सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने देश के 20 स्कूलों को ग्रीन स्कूल अवार्ड से सम्मानित किया है। इनमें केरल, मध्य प्रदेश, पंजाब और दिल्ली-एनसीआर के स्कूल शामिल हैं।
इन सभी स्कूलों ने पर्यावरण बचाने के अपने उत्कृष्ट प्रयासों के जरिए अलग-अलग वर्गों में शीर्ष स्थान हासिल किया है। बता दें कि इन स्कूलों ने अपने परिसर को पर्यावरण अनुकूल बनाने के साथ-साथ छात्रों के बीच पर्यावरण को लेकर जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए भी असाधारण प्रयास किए हैं।
सीएसई ने इस मौके पर देश के 199 स्कूलों को 'ग्रीन स्कूल' के रूप में भी मान्यता दी है। गौरतलब है कि सीएसई का ग्रीन स्कूल प्रोग्राम (जीएसपी) हर साल देश भर के उन स्कूलों को पुरस्कृत करता है, जो पर्यावरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं। यह परंपरा पिछले 19 वर्षों से चल रही है।
इस बारे में सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण का कहना है कि, “सीएसई का ग्रीन स्कूल कार्यक्रम एक सीखने की प्रयोगशाला की तरह है। इसका लक्ष्य युवाओं को उनके कार्यों के माध्यम से सिखाना है। वे स्थिरता को समझने के लिए जो सीखते हैं उसका अभ्यास करते हैं। यह सीखने का सबसे अच्छा तरीका है।"
उनके मुताबिक जब हम यह मापते हैं कि हमने क्या किया है और इस तरह हम लक्ष्य निर्धारित करते हैं कि आगे क्या करने की आवश्यकता है। ग्रीन स्कूल प्रोग्राम का उद्देश्य यही है।
इस साल देश भर के 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 5,300 से अधिक स्कूलों ने इस ऑडिट में हिस्सा लिया था। इनमें से शीर्ष 20 स्कूलों को पुरस्कार दिया गया है। बता दें कि ऑडिट में भाग लेने वाले सभी स्कूलों में से 93 फीसदी सरकारी स्कूल थे। वहीं इनमें से छह फीसदी निजी स्कूल और एक फीसदी सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय शामिल थे।
बता दें कि सीएसई का ग्रीन स्कूल प्रोग्राम एक पहल है, जो छात्रों और शिक्षकों को उनके परिसरों को पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह प्रोग्राम स्कूलों को पर्यावरण अनुकूल बनाने और उसका ऑडिट करने में मदद करता है। इस ऑडिट के तहत इस बात की जांच की जाती है कि यह स्कूल पानी, बिजली जैसे संसाधनों का कितना बेहतर तरीके से उपयोग करते हैं।
सीएसई का ग्रीन स्कूल प्रोग्राम अवार्ड उन स्कूलों को मान्यता देता है जो अपने परिसर के भीतर अपने प्राकृतिक संसाधनों का सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन करते हैं। इस पहल की शुरूआत 2003 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद हुआ था, जिसमें भारतीय स्कूलों में पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया था। इसके तहत पहला पुरस्कार 2006 में उन स्कूलों को दिया गया जो पर्यावरण के प्रति जागरूक थे। आज देश भर के 7000 से अधिक स्कूलों इस कार्यक्रम से जुड़े हैं।
संगरूर को मिला सर्वश्रेष्ठ जिले का पुरस्कार
साथ ही वो अपने कार्यों से किस तरह पर्यावरण को बचाने में मदद करते हैं इस बात का भी आंकलन किया जाता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे कितने पर्यावरण-अनुकूल हैं, स्कूलों द्वारा ग्रीन स्कूल प्रोग्राम की मदद से स्वयं अपनी जांच की जाती है।
ग्रीन स्कूल प्रोग्राम (जीएसपी) स्कूलों को छह महत्वपूर्ण क्षेत्रों: वायु, ऊर्जा, भोजन, भूमि, पानी और अपशिष्ट की जांच करके यह समझने में सहायता करता है कि वे संसाधनों का उपयोग कैसे करते हैं। सीएसई में पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम से जुड़ी तुशिता रावत के मुताबिक, "यह कार्यक्रम स्कूलों के पर्यावरण प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिए एक विश्लेषण मंच का उपयोग करता है। इसमें 600 से अधिक तरह की जानकारियां एकत्र की जाती हैं, जो स्कूल परिसर और उसके आसपास के पर्यावरण पर पड़ते प्रभावों को दर्शाती हैं।
बता दें कि जहां महाराष्ट्र में कल्याण स्थित के. बिड़ला पब्लिक स्कूल को जीएसपी वेस्ट वॉरियर अवार्ड से नवाजा गया है। वहीं आंध्र प्रदेश में अन्नामय्या स्थित जिला परिषद हाई स्कूल को जीएसपी लैंड मैनेजर अवार्ड दिया गया है।
इसी तरह बेंगलुरु के लेक मोंटफोर्ट स्कूल को जीएसपी वाटर वाइज अवार्ड, तिरुवनंतपुरम के पीएम श्री केवी एएफएस अक्कुलम को जीएसपी एयर एक्शन अवार्ड और सोलन के गवर्नमेंट मॉडल बॉयज सीनियर सेकेंडरी स्कूल को जीएसपी एनर्जी मैनेजर अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
इस मौके पर स्कूलों के अलावा पर्यावरण को लेकर सबसे सक्रिय शिक्षकों को भी पुरस्कार दिए गए हैं। पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने में अग्रणी होने के लिए पंजाब को "सर्वश्रेष्ठ राज्य" जबकि पंजाब के ही संगरूर ने "सर्वश्रेष्ठ जिले" का पुरस्कार जीता है।
गौरतलब है कि पंजाब से सबसे ज्यादा स्कूलों ने इस ऑडिट में हिस्सा लिया था और अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इतना ही नहीं राज्य के 4,734 स्कूलों में से 70 को ग्रीन टैग दिया गया है। वहीं संगरूर को 503 सबमिशन के साथ सर्वश्रेष्ठ जिले का पुरस्कार दिया गया है।