एनजीटी ने रोका जम्मू-कटरा एक्सप्रेस-वे का काम, एनएचएआई पर लगाया जुर्माना

आवेदक बलविंदर कौर ने संभावित भूस्खलन के कारण हजारों पेड़ों के गिरने के खतरे को लेकर चिंता जताई थी
एनजीटी ने रोका जम्मू-कटरा एक्सप्रेस-वे का काम, एनएचएआई पर लगाया जुर्माना
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 19 मार्च, 2025 को दिए अपने फैसले में कहा है कि रूपनगर में जम्मू-कटरा एक्सप्रेसवे का निर्माण आवश्यक अनुमति और पर्यावरण कानूनों का पालन किए बिना आगे नहीं किया जाना चाहिए।

न्यायाधिकरण ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और सीगल इंडिया लिमिटेड को दो महीने के भीतर संबंधित अधिकारियों से सभी आवश्यक पर्यावरणीय स्वीकृतियां प्राप्त करने का भी निर्देश दिया है। एनजीटी का यह भी कहना है कि यदि अवैध निर्माण को रोकने के लिए परियोजना लागत का एक फीसदी भी पर्यावरणीय मुआवजे के रूप में लिया जाए तो यह राशि 11 करोड़ रुपये होगी।

इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को 85,87,500 रुपए की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का भी भुगतान करना होगा। इसकी गणना पंजाब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीएसपीसीबी) द्वारा 18 अप्रैल, 2023 से 18 जुलाई, 2024 के बीच नियमों के किए गए उल्लंघनों के आधार पर की गई है।

वहीं 19 जुलाई, 2024 के बाद पर्यावरण कानूनों और अवैध गतिविधियों से जुड़े किसी भी अन्य उल्लंघन के लिए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एनएचएआई को दो महीने के भीतर सुनवाई का मौका देगा, उसके बाद बोर्ड द्वारा अतिरिक्त मुआवजे का निर्धारण किया जाएगा।

आदेश में यह भी कहा गया है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को बिना किसी देरी के तीन महीनों के भीतर पर्यावरण मुआवजे की पूरी राशि देना होगी।

एनएचएआई को भरना होगा जुर्माना

इस वसूली गई पर्यावरण क्षतिपूर्ति का उपयोग सुधार योजना तैयार करने के बाद पर्यावरण को हुए नुकसान को दुरुस्त करने के लिए किया जाएगा।

इस योजना को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पीएसपीसीबी और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) के प्रतिनिधि वाली एक संयुक्त समिति द्वारा तीन महीनों के भीतर तैयार किया जाएगा। इस समिति में सीपीसीबी नोडल एजेंसी होगी। इसके बाद योजना को अगले तीन महीनों के भीतर लागू किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि इस मामले में आवेदक बलविंदर कौर ने संभावित भूस्खलन के कारण हजारों पेड़ों के गिरने के खतरे को लेकर चिंता जताई थी।

उनका कहना है कि वन भूमि से सटी कृषि भूमि पर 15 से 20 फीट गहराई तक अवैध खनन हो रहा है। यहां हजारों पेड़ खड़े हैं, जिन्हें इस खनन के कारण होने वाले भूस्खलन से खतरा है। इसकी वजह से पर्यावरण को भारी नुकसान हो सकता है।

संयुक्त समिति ने 20 मई, 2024 को सौंपी रिपोर्ट में भी कहा है कि साइट पर खनन से जुड़े कई उल्लंघन पाए गए हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मेसर्स सीगल इंडिया लिमिटेड ने अनुमति से कहीं ज्यादा खनन किया है। इस कंपनी को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा रूपनगर में जम्मू-कटरा एक्सप्रेसवे परियोजना के निर्माण के लिए नियुक्त किया है।

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