्र देशों को ऐसी नीतियां अपनाने के लिए प्रेरित करता है जो सभी वर्गों को शामिल करें और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करें।
2025 में यह दिवस फिर से दुनिया को याद दिलाता है कि गरीबी केवल आर्थिक नहीं, बल्कि मानवता की समस्या है। हर व्यक्ति को सम्मान, अवसर और न्याय देने से ही सच्चे अर्थों में गरीबी का अंत संभव है।
गरीबी उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस केवल जागरूकता का नहीं, बल्कि समानता, करुणा और सहयोग का प्रतीक है। भारत और दुनिया को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी व्यक्ति पीछे न रह जाए। जब समाज गरीबों की आवाज सुनेगा, उनके अधिकारों का सम्मान करेगा और समान अवसर देगा - तभी “गरीबी मुक्त विश्व” का सपना साकार होगा।