करीब-करीब तय हुआ 2023 का सबसे गर्म वर्ष होना, अक्टूबर ने भी बनाया नया जलवायु कीर्तिमान

एक तरफ जहां इस साल अक्टूबर का महीना अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर रहा। वहीं इसके साथ ही 2023 का सबसे गर्म वर्ष होना करीब-करीब तय हो गया है
बढ़ते तापमान का ही प्रभाव है कि अक्टूबर के दौरान भी सर्दियों का असर सामने नहीं आया है; फोटो: आईस्टॉक
बढ़ते तापमान का ही प्रभाव है कि अक्टूबर के दौरान भी सर्दियों का असर सामने नहीं आया है; फोटो: आईस्टॉक
Published on

जुलाई, अगस्त, सितम्बर और अब अक्टूबर के रिकॉर्ड में सबसे गर्म रहने के बाद यह करीब-करीब तय माना जा रहा है कि वर्ष 2023, जलवायु इतिहास का अब तक का सबसे गर्म साल होगा। इसकी आशंका कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के वैज्ञानिकों ने भी जताई है।

गौरतलब है कि यदि जनवरी से अक्टूबर के औसत तापमान को देखें तो वो औद्योगिक काल से पहले (1850 से 1900) समान अवधि के औसत तापमान की तुलना में 1.43 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है। जो उसे इतिहास की अब तक की सबसे गर्म अवधि बनाता है। इसी तरह यदि पिछले सबसे गर्म वर्ष 2016 के पहले दस महीनों से इसकी तुलना करे तो इस साल तापमान 0.10 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। यह जानकारी यूरोपियन यूनियन की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों में सामने आई है।

आंकड़ों के मुताबिक इस साल 2023 में अक्टूबर का महीना अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर रहा। जब सतह के पास हवा का औसत तापमान 15.3 डिग्री सेल्सियस रहा। यदि 1991 से 2020 के बीच अक्टूबर के औसत तापमान से इसकी तुलना करे तो इस साल अक्टूबर का महीना 0.85 डिग्री सेल्सियस रहा।

यदि 2019 में पिछले सबसे गर्म अक्टूबर के महीने से इसकी तुलना करे तो तापमान करीब 0.40 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि यदि 1850 से 1900 के बीच यानी औद्योगिक काल से पहले के अक्टूबर के महीनों के औसत तापमान से इसकी तुलना करे तो इस साल अक्टूबर का तापमान सामान्य से 1.7 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म रहा, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

जमीन पर ही नहीं समुद्र में भी तेजी से बढ़ रहा है तापमान

यदि सिर्फ यूरोप को देखें तो इस साल अक्टूबर का महीना रिकॉर्ड का चौथा सबसे गर्म अक्टूबर का महीना था, जो 1991 से 2020 के औसत तापमान की तुलना में 1.30 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

इसी तरह अक्टूबर 2023 के दौरान समुद्र की सतह का तापमान 20.79 डिग्री सेल्सियस रहा, जो किसी भी अक्टूबर के महीने में दर्ज अब तक का सबसे अधिक तापमान है।

भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में देखें तो अल नीनो की परिस्थितियां अभी भी बन रही हैं, लेकिन वर्ष के इस समय में वे उतनी चरम पर नहीं हैं जितनी 1997 और 2015 के दौरान बनी शक्तिशाली अल नीनो घटनाओं के दौरान थीं।

गौरतलब है कि विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) पहले ही इस बात की पुष्टि कर चुका है कि अल नीनो का प्रभाव अप्रैल 2024 तक जारी रहेगा। मतलब की इस साल में बढ़ते तापमान से छुटकारा पाने की सम्भावना बिलकुल न के बराबर है। डब्ल्यूएमओ के मुताबिक इस बढ़ते तापमान के साथ गर्मी, लू, बाढ़ जैसी चरम मौसमी घटनाओं में वृद्धि होने की आशंका लगातार बढ़ रही है।

देखा जाए तो जब अल नीनो आता है तो अक्सर अपने साथ बाढ़, सूखा, बढ़ता तापमान भी साथ लाता है जो फसलों को खराब कर देता है और मछलियों की आबादी को खत्म कर देता है। इतना ही नहीं इसके साथ कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है जो सब मिलकर अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। यह नुकसान केवल एक नहीं बल्कि इसके घटने के कई वर्षों बाद भी सामने आता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक 2023 में बनने वाली अल नीनो की घटना न केवल इस साल नुकसान पहुंचाएगी, बल्कि साथ ही इसका प्रभाव 2029 तक दर्ज किया जाएगा। रिसर्च से पता चला है कि इस अल नीनो के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2029 तक 247.97 लाख करोड़ रुपए (तीन लाख करोड़ डॉलर) तक  का नुकसान हो सकता है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in