अब तक मिट्टी के तापमान पर बहुत कम गौर किया गया। इस वजह से इसके कोई विश्वसनीय आंकड़े उपलब्ध नहीं थे। लेकिन अब हेल्महोल्ट्ज सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल रिसर्च (यूएफजेड) के नेतृत्व में एक शोध दल ने अब पाया है कि न केवल मिट्टी और हवा का तापमान अलग-अलग हो सकता है, बल्कि हवा की अपेक्षा जलवायु परिवर्तन का मिट्टी में गर्मी की तीव्रता और आवृत्ति पर कहीं अधिक प्रभाव पड़ता है।
यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हुआ है। टीम की अगुवाई यूएफजेड रिमोट सेंसिंग वैज्ञानिक डॉ. अल्मुडेना गार्सिया-गार्सिया कर रहे थे। आंकड़े मौसम स्टेशनों, रिमोट सेंसिंग उपग्रहों, ईआरए5-भूमि के आंकड़े रीएनालिसिस सेट से लिए गए। जबकि सिमुलेशन के आंकड़े पृथ्वी प्रणाली मॉडल से लिए गए।
शोधकर्ताओं ने इन आंकड़ों को टीक्स7डी सूचकांक में डाला, जिसे वर्ष के सबसे गर्म सप्ताह में हर दिन के अधिकतम तापमान के औसत के रूप में परिभाषित किया गया है, यह अत्यधिक गर्मी को दर्शाता है।
शोधकर्ताओं ने इस प्रकार वर्ष 1996 से 2021 तक 10 सेमी मोटी ऊपरी मिट्टी की परत और दो मीटर तक की ऊंचाई पर निकट सतह की हवा के लिए सूचकांक की गणना की। मूल्यांकन किए गए 118 मौसम विज्ञान स्टेशनों में से दो-तिहाई में हवा की तुलना में मिट्टी अत्यधिक गर्म पाई गई।
प्रमुख शोधकर्ता गार्सिया-गार्सिया ने कहा कि, इसका मतलब है कि हवा की तुलना में मिट्टी में अत्यधिक गर्मी तेजी से विकसित होती है। उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, यह जर्मनी, इटली और दक्षिणी फ़्रांस में विशेष रूप से यह पाया गया है। आंकड़ों के संदर्भ में, स्टेशन के आंकड़ों के अनुसार, मध्य यूरोप में अत्यधिक गर्मी की तीव्रता हवा की तुलना में मिट्टी में 0.7 डिग्री सेल्सियस हर दशक तेजी से बढ़ रही है।
शोध टीम ने बताया कि, उन्होंने न केवल तीव्रता की जांच की, बल्कि मिट्टी में अत्यधिक गर्मी की आवृत्ति का भी पता लगाया। इसकी गणना करने के लिए, वैज्ञानिकों ने टीक्स90पी सूचकांक का उपयोग किया, जो प्रति माह उन दिनों के प्रतिशत को ध्यान में रखता है जब हर दिन अधिकतम तापमान 1996 से 2021 के बीच सांख्यिकीय सीमा से अधिक था। गणना के अनुसार, गर्मी वाले दिनों की संख्या हवा की तुलना में मिट्टी में चरम सीमा दोगुनी तेजी से बढ़ती देखी गई।
गार्सिया-गार्सिया ने उदाहरण देते हुए बताया कि, यदि एक महीने में 10 फीसदी दिनों में मिट्टी और हवा में वर्तमान में उच्च तापमान है, तो एक दशक बाद, 15 फीसदी दिनों में हवा का अधिक तापमान होगा और मिट्टी का तापमान 20 फीसदी होगा।
यहां निर्णायक कारण मिट्टी की नमी है, जो हवा और मिट्टी के बीच आदान-प्रदान में एक महत्वपूर्ण तापीय भूमिका निभाती है। मिट्टी की नमी काफी हद तक भूमि के आवरण पर निर्भर होती है। उदाहरण के लिए, जंगलों में, पेड़ अपनी जड़ों से मिट्टी की गहराई से पानी खींच सकते हैं और गर्मियों में वाष्पीकरण के माध्यम से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं। दूसरी ओर, फसलों या घास के मैदान केवल सतह के निकट की मिट्टी से ही पानी हासिल कर सकते हैं।
तथ्य यह है कि अत्यधिक तापमान मिट्टी में तेजी से विकसित हो सकता है और मिट्टी के पास हवा की परत से काफी भिन्न होता है, इसके महत्वपूर्ण परिणाम होते हैं। यदि मिट्टी का तापमान हवा के तापमान से अधिक है, तो अतिरिक्त गर्मी निचले वायुमंडल में चली जाती है, जिससे वायुमंडलीय तापमान बढ़ जाता है।
अध्ययन के हवाले से, यूएफजेड रिमोट सेंसिंग विभाग के शोधकर्ता और प्रमुख डॉ. जियान पेंग बताते हैं कि, मिट्टी का तापमान मिट्टी की नमी और तापमान के बीच प्रतिक्रिया में एक कारक के रूप में कार्य करता है और इस प्रकार कुछ क्षेत्रों में गर्मी की अवधि को बढ़ा सकता है। इस आकलन का कई हाइड्रोलॉजिकल प्रक्रियाओं पर प्रभाव पड़ता है जो कृषि, खाद्य सुरक्षा, पारिस्थितिक तंत्र और स्थलीय कार्बन के भंडारण के लिए महत्वपूर्ण है।
पेंग कहते हैं, इन परिणामों को देखते हुए, गर्मी की चरम सीमा के प्रभावों पर अध्ययन, जो मुख्य रूप से हवा के तापमान पर गौर करते हैं लेकिन मिट्टी में गर्मी की चरम सीमा के कारक को कम करके आंकते है, इसका दोबारा मूलयांकन करना होगा।
अपेक्षित वैश्विक जलवायु परिदृश्य के आधार पर, शोध टीम ने यह जांचने के लिए पृथ्वी प्रणाली मॉडल के आंकड़ों का भी उपयोग किया कि कितनी बार मिट्टी का अत्यधिक तापमान वायुमंडल में लू को बढ़ा सकता है। उन्होंने पाया कि यदि दो डिग्री या तीन डिग्री परिदृश्य होता है, तो इसका मध्य यूरोप पर 1.5 डिग्री वार्मिंग की तुलना में बहुत अधिक प्रभाव पड़ेगा। उदाहरण के लिए, आठ फीसदी अधिक गर्म दिन हो सकते हैं, जिस दिन मिट्टी वातावरण में गर्मी छोड़ती है।
गार्सिया-गार्सिया का कहना है कि, इसके परिणामस्वरूप, हवा में गर्म मौसम की अवधि तेज हो जाएगी। इसलिए यह माना जा सकता है कि अत्यधिक गर्मी के विकास में मिट्टी तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।