रिसते भूजल से बेहिसाब मात्रा में निकल रही हैं ग्रीनहाउस गैसें: शोध

सतही जल की तुलना में भूजल में निकलने वाले सीओ2 की मात्रा 1.4 से 19.2 गुना अधिक थी और एन2ओ की मात्रा 1.1 से 40.6 गुना अधिक थी।
भूजल नदी की सतह पर या उससे ऊपर धारा के किनारों से रिस सकता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों के लिए भूजल से सीधे बाहर निकलने के रास्ते बन जाते हैं।
भूजल नदी की सतह पर या उससे ऊपर धारा के किनारों से रिस सकता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों के लिए भूजल से सीधे बाहर निकलने के रास्ते बन जाते हैं।फोटो साभार: आईस्टॉक
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एक शोध के मुताबिक, धाराएं और नदियां वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की भारी मात्रा में बढ़ोतरी कर सकती हैं। इन जल निकायों में ग्रीनहाउस गैसों को समाहित करने का एक तरीका भूजल है, जो नदियों के पास चट्टान और तलछट के माध्यम से रिसते और बहते समय कार्बन और नाइट्रोजन को ग्रहण करता है।

नदियों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर बहुत से शोध यह मानते हैं कि वायुमंडल में छोड़े जाने से पहले, भूजल में मौजूद गैसें नदियों और नालों की धाराओं के साथ मिल जाती हैं। लेकिन कम प्रवाह की स्थिति में, भूजल नदी की सतह पर या उससे ऊपर धारा के किनारों से रिस सकता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों के लिए भूजल से सीधे बाहर निकलने के रास्ते बन जाते हैं।

शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने भूजल से सीधे सतह पर आने वाले उत्सर्जन की मात्रा का अनुमान लगाने का प्रयास किया, जिसे भूजल निकलने के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कनेक्टिकट और मैसाचुसेट्स में फार्मिंगटन नदी जलग्रहण क्षेत्र में तीन जगहों पर नदी के किनारों पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापा, उन क्षेत्रों पर गौर किया जहां सामान्य गर्मियों के प्रवाह के मौसम में भूजल का निकलना जल-धाराओं से ऊपर था।

शोध के मुताबिक, हर एक धारा पर, शोधकर्ताओं ने खुले भूजल निकलने वाले क्षेत्रों के साथ और बिना धारा के किनारों की पहचान करने के लिए थर्मल इंफ्रारेड कैमरों का इस्तेमाल किया। एक बार जब इन धारा किनारों का पता लगा लिया गया, तो टीम ने ग्रीनहाउस गैसों कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2), नाइट्रस ऑक्साइड (एन2ओ) और मीथेन के प्रवाह को मापा, साथ ही धारा किनारों के साथ भूजल से निकलने वाले दरों को भी मापा।

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भूजल नदी की सतह पर या उससे ऊपर धारा के किनारों से रिस सकता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों के लिए भूजल से सीधे बाहर निकलने के रास्ते बन जाते हैं।

शोध के दौरान जमीन के अंदर के पानी के नमूने भी एकत्र किए गए और घुले हुए कार्बनिक कार्बन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन की मात्रा के लिए नमूनों का विश्लेषण किया गया।

जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च: बायोजियो साइंसेज में प्रकाशित शोध के मुताबिक, हर एक जगह पर, शोधकर्ताओं ने पाया कि सतही जल की तुलना में भूजल में निकलने वाले सीओ2 की मात्रा 1.4 से 19.2 गुना अधिक थी और एन2ओ की मात्रा 1.1 से 40.6 गुना अधिक थी।

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भूजल नदी की सतह पर या उससे ऊपर धारा के किनारों से रिस सकता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों के लिए भूजल से सीधे बाहर निकलने के रास्ते बन जाते हैं।

इसकी तुलना में, भूजल रिसाव के बिना धारा के हिस्से में एन2ओ सिंक के रूप में कार्य करते हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि सीओ2 और एन2ओ का भूजल से उत्सर्जन क्रमशः सतही जल से उत्सर्जन की तुलना में 1.5 और 1.6 गुना अधिक था। औसतन, भूजल रिसाव से 21 फीसदी उत्सर्जन सतही जल के साथ मिलने से पहले ही वायुमंडल में पहुंच जाता है।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया कि नदी के किनारों पर खुला भूजल के निकलने से नदी के गलियारे में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक बहुत बड़ा, अक्सर बेहिसाब स्रोत हो सकता है। नदी गलियारों से होने वाले उत्सर्जन को बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक काम किया जाना चाहिए, खासकर जहां भूजल भारी मात्रा में निकल रहा है।

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