शिक्षा भी है लम्बे जीवन की कुंजी, पढ़ाई पर बिताए हर साल से मृत्युदर में देखी गई दो फीसदी की कमी

रिसर्च में यह भी सामने आया है कि स्कूल न जाना स्वास्थ्य के नजरिए से एक दशक तक हर दिन दस सिगरेट पीने जितना ही घातक है
बेहतर खानपान, नियमित व्यायाम, और अच्छी नींद की तरह ही शिक्षा भी स्वास्थ्य के नजरिए से बेहद जरूरी है; फोटो: आईस्टॉक
बेहतर खानपान, नियमित व्यायाम, और अच्छी नींद की तरह ही शिक्षा भी स्वास्थ्य के नजरिए से बेहद जरूरी है; फोटो: आईस्टॉक
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आज दुनिया में कौन लंबा जीवन नहीं चाहता, हर इंसान ज्यादा से ज्यादा बरस जीना चाहता है। यही वजह है कि वैज्ञानिक भी उन कारणों को जानने का प्रयास कर रहे हैं जिसकी वजह से जीवन प्रत्याशा में इजाफा हो सकता है।

आपने सुना भी होगा कि बेहतर खानपान, नियमित व्यायाम, अच्छी नींद, तनाव मुक्त जीवन और नशीले पदार्थों से दूरी आपके जीवन के कुछ वर्ष बढ़ा सकती है। इसी तरह प्रदूषण रहित स्वच्छ वातावरण भी इसमें मददगार साबित होता है।

वहीं इसके विपरीत जो लोग जंक फूड खाते हैं, नशा करते हैं या दूषित वातावरण में रहते हैं उनकी उम्र अन्य लोगों की तुलना में छोटी होती है, क्योंकि वो अक्सर इन आदतों के चलते बीमारियों का शिकार बन जाते हैं। जो उनकी असमय मृत्यु की वजह बन जाता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिक्षा भी आपको लम्बा जीवन जीने में मददगार हो सकती है। बात हैरान कर देने वाली है लेकिन सच है। अंतराष्ट्रीय जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि जो लोग जितना ज्यादा पढ़ाई करते हैं उनके लम्बे समय तक जीने की सम्भावना भी उतना बढ़ जाती है।

गौरतलब है कि यह पहला मौका है जब किसी अध्ययन में शिक्षा और जीवन प्रत्याशा के बीच के संबंधों का इतनी गहराई से अध्ययन किया गया है। इस रिसर्च में सामने आया है कि शिक्षा के हर अतिरिक्त वर्ष के साथ मृत्यु का जोखिम दो फीसदी कम हो जाता है।

इसका मतलब है कि जिन लोगों ने प्राथमिक विद्यालय के छह साल पूरे किए थे, उनमें मृत्यु का जोखिम औसतन 13.1 फीसदी कम था। वहीं वहीं बारहवीं से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, मृत्यु के जोखिम में 24.5 फीसदी की कमी दर्ज की गई।

इसी तरह जिन लोगों ने 18 वर्षों तक पढ़ाई पूरी की थी, उनमें मृत्यु का जोखिम 34.3 फीसदी तक कम था। इसका मतलब है कि शिक्षा के हर अतिरिक्त वर्ष के साथ जीवन प्रत्याशा में 1.9 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया। बता दें कि यहां जीवन प्रत्याशा में इजाफे की जो गणना की गई है, वो उन लोगों की तुलना में है, जिन्होंने कभी स्कूल नहीं देखा। अध्ययन के मुताबिक उम्र, लिंग, स्थान और सामाजिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना शिक्षा जीवन प्रत्याशा में इजाफा करने में मददगार होती है।

बता दें कि 59 देशों में प्रकाशित सैकड़ों अध्ययनों का विश्लेषण करने के बाद शोधकर्ता इन नतीजों पर पहुंचे हैं।इनमें भारत में किए अध्ययन भी शामिल हैं। हालांकि जिन अध्ययनों की समीक्षा की गई है उनमें से अधिकांश उच्च आय वाले देशों में किए गए थे। यही वजह है कि अध्ययन में निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में कहीं ज्यादा अध्ययन करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। विशेष रूप से उप-सहारा और उत्तरी अफ्रीका में जहां इससे जुड़े आंकड़ों का आभाव है।

स्वास्थ्य के नजरिए से हर रोज दस सिगरेट पीने के बराबर है अशिक्षित होना

शोधकर्ताओं ने अपने इस अध्ययन में शिक्षा के प्रभावों की तुलना जीवन प्रत्याशा को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों जैसे कि स्वस्थ आहार, धूम्रपान और बहुत अधिक शराब पीने से भी की है। इसके जो नतीजे सामने आए है उनके मुताबिक शिक्षा भी उनकी तरह ही समान रूप से स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए 18 वर्षों तक शिक्षा प्राप्त करने की तुलना आदर्श मात्रा में सब्जियों के सेवन से की जा सकती है।

इसी तरह से कभी स्कूल न जाना स्वास्थ्य के नजरिए से उतना ही हानिकारक है जितना एक दशक तक हर दिन दस सिगरेट पीने से आपके स्वास्थ्य को नुकसान होता है। इसी तरह इसकी तुलना 10 वर्षों तक रोजाना पांच या उससे ज्यादा अल्कोहल युक्त ड्रिंक्स लेने से की जा सकती है।

रिसर्च के मुताबिक हालांकि शिक्षा युवाओं को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाती है। हालांकि फिर भी 50 और यहां तक कि 70 साल की आयु वाले लोग भी शिक्षा का फायदा पाते हैं। इसी तरह जो देश विकास के विभिन्न चरणों में थे उनका भी शिक्षा के प्रभाव में कोई उल्लेखनीय अंतर नहीं देखा गया। इसका मतलब है कि जितना ज्यादा हम पढ़ते हैं वो अमीर हो या गरीब सभी देशों में समान रूप से स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

ऐसे में नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान विभाग और अध्ययन से जुड़ी शोधकर्ता मिर्जा बालाज ने बेहतर शिक्षा तक पहुंच के लिए वैश्विक सामाजिक निवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उनके मुताबिक यह उन असमानताओं को दूर करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है जो जीवन को हानि पहुंचाती है।

उनके मुताबिक ज्यादा वर्ष शिक्षा प्राप्त करने से न केवल रोजगार के अवसर और आय में सुधार होता है, साथ ही इससे स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच भी बढ़ती है, जिससे लोगों को अपने स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल करने में मदद मिलती है। इन लोगों के पास अक्सर खुशी हासिल करने के अनेक तरीके होते हैं, जो उन्हें स्वस्थ और लंबा जीवन जीने में मदद करते हैं।

वहीं इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) और अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता क्लेयर हेंसन का प्रेस विज्ञप्ति में कहना है कि, "शिक्षा में व्याप्त खाई को भरने का मतलब है कि मृत्यु दर के अंतर को भरना।" उनके अनुसार अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता की मदद से गरीबी और रोकी जा सकने वाली मौतों के चक्र को तोड़ने की जरूरत है।

उनका आगे कहना है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि हर किसी को स्वस्थ जीवन जीने का मौका मिले, हमें उन चीजों में निवेश करना चाहिए जो लोगों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने में मदद करें। इससे सभी देशों में लोगों के स्वास्थ्य में सकारात्मक अंतर आ सकता है और लोगों की जीवन प्रत्याशा में मौजूद खाई को पाटा जा सकता है।

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