2024 के शुरूआती चारों महीनों ने जलवायु इतिहास में जगह बना ली है। जनवरी, फरवरी और मार्च के बाद अप्रैल में भी तापमान नए शिखर पर पहुंच गया। इसकी पुष्टि नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) ने भी अपने आंकड़ों में की है। इस बारे में जारी रिपोर्ट के मुताबिक 175 वर्षों के जलवायु रिकॉर्ड में कभी भी अप्रैल इतना गर्म नहीं रहा।
गौरतलब है कि अप्रैल 2024 में वैश्विक औसत तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से 1.32 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया। जो उसे अब तक का सबसे गर्म अप्रैल बनाता है। गौरतलब है कि से पहले अप्रैल 2020 और अप्रैल 2016 में तापमान औसत ऐसे 1.14 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था। मतलब कि इस साल अप्रैल में बढ़ता तापमान, पिछले सबसे गर्म अप्रैल से भी 0.18 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा।
एनसीईआई द्वारा जारी आंकड़ों की मानें तो यह लगातार 48वां अप्रैल है, जब बढ़ता तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से ज्यादा दर्ज किया गया है। बता दें कि अब तक के दस सबसे गर्म अप्रैल के महीने 2010 या उसके बाद दर्ज किए गए हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले यूरोप की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने भी अपनी रिपोर्ट में अप्रैल 2024 के अब तक के सबसे गर्म अप्रैल होने की पुष्टि की थी। हालांकि एनसीईआई ने जो आंकड़े साझा किए हैं वो धरती और समुद्र में बढ़ते तापमान के आधार पर जारी किए हैं।
आंकड़ों ने इस बात की भी पुष्टि की है कि यह लगातार ग्यारहवां महीना है जब बढ़ते तापमान ने नया रिकॉर्ड बनाया है। मतलब की जून 2023 से कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा जब बढ़ते तापमान ने रिकॉर्ड न बनाया हो।
वहीं अगर क्षेत्रीय तौर पर देखें तो जहां इस साल दक्षिण अमेरिका ने अब तक के अपने सबसे गर्म अप्रैल का सामना किया। वहीं यूरोप और उत्तर अमेरिका के लिए यह दूसरा सबसे गर्म अप्रैल रहा। इसी तरह एशिया के लिए यह अब तक का तीसरा सबसे गर्म अप्रैल रहा, जबकि अफ्रीका में यह चौथा मौका है जब अप्रैल में तापमान इतना अधिक दर्ज किया गया है।
वहीं इस बीच, ऑस्ट्रेलिया, स्कैंडिनेविया और उत्तर-पश्चिमी रूस का अधिकांश हिस्सा अप्रैल में औसत से अधिक ठंडा रहा। बता दें कि ओशिनिया ने अब तक की नौवीं सबसे गर्म जनवरी से अप्रैल की अवधि का सामना किया है। वहीं यूरोप की यह सबसे गर्म जनवरी से अप्रैल की अवधि रही। वहीं दक्षिण अमेरिका के लिए यह लगातार दसवां सबसे गर्म महीना रहा। इसी तरह उत्तरी अमेरिका के लिए यह दूसरी सबसे गर्म जनवरी से अप्रैल की अवधि थी। कैरिबियन के लिए यह अब तक का सबसे गर्म अप्रैल रहा। इसी तरह जनवरी से अप्रैल की यह सबसे गर्म अवधि रही। आर्कटिक के लिए भी यह छठी सबसे गर्म अवधि रही।
बढ़ते तापमान से बदहाल धरती, उबल रहे समुद्र
यदि साल के पहले चारों महीनों में बढ़ते तापमान की बात करें तो इस दौरान औसत तापमान बीसवीं सदी के औसत से 1.34 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया। जो इसे जलवायु रिकॉर्ड की अब तक की सबसे गर्म जनवरी से अप्रैल की अवधि बनाता है।
दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भी यह अब तक का सबसे गर्म अप्रैल रहा। जब भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों ने इस क्षेत्र को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया। भारत, दक्षिण-पूर्व चीन और फिलीपींस के कई क्षेत्रों में अप्रैल के दौरान भीषण गर्मी और लू का कहर दर्ज किया गया।
एनसीईआई ने बढ़ते तापमान को देखते हुए अपनी रिपोर्ट में इस बात की भी आशंका जताई है कि 2024 के अब तक के सबसे गर्म साल होने की आशंका बढ़कर 61 फीसदी पर पहुंच गई है। बता दें कि इससे पहले जारी रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने 2024 के अब तक के सबसे गर्म वर्ष होने की 55 फीसदी आशंका जताई थी। रिपोर्ट में वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि 2024 के पांच सबसे गर्म वर्षों में शामिल होने की सौ फीसदी आशंका है।
इस तरह साल का पिछला महीना यानी मार्च 2024 भी अब तक का सबसे गर्म मार्च रहा जब बढ़ता तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से 1.34 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। कुछ ऐसा ही फरवरी में भी दर्ज किया गया जब बढ़ता तापमान औसत से 1.42 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया।
साल की शुरूआत भी अब तक के सबसे गर्म जनवरी के साथ हुई थी जब बढ़ता तापमान सामान्य से 1.3 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। बता दें कि इससे पहले सबसे गर्म जनवरी होने का यह रिकॉर्ड जनवरी 2016 के नाम दर्ज था जब तापमान औसत से 1.22 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया था। देखा जाए तो बढ़ते तापमान के यह आंकड़े इस बात को पुख्ता करते हैं कि हमारी धरती बड़ी तेजी से गर्म हो रही है, जिसके प्रभाव पूरी दुनिया में महसूस किए जा रहे हैं।
भीषण गर्मी और लू से हालात किस कदर खराब हो चुके थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि फिलीपींस, बांग्लादेश और दक्षिण सूडान में बढ़ती गर्मी से स्कूलों को बंद करना पड़ा था। इस दौरान एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में लगातार लू का कहर जारी था। बांग्लादेश मौसम विभाग ने भी पुष्टि की है कि अप्रैल 2024 का महीना अब तक का सबसे गर्म अप्रैल था। ऐसा ही कुछ हाल थाईलैंड का भी था, जहां देश के उत्तरी क्षेत्रों में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। अप्रैल में इजराइल भी लू और गर्मी से झुलस रहा था। इजराइल मौसम विज्ञान सेवा (आईएमएस) का कहना है कि 25 अप्रैल 2024 को ग्रेटर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में पिछले 85 वर्षों में अप्रैल का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया।
भारतीय मौसम विभाग ने भी जानकारी दी है कि 1901 के बाद से पूर्वी भारत के लिए यह अब तक का सबसे गर्म अप्रैल का महीना था, जब तापमान 28.12 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। पश्चिम बंगाल में पिछले 15 वर्षों के दौरान अप्रैल 2024 में सबसे ज्यादा लू वाले दिन दर्ज किए थे।
इसी तरह ओडिशा में भी अप्रैल के दौरान गर्मी की स्थिति पिछले नौ वर्षों में सबसे खराब रही। भारतीय मौसम विभाग ने मई के लिए जारी अपने आउटलुक में कहा है कि देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है।
ऐसा नहीं है कि बढ़ते तापमान का कहर केवल धरती तक ही सीमित है। समुद्र भी इससे बच नहीं पाए। अप्रैल में समुद्र की सतह का औसत तापमान सामान्य से 1.03 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। इससे पहले कभी भी अप्रैल में समुद्र की सतह का औसत तापमान इतना ज्यादा नहीं दर्ज किया गया। यह लगातार 13वां महीना है जब समुद्र की सतह का बढ़ता तापमान नए शिखर पर पहुंच गया है।
हालांकि देखा जाए तो तापमान में यह बढ़ोतरी ऐसे समय में दर्ज की गई है जब मौजूदा अल नीनो समाप्त होने की ओर अग्रसर है। जून 2023 में उभरा अल नीनो मार्च में और कमजोर पड़ गया था। एनओएए के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र ने भी अप्रैल से जून 2024 के बीच इस बात की 85 फीसदी सम्भावना जताई है कि अल नीनो का प्रभाव खत्म हो जाएगा और जून से अगस्त 2024 के बीच ला नीना के बनने की 60 फीसदी सम्भावना है।
गौरतलब है कि अब तक के सबसे गर्म साल होने का रिकॉर्ड 2023 के नाम दर्ज है। जब साल का बढ़ता तापमान बीसवीं सदी के वैश्विक औसत से 1.18 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था।
अप्रैल के दौरान कई देशों में भारी बारिश और बाढ़ की घटनाएं भी सामने आई। इनमें अप्रैल के अंत और मई की शुरूआत में आई भारी बारिश और बाढ़ की घटना शामिल थी। इसकी वजह से दर्जनों लोगों की मौत की खबर सामने आई है। ऐसा ही कुछ दक्षिण पश्चिम रूस में भी देखने को मिला जब रूस और कजाखस्तान में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से बड़ी संख्या में लोग प्रभवित हुए। यूएई और ओमान में भी भारी बारिश और बाढ़ की घटनाओं में 20 लोगों की मौत की खबर सामने आई है। वहां 24 घंटों में इतनी बारिश दर्ज की गई जितनी आमतौर पर साल-दो साल में होती है।
यदि धरती के ध्रुवों पर जमा बर्फ को देखें तो अप्रैल 2024 में, वैश्विक समुद्री बर्फ की सीमा 46 वर्षों के रिकॉर्ड में 10वीं सबसे छोटा रही। इस दौरान आर्कटिक में जमा समुद्री बर्फ औसत से 80,000 वर्ग मील कम थी, और अंटार्कटिक समुद्री बर्फ औसत से 290,000 वर्ग मील कम रही। इस दौरान उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की घटना औसत से नीचे रही। अप्रैल में दो नामित तूफान आए, जो 1991 से 2020 के औसत से कम रहे। इस दौरान एक मात्र गंभीर तूफान उष्णकटिबंधीय चक्रवात ओल्गा था।