टाइगर हिल पर निर्माण से पर्यावरण को पहुंच रहा नुकसान, कोर्ट ने अधिकारियों से मांगा जवाब

आरोप है कि टाइगर हिल के सबसे ऊपरी हिस्से को पूरी तरह कंक्रीट और स्टील के ढांचे से ढंक दिया गया है
दार्जिलिंग के टाइगर हिल पर सूर्योदय देखने के लिए जमा होती सैलानियों की भीड़, 19 मई 2012 ; फोटो: आईस्टॉक
दार्जिलिंग के टाइगर हिल पर सूर्योदय देखने के लिए जमा होती सैलानियों की भीड़, 19 मई 2012 ; फोटो: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अधिकारियों को सेंचल वन्यजीव अभयारण्य में अतिक्रमण और वनों की कटाई के मद्दे पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। एनजीटी द्वारा 10 अप्रैल, 2024 को दिया यह निर्देश पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग के सेंचल वन्यजीव अभयारण्य से जुड़ा है।

ट्रिब्यूनल ने इस मामले में शहरी विकास और नगरपालिका मामलों के विभाग, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, पश्चिम बंगाल सरकार, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दार्जिलिंग नगर पालिका को नोटिस भेजने का निर्देश दिया है। उन्हें चार सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा जमा करना होगा। इस मामले में अगली सुनवाई 15 मई, 2024 को होगी।

गौरतलब है कि सुभाष दत्ता ने एक आवेदन दायर किया है जिसमें कहा गया है कि पर्यटक शहर दार्जिलिंग में, 'सेंचल वन्यजीव अभयारण्य' है, जिसे 'टाइगर हिल' के नाम से भी जाना जाता है। इसे 1915 के आसपास स्थापित किया गया था।

उनका दावा है कि यह सिर्फ एक हरा-भरा क्षेत्र नहीं है, बल्कि दार्जिलिंग और आसपास के क्षेत्रों में पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए जलग्रहण क्षेत्र के रूप में भी काम करता है। आरोप है कि टाइगर हिल के सबसे ऊपरी हिस्से को कंक्रीट और स्टील के ढांचे से पूरी तरह ढंक दिया गया है।

यह भी आरोप है कि टाइगर हिल पर बिना पर्यावरण मंजूरी के मोबाइल कनेक्टिविटी टावर लगाए गए हैं। इसके अतिरिक्त, वहां अनधिकृत बसावट भी की गई है, जहां सीवेज प्रबंधन की उचित व्यवस्था के बिना सार्वजनिक सुविधाएं स्थापित की गई हैं। टाइगर हिल कई पर्यटकों को आकर्षित करता है, जो इन सुविधाओं का उपयोग करते हैं।

टाइगर हिल की चोटी पर सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इसकी वजह से भूमिगत जल स्रोत दूषित हो रहा है, जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडराने लगा है। टाइगर हिल के नीचे एक बस्ती भी है, जहां भी सीवेज प्रबंधन का अभाव है।

इसके अलावा, टाइगर हिल पर बड़े पैमाने पर प्लास्टिक कचरा पर फैला हुआ है। इसमें से कुछ कचरे को जला दिया जाता है, जो 2016 के प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम का उल्लंघन है।

आगे यह भी आरोप लगाया गया है कि टाइगर हिल पर नया निर्माण किया जा रहा है, जो सेंचल वन्यजीव अभयारण्य के भीतर एक विश्राम गृह या गेस्ट हाउस हो सकता है। इस के बोर्ड पर 'वन संग्रहालय,' सिंचेल नाम का उल्लेख है।

इसके साथ ही अभयारण्य में एक बड़ा कार पार्किंग क्षेत्र भी विकसित किया जा रहा है।  इसके लिए पेड़ों और हरी-भरी वनस्पतियों का विनाश किया जा रहा है। जो यहां के प्राकृतिक परिदृश्य और उसके चरित्र को पूरी तरह बदल रहा है।

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