तेजी से बढ़ते जलवायु संकट के कारण अतिरिक्त कार्बन उत्सर्जन की भरपाई करने के प्रयास में व्यावसायिक वृक्षारोपण में तेजी आई है। हालांकि, शोध में कहा गया है कि, ये कार्बन को कम करने के लिए वृक्षारोपण जैव विविधता और अन्य पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों को बर्बाद कर सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि, इसके बजाय, हमें पहले से बरकरार पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और बहाली को प्राथमिकता देनी चाहिए।
यह शोध ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पर्यावरण परिवर्तन संस्थान के जेसुस एगुइरे-गुतिरेज के नेतृत्व में किया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि, उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिक तंत्रों द्वारा दी जाने वाले बहुत सारे पारिस्थितिकी तंत्र कार्यों और सेवाओं के बावजूद, समाज ने इन पारिस्थितिक तंत्रों के महत्व को कम करके केवल एक मीट्रिक-कार्बन कर दिया है।
वर्तमान और नई नीति को कार्बन कैप्चर पर संकीर्ण दृष्टिकोण के साथ वृक्षारोपण के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र की बर्बादी को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। यह शोध ट्रेंड्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिकी तंत्र, जिसमें पेड़, घास के मैदान और सवाना शामिल हैं, वृक्षारोपण के लिए आकर्षक स्थल हैं क्योंकि उनकी जलवायु और भौतिक विशेषताएं तेजी तेजी से कार्बन को संग्रहित करते हैं। हालांकि कुछ वृक्षारोपण में खराब भूमि का पुनर्वनीकरण शामिल होता है, कई मामलों में इसमें वृक्षारोपण शामिल होता है, घास के मैदानों जैसे अपरिष्कृत और पहले से वनाच्छादित क्षेत्रों में पेड़ों को लगाना शामिल है।
अक्सर यह माना जाता है कि कार्बन भंडारण के लिए वृक्षारोपण से जैव विविधता को भी लाभ होता है और सामाजिक-आर्थिक लाभ बढ़ता है, लेकिन शोधकर्ताओं का तर्क है कि आमतौर पर ऐसा नहीं है। उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिकी तंत्र अत्यधिक जैव विविधता वाले हैं और वे कई पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे पानी की गुणवत्ता, मिट्टी का स्वास्थ्य और परागण बनाए रखना।
इसकी तुलना में, कार्बन भंडारण के लिए किया जाने वाला वृक्षारोपण आम तौर पर मोनोकल्चर होते हैं और विश्व स्तर पर केवल पांच पेड़ों की प्रजातियों - सागौन, महोगनी, देवदार, रेशम ओक और ब्लैक वाटले जैसे पेड़ों का प्रभुत्व होता है, जो लकड़ी, लुगदी या कृषि वानिकी के लिए उगाए जाते हैं।
शोध में कहा गया है कि, हालांकि ये वृक्षारोपण आर्थिक रूप से मूल्यवान हो सकते हैं, वे आम तौर पर निम्न स्तर की जैव विविधता को आगे बढ़ाते हैं। उदाहरण के लिए, ब्राज़ीलियाई सेराडो सवाना में, लकड़ी के आवरण में 40 फीसदी की वृद्धि से पौधों और चींटियों की विविधता लगभग 30 फीसदी कम हो गई। ये वृक्षारोपण जलधारा के प्रवाह को कम करके, भूजल को कम करके और मिट्टी को अम्लीय बनाकर सीधे पारिस्थितिकी तंत्र को खराब कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने तर्क देते हुए कहा कि कार्बन-संग्रहण वृक्षारोपण के लिए महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धताएं भी कार्बन संग्रहण करने की उनकी क्षमता में सीमित होंगी। उन्होंने कहा, कार्बन-संग्रहण के लिए किए जा रहे वृक्षारोपण की वर्तमान प्रवृत्ति हमें कम कार्बन लाभ के लिए बड़े पैमाने पर जैविक और कार्यात्मक समानता के रास्ते पर ले जा रही है। एक वर्ष के उत्सर्जन को कम करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और रूस के कुल क्षेत्रफल के बराबर क्षेत्र में वृक्षारोपण करना होगा।
उष्णकटिबंधीय घास के मैदान और सवाना पहले से ही कार्बन भंडार हैं। बरकरार रहने पर, उष्णकटिबंधीय घास के मैदान और सवाना जमीन के नीचे बड़ी मात्रा में कार्बन जमा करते हैं। शोध में कहा गया है कि, ऐसी जगहें जहां पहले से कार्बन जमा करने वाले पारिस्थिकी तंत्र है, वहां जबरन वृक्षारोपण करने से इनको नुकसान पहुंचने के आसार हैं, साथ ही ये जबरन लगाए गए नए पौधे, सूखे और आग लगने जैसी घटनाओं के प्रति कम असरदार होंगे।
शोधकर्ताओं का कहना है कि निजी कंपनियों के लिए कार्बन कैप्चर में निवेश करके अपने कार्बन उत्सर्जन की भरपाई करने के लिए काफी वित्तीय प्रोत्साहन हैं और कार्बन-संग्रहण से संबंधित वृक्षारोपण में उछाल पारिस्थितिकी से नहीं, बल्कि पैसे से प्रेरित है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं जैसे मापदंडों की तुलना में, कार्बन को मापना आसान है। लेकिन कार्बन संग्रहण के लिए वृक्षारोपण के फायदों पर अधिक जोर देना,पहले से बरकरार पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा को बर्बाद कर सकता है और कार्बन, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों के बीच नकारात्मक चीजों को जन्म दे सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि, व्यावसायिक वृक्षारोपण को तबज्जों देने के बजाय हमें पहले से बरकरार पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए। मूल पारिस्थितिकी तंत्र के कामकाज को बनाए रखने और यथासंभव अधिक से अधिक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को कार्बन संग्रहण परियोजनाओं पर चल रहे आर्थिक से ऊपर प्राथमिकता दी जानी चाहिए।