दलदली जमीन की बहाली: हर साल आ सकती है कार्बन उत्सर्जन में 39 फीसदी की कमी

अध्ययन में पाया गया कि कार्बन संबंधी फायदों के लिए मीठे या ताजे पानी की आर्द्रभूमियों का प्रबंधन बाढ़ और सूखे के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है
दलदली जमीन की फिर से बहाली जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक गुप्त हथियार हो सकता है।
दलदली जमीन की फिर से बहाली जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक गुप्त हथियार हो सकता है।फोटो साभार: आईस्टॉक
Published on

एक नए अध्ययन में पाया गया है कि बाढ़ के मैदानों की दलदली जमीन को दोबारा बहाल करने से कार्बन उत्सर्जन में 39 फीसदी की कमी आती है। मात्र एक साल में ही अहम पारिस्थितिकी तंत्र की कार्यप्रणाली भी बहाल हो जाती है, वो भी बिना मीथेन में बढ़ोतरी के जो आमतौर पर पीटलैंड की बहाली में देखी जाती है।

पीटलैंड, जिसे माइर्स, बोग्स या मस्केग्स के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रकार की आर्द्रभूमि है, जिसमें आंशिक रूप से सड़े हुए पौधों के पदार्थ मिले होते हैं जिसे पीट कहा जाता है।

यह भी पढ़ें
दलदली भूमि से मीथेन उत्सर्जन में हो रही है भारी बढ़ोतरी: अध्ययन
दलदली जमीन की फिर से बहाली जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक गुप्त हथियार हो सकता है।

पीटलैंड को सबसे ज्यादा कार्बन सिंक के रूप में जाना जाता है, लेकिन फिर से बहाली के बाद ये 530 फीसदी तक अधिक मीथेन उत्पन्न कर सकते हैं। जबकि बाढ़ के मैदान, या नदी के तटीय दलदल, जो दुनिया की आर्द्रभूमियों के आधे से अधिक हिस्से का निर्माण करती हैं, अक्सर अपने कम कार्बन भंडारण के कारण अनदेखी कर दी जाती हैं।

जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल मैनेजमेंट में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि फिर से बहाल किए गए बाढ़ के मैदानों की दलदली जमीन एक साल के भीतर ठीक हो सकती हैं और तेजी से पारिस्थितिकी तंत्र को अहम फायदे पहुंचा सकती हैं।

यह भी पढ़ें
झीलों की गहराई में बढ़ती लू से जलीय जीवन पर बड़ा खतरा: शोध
दलदली जमीन की फिर से बहाली जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक गुप्त हथियार हो सकता है।

दलदली जमीन की फिर से बहाली जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक गुप्त हथियार हो सकता है। अध्ययन में पाया गया कि कार्बन संबंधी फायदों के लिए मीठे या ताजे पानी की आर्द्रभूमियों का प्रबंधन बाढ़ और सूखे के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जो फिर से बहाली के दोहरे फायदों को सामने लाते हैं।

जहां पुनर्जलीकरण और पुनर्वनीकरण से कार्बन उत्सर्जन में 39 फीसदी की कमी आई, वहीं बदली न गई नियंत्रित आर्द्रभूमियों से कुल कार्बन उत्सर्जन निगरानी अवधि के दौरान 169 फीसदी तक बढ़ गया।

यह भी पढ़ें
हर साल 20 टेराग्राम मीथेन उत्सर्जित कर रहे हैं वेटलैंड, 2002 के बाद से उत्सर्जन में नौ फीसदी की हुई वृद्धि
दलदली जमीन की फिर से बहाली जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक गुप्त हथियार हो सकता है।

सतही कार्बनिक कार्बन भंडार, जहां कार्बन पौधों की जड़ों और मिट्टी में जमा होता है, फिर से स्थापित जगहों पर एक साल के भीतर 12 फीसदी तक बढ़ गया और नियंत्रित जगहों पर 10 फीसदी कम हो गया, जिससे कार्बन अवशोषण क्षमता में अंतर दिखाई देता है।

फिर से बहाल की गई आर्द्रभूमियों में क्षेत्र में अधिक पानी बरकरार रहा, तथा मिट्टी की नमी का स्तर 55 फीसदी तक बढ़ गया, जबकि आर्द्रभूमियां स्वयं सूख चुकी थीं, जिससे सूखे को कम करने की क्षमता का पता चला।

यह भी पढ़ें
10 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन हो जाएगा कम, करना होगा यह काम
दलदली जमीन की फिर से बहाली जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक गुप्त हथियार हो सकता है।

मीठे या ताजे पानी की आर्द्रभूमियां, जो पृथ्वी की सतह के 10 फीसदी से भी कम हिस्से को कवर करती हैं, दुनिया भर में मीथेन उत्सर्जन में 25 फीसदी तक का योगदान देती हैं। इसके बावजूद लंबे समय तक कार्बन सिंक के रूप में इनमें बहुत बड़ी क्षमता है, जो दुनिया के कार्बन चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

मिट्टी में 45 फीसदी से अधिक नाइट्रोजन बरकरार रहने के कारण, फिर से बहाल किए गए आर्द्रभूमि में पोषक चक्रण में वृद्धि देखी गई, जो बेहतर जल गुणवत्ता से जुड़ा है और हानिकारक शैवाल प्रस्फुटन, ऑक्सीजन की कमी और प्रदूषण जैसे पारिस्थितिकी तंत्र के नष्ट होने को रोकने में मदद करता है।

यह भी पढ़ें
बढ़ती गर्मी से दलदल से भारी मात्रा में उत्सर्जित हो रही है मीथेन, सूक्ष्मजीव भी निपटने में नाकाम
दलदली जमीन की फिर से बहाली जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक गुप्त हथियार हो सकता है।

जल प्रवाह को दोबारा शुरू करके बहाल किए जाने के छह साल बाद बाढ़ के मैदान की आर्द्रभूमि की भी निगरानी की गई, जिसमें पाया गया कि सतही कार्बनिक कार्बन भंडार में 53 फीसदी की वृद्धि हुई, जिससे एक स्थायी फायदा होता है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in