इस साल मॉनसून में बारिश के बदलते मिजाज ने बिहार के रेत खनन पर भी असर डाला है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के एक आदेश के मुताबिक, पहली बार है जब रेत खनन पर लगी इस रोक को एक अक्टूबर से आगे बढ़ाया जाएगा। राज्य खान और भूविज्ञान विभाग के अधिकारियों ने 21 सितंबर, 2023 को कहा है कि इस बार राज्य में साल बालू खनन एक अक्टूबर की जगह 15 अक्टूबर से शुरू होगा।
गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा जारी आदेश के बाद बिहार में तीन महीने के लिए - एक जुलाई से 30 सितंबर 2023 के लिए बालू की निकासी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि खनन के एक अक्टूबर 2023 से फिर से शुरू होने की उम्मीद लगाई जा रही थी।
हालांकि भारतीय मौसम विज्ञान (आईएमडी) के पटना केंद्र के मुताबिक मॉनसून के बदलते मिजाज के चलते अक्टूबर की शुरूआत में मध्यम से भारी बारिश होने की सम्भावना है। देखा जाए तो बिहार में इस साल औसत से 26 फीसदी कम बारिश हुई है। जून और जुलाई में मॉनसून खराब रहा और इस दौरान होने वाली बारिश में सामान्य से आधी लगभग 48 फीसदी की कमी दर्ज की गई। हालांकि बाद में अगस्त के दौरान सामान्य बारिश हुई। लेकिन इसके बाद सितंबर में मॉनसून फिर से कमजोर हो गया है।
कई जिलों में जारी अवैध बालू खनन का खेल
एक अधिकारी ने बताया कि, "सरकार अवैध रेत खनन के मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रही है और रेत माफियाओं को रोकने के लिए एक विशेष अभियान शुरू करने का फैसला किया गया है।" उनके मुताबिक अरवल, पटना, औरंगाबाद, सारण, सीवान, भोजपुर, शिवहर और कटिहार में नई चौकियां और आउटपोस्ट स्थापित की जा रही हैं।
विभाग ने उन सभी को, जिन्हें बालू खनन के लिए विभिन्न नदियों के अधिकृत घाटों पर पट्टे दिए हैं, उन्हें बालू ढोने के लिए अपने वाहनों का पंजीयन कराने को कहा है। साथ ही उन्हें रेत की मात्रा मापने के लिए मशीनें लगाने और घाटों पर निगरानी के लिए वीडियो कैमरे भी लगाने का निर्देश दिया है।
राज्य में राजस्व को बढ़ाने और लोगों को सही कीमत पर रेत उपलब्ध हो सके इसके लिए ये उपाय किए गए हैं। गौरतलब है कि हाल के दिनों में पुलिस ने भोजपुर में सोन नदी पर अवैध बालू खनन में शामिल दर्जनों लोगों को गिरफ्तार करने के साथ-साथ मध्यम और बड़े आकार की नावों को जब्त किया है।
हालांकि, ऑपरेशन के कुछ घंटों के बाद ही इलाके में अवैध रेत खनन फिर से शुरू हो गया है। सैकड़ों मोटर चालित नौकाएं नदी तल से अवैध रूप से रेत निकालते देखी गई हैं। इन अवैध गतिविधियों के लिए पटना, सारण और भोजपुर सहित कई जिलों में सक्रिय शक्तिशाली रेत माफिया जिम्मेवार है।
अधिकारी के मुताबिक, माफिया के साथी भारी हथियारों से लैस होते हैं और अक्सर उनके पास पुलिस टीम से ज्यादा लोग होते हैं। इसके कारण पुलिस प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाती।