सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल, 2023 को निर्देश दिया है कि उसके द्वारा पिछले साल 3 जून 2022 को दिया आदेश जिसमें संरक्षित क्षेत्रों के आसपास एक किलोमीटर के दायरे को इको-सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) के रूप में अनिवार्य किया था, वो उन मामलों में लागू नहीं होगा, जहां विकास के लिए एक ड्राफ्ट या अंतिम अधिसूचना है।
वहीं इस मामले में वकील का कहना है कि प्रतिबंध हटाने से वन्यजीवों को परेशानी हो सकती है और यह हानिकारक साबित हो सकता है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई, विक्रम नाथ और संजय करोल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि ईएसजेड के भीतर की जाने वाली विकास से जुड़ी किसी भी गतिविधि के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) द्वारा फरवरी 2011 को दिए दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई-वडोदरा एक्सप्रेसवे के लिए मैंग्रोव को काटने की दी मंजूरी
सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई-वडोदरा एक्सप्रेसवे के लिए मैंग्रोव के 350 पेड़ों को काटने की मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने 0.0785 हेक्टेयर मैंग्रोव के डायवर्जन की भी अनुमति दी है। कोर्ट ने एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य को जारी रखने का भी निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि इस बारे में बॉम्बे एनवायरनमेंटल एक्शन ग्रुप द्वारा याचिका दायर की गई थी। जोकि बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा 2 फरवरी, 2023 को दिए अंतिम निर्णय और आदेश के बाद सामने आई थी। गौरतलब है कि इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को आठ-लेन के वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे के लिए मैंग्रोव के 350 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी थी।
12,575 पेड़ों को काटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करने के दिए आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले याचिका पर नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। मामला रायगढ़ में मैंग्रोव की कटाई से जुड़ा है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने बॉम्बे एनवायरनमेंटल एक्शन ग्रुप द्वारा अंतरिम राहत के साथ-साथ विशेष अनुमति याचिका पर भी नोटिस जारी करने के लिए कहा है।
गौरतलब है कि इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रिज्म जॉनसन लिमिटेड को मैंग्रोव के 12,575 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी थी। यह क्षेत्र महाराष्ट्र के रायगढ़ में तटीय विनियमन क्षेत्र के अंतर्गत आता है जो पारिस्थितिकी के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में करीब 5.03 हेक्टेयर के दायरे में फैला है।
मामले में याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि मैंग्रोव को काटने के लिए दिए आदेश में उच्च न्यायालय पारिस्थितिकी को होने वाले नुकसान पर विचार नहीं किया था। याचिकाकर्ता के अनुसार मैंग्रोव के विनाश से न केवल वनस्पतियों और जीवों पर प्रभाव पड़ेगा साथ ही इससे रायगढ़ के तटीय क्षेत्र में मडफ्लैट पर भी असर होगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने तटों पर रहने वाले पारंपरिक समुदायों को रेत हटाने की दी अनुमति
सर्वोच्च न्यायालय ने तटों पर रहने वाले पारंपरिक समुदायों को अंतर्ज्वारीय क्षेत्रों से रेत को हटाने की अनुमति दे दी है। लेकिन साथ ही कोर्ट ने इसके लिए मशीनों का प्रयोग न करने की बात भी कही है। मतलब ही यह समुदाय बिना मशीनों के पारम्परिक तरीके से रेत को हटा सकते हैं।
साथ ही इन समुदायों को इसके लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी 18 जनवरी, 2019 को जारी अधिसूचना में निहित दिशानिर्देशों का भी सख्ती से पालन करना होगा। इस अधिसूचना को 24 नवंबर, 2022 को संशोधित किया गया था।
आवेदन में शिकायत की है कि बालू पट्टियां हटाने की आड़ में तटीय नियामक जोन में बालू का खनन किया जा रहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 14 सितंबर, 2023 को होगी।
अरावली संरक्षण के लिए बनाए जा रहे अरावली कायाकल्प बोर्ड पर अभी भी जारी है विचार-विमर्श
अरावली कायाकल्प बोर्ड एक स्वायत्त वैधानिक प्राधिकरण होना चाहिए। इसके कम से कम 50 फीसदी सदस्य अरावली के विषय में काम करने वाले नागरिक समाज से जुड़े होने चाहिए साथ ही अरावली की तलहटी में रहने वाले ग्रामीण समुदायों के प्रतिनिधि, स्वतंत्र पारिस्थितिकीविद, वन्यजीव, जल विशेषज्ञ, भूवैज्ञानिक, जलवायु वैज्ञानिकों के साथ कानूनी विशेषज्ञ इसमें शामिल होने चाहिए। यह बातें अरावली बचाओ सिटीजन्स मूवमेंट द्वारा प्रत्युत्तर में दायर रिपोर्ट में कही गई हैं।
यह रिपोर्ट हरियाणा के मुख्य सचिव द्वारा 12 अप्रैल, 2023, खान और भूविज्ञान विभाग द्वारा 11 अप्रैल, 2023, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 10 मार्च, 2023 को दायर हलफनामे के जवाब में सबमिट की गई है। गौरतलब है कि अरावली बचाओ नागरिक आंदोलन ने हरियाणा में अरावली रेंज के कई स्थानों पर हो रहे अवैध रेत और पत्थर खनन के संबंध में आवेदन दायर किया था।
संगठन ने नूंह और गुरुग्राम के कादरपुर और बलियावास गांवों के साथ-साथ मूल आवेदन में दिए क्षेत्रों में अवैध खनन के ताजा मामलों की शिकायत की थी, जहां अभी भी अवैध खनन जारी है। वहीं हरियाणा के मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इसके लिए अरावली कायाकल्प बोर्ड की स्थापना की जाएगी।