
विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच दुनिया में कमजोर ला नीना की स्थिति बन सकती है, जिससे तापमान और बारिश के पैटर्न में बदलाव होगा।
उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में सामान्य से अधिक गर्मी और कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश की संभावना है। महासागरों का तापमान भी सामान्य से अधिक रहेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत, उत्तरी एशिया, आर्कटिक, दक्षिण-पूर्व एशिया, फिलीपींस के आसपास के क्षेत्र और ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है।
दूसरी तरफ प्रशांत महासागर से बाहर, दक्षिणी यूरोप से मध्य एशिया तक, गिनी की खाड़ी के पास, अफ्रीका के हॉर्न और पश्चिमी हिंद महासागर, और उत्तरी अमेरिका के दक्षिणी हिस्सों में बारिश के सामान्य से कम रहने का अंदेशा है।
उत्तर अमेरिका के दक्षिणी और उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चिमी यूरोप, उत्तर-पश्चिम अफ्रीका, उत्तरी व पूर्वी एशिया और आर्कटिक सर्कल में सामान्य से ज्यादा गर्मी पड़ सकती है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने अपनी नई रिपोर्ट में जानकारी दी है कि अगले तीन महीने (अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर 2025) सामान्य से अधिक गर्म रह सकते हैं।
डब्ल्यूएमओ ने यह भी जानकारी दी है कि अक्टूबर से दिसंबर 2025 के मौसम का बन रहा पैटर्न साफ संकेत दे रहा है कि साल के अंत तक दुनिया को कमजोर ला नीना जैसी परिस्थितियों के लिए तैयार रहना होगा। इसका असर तापमान और बारिश दोनों पर पड़ेगा, इसकी वजह से कहीं भीषण गर्मी और सूखा पड़ सकता है, तो कहीं भारी बारिश और बाढ़ देखने को मिल सकती है।
हालांकि अगले तीन महीनों (अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर 2025) के दौरान मौसम की चाल और आने वाले उतार चढ़ावों को जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि पिछले तीन महीने (जून से अगस्त) कैसे रहे, क्योंकि इनपर भी काफी कुछ निर्भर करता है।
ताजा आकलन में बताया गया है कि इस साल जून से जुलाई के बीच दुनिया भर के महासागरों का तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया गया। खासकर उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों (एक्स्ट्रा-ट्रॉपिकल क्षेत्रों) में समुद्र का तापमान असामान्य रूप से गर्म रहा।
प्रशांत महासागर के कई हिस्सों में हालात सामान्य दिखे, लेकिन कमजोर ला नीना जैसे संकेत स्पष्ट रूप से देखे गए। इसी तरह सितंबर 2025 तक भी दुनिया भर के महासागरों का तापमान सामान्य से ऊपर रहा।
हिंद महासागर में तापमान करीब-करीब सामान्य था, लेकिन मौसम के आखिर तक इसमें थोड़ा गिरावट का रुझान दिखा। अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों (उत्तरी और दक्षिणी उष्णकटिबंधीय हिस्सों) में तापमान सामान्य रहा, जबकि कुछ जगह यह सामान्य से अधिक गर्म पाया गया।
रिपोर्ट में सामने आया है कि अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच नीनो 3.4 और नीनो 3 क्षेत्रों में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से नीचे जा सकता है, जिससे कमजोर ला नीना बनने की संभावना है। पश्चिमी प्रशांत महासागर में तापमान सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है, जिससे पूर्व–पश्चिम दिशा में तापमान का फर्क बढ़ेगा और ला नीना जैसे हालात मजबूत होंगे।
वहीं भारतीय महासागर द्विध्रुव (आईओडी) के नकारात्मक चरण में जाने की आशंका है। भूमध्य रेखीय अटलांटिक में उत्तरी उष्णकटिबंधीय क्षेत्र का तापमान थोड़ा ज्यादा रह सकता है, जबकि दक्षिणी उष्णकटिबंधीय अटलांटिक में इसके सामान्य रहने का अनुमान है।
एशिया, यूरोप, उत्तर अमेरिका और आर्कटिक में बढ़ सकता है तापमान
डब्ल्यूएमओ ने रिपोर्ट में पुष्टि की है कि अगले तीन महीनों में दुनिया के कई हिस्सों में सतह का तापमान सामान्य से अधिक रहने का अंदेशा है। उत्तरी गोलार्ध में मॉडल एकमत हैं कि उत्तर अमेरिका के दक्षिणी और उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चिमी यूरोप, उत्तर-पश्चिम अफ्रीका, उत्तरी व पूर्वी एशिया और आर्कटिक सर्कल में सामान्य से ज्यादा गर्मी पड़ सकती है।
वहीं दक्षिणी गोलार्ध में न्यूजीलैंड और दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी हिस्सों में तापमान के अधिक रहने की आशंका है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के लिए अनुमान अभी स्पष्ट नहीं है।
इसी तरह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अफ्रीका के भूमध्य रेखीय हिस्सों, दक्षिण-पूर्व एशिया और समुद्री महाद्वीप में गर्मी बढ़ने का अनुमान है। महासागरों में भी उत्तर प्रशांत, पश्चिमी अटलांटिक और पूर्वी हिंद महासागर में तापमान सामान्य से अधिक रहने की आशंका जताई गई है। वहीं, दक्षिण प्रशांत महासागर के एक हिस्से में ठंडे हालात बने रहने का अनुमान है।
भूमध्य प्रशांत में, डेट लाइन के पूर्वी हिस्से में सामान्य से कम तापमान की संभावना है, जबकि दक्षिण अमेरिका के तटीय इलाकों के पास तापमान सामान्य के आसपास रह सकता है। अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी हिस्सों में भी तेज गर्मी का प्रकोप दिख सकता है।
अक्टूबर से दिसंबर के लिए बारिश के अनुमान दर्शाते हैं कि भूमध्य प्रशांत महासागर में पूर्व–पश्चिम दिशा में समुद्र की सतह के तापमान का फर्क बढ़ रहा है। यह स्थिति आमतौर पर मध्यम ला नीना के समय देखी जाती है, हालांकि इस बार केवल कमजोर ला नीना बनने का अंदेशा है। ला नीना का प्रभाव दिखाता है कि प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी हिस्सों में कम बारिश होगी, जबकि पश्चिमी प्रशांत और उसके आसपास के इलाकों में ज्यादा बारिश हो सकती है।
भारत में सामान्य से अधिक हो सकती है बारिश
रिपोर्ट के मुताबिक भारत, उत्तरी एशिया, आर्कटिक, दक्षिण-पूर्व एशिया, फिलीपींस के आसपास के क्षेत्र और ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। दूसरी तरफ प्रशांत महासागर से बाहर, दक्षिणी यूरोप से मध्य एशिया तक, गिनी की खाड़ी के पास, अफ्रीका के हॉर्न और पश्चिमी हिंद महासागर, और उत्तरी अमेरिका के दक्षिणी हिस्सों में बारिश के सामान्य से कम रहने का अंदेशा है।
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 150°पूर्व से लेकर डेट लाइन और फिर दक्षिण अमेरिका के तट तक बारिश में कमी आ सकती है। भूमध्य रेखा के ऊपर यह सूखा असर दक्षिण अमेरिका तक जाएगा, और भूमध्य रेखा के नीचे यह 35 डिग्री दक्षिण अक्षांश तक फैल सकता है। वहीं, कुछ जगहों पर सामान्य बारिश हो सकती है।