दुनिया भर में तेजी से गायब हो रहे हैं जंगली खाद्य पौधे, स्थानीय लोगों ने दी चेतावनी

दुनिया भर में लगभग 7,000 जंगली पौधे और 2,000 जंगली मशरूम की प्रजातियों का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है।
 फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
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दुनिया भर में लगभग 7,000 जंगली पौधे और 2,000 जंगली मशरूम की प्रजातियों का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। जो स्थानीय समुदायों को स्वस्थ और पौष्टिक खाद्य पदार्थ प्रदान करते हैं।

लेकिन अब चिंता की बात यह है कि स्थानीय और स्वदेशी समुदायों ने जंगली खाए जाने वाले पौधों और मशरूम की प्रचुरता में भारी कमी की चेतावनी दी है। इनकी कमी स्थानीय से वैश्विक स्तर पर उनके पोषण और खाद्य सुरक्षा पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।

इस बात का पता यूनिवर्सिटी ऑटोनोमा डी बार्सिलोना (आईसीटीए-यूएबी) के पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा किए गए एक अध्ययन से चला है। यह अध्ययन अलग-अलग तरह के आहार और खाद्य प्रणालियों में इन आवश्यक पौधों की प्रजातियों को प्रभावित करने वाले सामाजिक-पर्यावरणीय परिवर्तनों का विश्लेषण करता है।

जंगली खाए जाने वाले पौधों और मशरूम सूक्ष्म पोषक तत्वों के महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं, जो स्वास्थ्य को कई फायदे पहुंचाते हैं। इसके अलावा, जंगली खाद्य पौधे और मशरूम की खेती और प्रजनन के लिए महत्वपूर्ण आनुवंशिक भंडार हैं और कई मामलों में स्थानीय खाद्य संस्कृतियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

इस महत्व के बावजूद, स्थानीय स्तर पर इस बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है कि सामाजिक-पर्यावरणीय परिवर्तन जंगली खाद्य पौधों और मशरूम को कैसे प्रभावित करते हैं। इसके के लिए अध्ययनकर्ता ने स्थानीय समुदायों की धारणाओं को अपनाया, क्योंकि कई स्थानीय समुदाय के सदस्यों ने उन वातावरणों में हो रहे सामाजिक-पर्यावरणीय परिवर्तनों का अवलोकन और सटीक वर्णन किया है।

अध्ययन में पाया गया कि स्थानीय समुदायों का मानना ​​है कि जंगली खाद्य पौधों और मशरूम के पौधों के वितरण, स्वाद, उत्पादकता, गुणवत्ता और फलने का समय में कई बदलाव आए हैं। हालांकि सबसे व्यापक 92 फीसदी लोगों का मानना है कि जंगली खाद्य पदार्थ बहुत तेजी से घट रहे हैं।    

प्रमुख अध्ययनकर्ता क्रिस्टोफ शुंको कहते हैं, ये परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि दुनिया भर के स्थानीय समुदाय जंगली खाद्य पौधों और मशरूम की घटती संख्या से चिंतित हैं। ये पौधे कई मामलों में उनके पोषण और खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। जंगली खाद्य पदार्थों का अक्सर शोध और नीतियों में पर्याप्त रूप से ध्यान नहीं रखा जाता है, लेकिन हमारे परिणाम बताते हैं कि स्थानीय समुदायों के कथित बदलाव को गंभीरता से लेना महत्वपूर्ण हो सकता है।

खाए जाने वाले पौधों की घटती संख्या का मुख्य कारण भूमि उपयोग में बदलाव है। कृषि, वानिकी और बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ अतिवृष्टि, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेवार हैं। हालांकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बदलाव अलग-अलग महाद्वीपों और जलवायु क्षेत्रों के बीच अलग-अलग होते हैं। 

शुंको ने कहा कि जंगली खाद्य पौधों और मशरूम की घटती संख्या का मुकाबला करने के लिए रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता है।  

एक अन्य हालिया अध्ययन से पता चलता है कि जंगली खाद्य पौधों का ज्ञान लिंग और अलग-अलग उम्र के लोगों में अलग-अलग होता है। मेडागास्कर के दक्षिणी हाइलैंड्स में विन्सेंट पोर्चर द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि जंगली खाद्य पौधों के बारे में जानकारी वयस्क होने पर हासिल किए जाते हैं, जबकि जानकारी के अन्य सेट बहुत जल्दी हासिल किए जाते हैं, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं।

पोर्चर कहते हैं बच्चों ने वयस्कों की तुलना में जानकारी को बढ़ाया है और वे विभिन्न प्रजातियों को जानते हैं। बच्चे अप्रत्याशित रूप से बड़ी संख्या में जंगली खाद्य पौधों को जानते हैं जो छोटे पैमाने पर समाज में जानकारी को बांटने की हमारी समझ को चुनौती देते हैं। वयस्क अधिक स्थानिक प्रजातियों का हवाला देते हैं जो पर्यावरण में हो रहे बदलाव की और इशारा हो सकता है। इसलिए वे स्थानीय पारिस्थितिक जानकारी की खोज करते समय बच्चों पर विचार करते हुए भविष्य के अध्ययन के महत्व पर जोर देते हैं।

पोर्चर ने अपने निष्कर्ष में कहा कि हमने बहुत लंबे समय से महिलाओं और बच्चों के ज्ञान की अनदेखी की है। फिर भी जलवायु, पर्यावरण और जैव-सांस्कृतिक मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने के लिए और पारंपरिक ज्ञान का एक प्रतिनिधि दृष्टिकोण होना आवश्यक है। और यह अध्ययन साइंस डायरेक्ट पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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