
हर साल हंपबैक व्हेल दक्षिण-पूर्वी प्रशांत महासागर में लंबी और चुनौतीपूर्ण यात्रा करती हैं। इस दौरान वे भोजन के लिए मध्य और दक्षिण अमेरिका से अंटार्कटिका तक करीब 10,000 किलोमीटर का सफर तय करती हैं। लेकिन उन्हें कैसे पता चलता है कि कब जाना है?
नए शोध से पता चला है कि व्हेल अपने प्रवास के समय का निर्धारण करने के लिए अपने आस पास पर्यावरण में होने वाले बदलावों और समुद्री स्थितियों की अपनी पिछली यादों की मदद लेती हैं। लेकिन जैसे-जैसे जलवायु में बदलाव आ रहे हैं वैज्ञानिकों को चिंता है कि उनकी यह रणनीति उतनी कारगर नहीं रह जाएगी, क्योंकि समुद्री परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं।
यह अध्ययन मैकगिल विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किया गया है। अपने अध्ययन में उन्होंने 2009 से 2016 के बीच सैटेलाइट ट्रैकिंग डेटा का उपयोग किया है। इस दौरान कोस्टा रिका, पनामा और इक्वाडोर के पास टैग की गई 42 व्हेलों को ट्रैक किया गया था।
अंटार्कटिका के दक्षिण की ओर उनकी गतिविधियों का अनुसरण करके वैज्ञानिक यह समझना चाहते थे कि ऐसे कौन से संकेत हैं जो व्हेल को यह तय करने में मदद करते हैं कि उन्हें हर साल कब प्रवास करना है। इस अध्ययन के नतीजे जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए हैं।
अध्ययन से पता चला है कि व्हेल समुद्र के तापमान और भोजन की उपलब्धता जैसे स्थानीय संकेतों पर ध्यान देती हैं। लेकिन वे महज इस बात पर निर्भर नहीं रहती कि अभी क्या हो रहा है। इसके साथ ही उन्हें यह याद रहता है कि पिछले वर्षों में कब भोजन सबसे ज्यादा उपलब्ध था।
इस तरह वे अपनी याददाश्त और मौजूदा संकेतों की मदद से तय करती हैं कि कब उन्हें अपनी इस लम्बी यात्रा की शुरूआत करनी है। यह जानकारी उन्हें यह तय करने में मदद करती है कि कब दक्षिणी महासागर में क्रिल जोकि उनका प्रमुख आहार है वो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होगा।
गौरतलब है कि क्रिल एक छोटा क्रस्टेशियन जीव है, जो अंटार्कटिका में व्हेल का मुख्य भोजन है। हर साल, एक निश्चित मौसम में क्रिल की आबादी भारी संख्या में बढ़ती है।
इस बारे में अध्ययन से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर वर्जिनी मिलियन का प्रेस विज्ञप्ति में कहना है कि, "ऐसा लगता है कि वे जानते हैं कि उनके आस-पास के वातावरण में होने वाले बदलाव हजारों किलोमीटर दूर की स्थितियों से जुड़े हैं।"
उनके मुताबिक इससे उन्हें अपने प्रवास का सही समय तय करने में मदद मिलती है। इसलिए वे ठीक उसी समय पहुंचते हैं जब उनका भोजन सबसे ज्यादा होता है।
जलवायु में आते बदलावों के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रही व्हेल
हजारों वर्षों से व्हेल इस टाइमिंग सिस्टम का उपयोग करके प्रवास करती रही हैं। लेकिन जलवायु में आते बदलावों की वजह से यह मुश्किल होता जा रहा है। गर्म होते समुद्र और समुद्री बर्फ में होता बदलाव क्रिल के बढ़ने के समय पर असर डाल रही है। हालांकि व्हेल अपने आप को इन बदलावों के अनुरूप ढालने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन वे इन तेजी से होते बदलावों के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रही हैं।
मिलियन का कहना है कि, "हमें नहीं पता कि वे कितने समय तक इन बदलावों के सामने टिक पाएंगी। 2016 के बाद से हर साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहा है, और चीजें तेजी से बदल रही हैं। ऐसे में एक बिंदु पर आकर, उनकी यादों पर आधारित रणनीति काम करना बंद कर सकती है।"
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि नर और मादा व्हेल अलग-अलग तरीके से प्रवास करते हैं। नर हम्पबैक व्हेल अधिक तेजी से यात्रा करते हैं और सीधे रास्ते अपनाते हैं। वहीं दूसरी तरफ मादाएं, खासतौर पर जिनके साथ बच्चे होते हैं वे शिकारियों से बचने और अपने बच्चों को आराम करने का समय देने के लिए लंबे तटीय मार्ग अपनाती हैं।
वैज्ञानिकों ने जोर दिया है कि व्हेल के प्रवास मार्गों और भोजन क्षेत्रों की सुरक्षा महत्वपूर्ण है। तटीय मार्गों पर जैसे-जैसे जहाजों का आवागमन बढ़ रहा है, उसके साथ ही व्हेलों के सामने आने वाले खतरे भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में जहाजों से व्हेलों के टकराव और प्रवास मार्गों में पड़ने वाले व्यवधानों से इन जीवों की आबादी को गंभीर नुकसान हो सकता है।
व्हेल अद्भुत जीव हैं, जो समुद्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। यह समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। जब वे खाते और अपशिष्ट छोड़ते हैं, तो वे पानी के माध्यम से महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के वितरण में सहायता मिलती है।
इससे फाइटोप्लांकटन जैसे छोटे पौधों को बढ़ने में मदद मिलती है। ये पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इससे समुद्री खाद्य श्रृंखलाओं को सहारा मिलता है और यहां तक कि यह जमीन पर भी जलवायु को प्रभावित करते हैं।
इसी तरह व्हेल पोषक तत्वों पर निर्भर अन्य समुद्री जीवों के लिए भी भोजन के नए अवसर पैदा करती हैं। मतलब की इनका अस्तित्व जैव विविधता को भी बढ़ावा देता है। वहीं दूसरी तरफ यदि व्हेलों की आबादी खत्म हो जाती है, तो इससे समुद्र की उत्पादकता भी कम हो जाएगी।
ऐसे में शोधकर्ताओं ने हंपबैक व्हेल के भोजन क्षेत्रों और प्रवास मार्गों की सुरक्षा पर जोर दिया है। खासकर ऐसे समय में जब जलवायु में तेजी से लगातार बदलाव हो रहे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक इन क्षेत्रों की सुरक्षा का फायदा न केवल व्हेलों को मिलेगा साथ ही इससे पूरी समुद्री खाद्य श्रृंखला को भी सहारा मिलेगा।