दर्ज किया गया जलवायु इतिहास का अब तक का सबसे गर्म जून, सामान्य से 1.05 डिग्री ज्यादा था तापमान

174 वर्षों के जलवायु इतिहास में अब तक का सबसे गर्म जून इस साल 2023 में दर्ज किया गया है। जब तापमान सामान्य से 1.05 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रिकॉर्ड किया गया
 गर्मी से बचने के लिए नहर के पानी में मुंह धोता भारतीय किसान; फोटो: आईस्टॉक
गर्मी से बचने के लिए नहर के पानी में मुंह धोता भारतीय किसान; फोटो: आईस्टॉक
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अब कोई शक नहीं रहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। इसका एक और उदाहरण जून 2023 में दर्ज किया गया। जब 174 वर्षों के जलवायु इतिहास में जून के दौरान तापमान शिकार पर पहुंच गया है।

यह पहला मौका है जब जून के महीने का औसत तापमान सामान्य से 1.05 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है। जिसने जून 2023 को अब तक का सबसे गर्म जून का महीना बना दिया।

नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) अपनी ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। यह रिपोर्ट 13 जुलाई 2023 को जारी की गई।

रिपोर्ट के अनुसार यह लगातार 47 वां जून का महीना है जब तापमान बीसवीं सदी के औसत तापमान से ज्यादा दर्ज किया गया है। इसी तरह पिछले 532 महीनों से कभी भी तापमान 20 वीं सदी के औसत तापमान से नीचे नहीं गया है। जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन का असर दुनिया पर हावी होता जा रहा है।

गौरतलब है कि इससे पहले जून के दौरान अब तक सबसे ज्यादा तापमान 2020 में दर्ज किया गया था, जब तापमान सामान्य से 0.92 डिग्री सेल्सियस था। हालांकि इस साल तापमान ने उस रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है।

वहीं जून 2019 के दौरान तापमान सामान्य से 0.9 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था जो उसे अब तक का तीसरा सबसे गर्म जून बनाता है। जून 2022 में भी तापमान सामान्य से 0.89 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रिकॉर्ड किया गया था।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि लगातार तीसरे महीने, वैश्विक रूप से महासागरों की सतह का औसत तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। वैज्ञानिकों की मानें तो मई में जो कमजोर अल नीनो की स्थिति पैदा हुई थी वो जून में और मजबूत हो गई है।

97 फीसदी आशंका, पांच सबसे गर्म वर्षों में शुमार होगा 2023

यदि महाद्वीपों पर बढ़ते तापमान के असर को देखें तो जहां अफ्रीका ने 2023 में अब तक के अपने तीसरे सबसे गर्म जून का सामना किया था। इसी तरह एशिया, यूरोप और दक्षिण अमेरिका के लिए यह अब तक का चौथा सबसे गर्म जून था। ओशिनिया में यह छठा और उत्तरी अमेरिका के लिए सातवां सबसे गर्म जून रहा।

कुछ ऐसे ही हालात देशों में भी दर्ज किए गए जब बढ़ता तापमान जून के दौरान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। रिपोर्ट के अनुसार यूके और नीदरलैंड्स ने अब तक के अपने सबसे गर्म जून का सामना किया। इसी तरह कैरिबियन क्षेत्र के लिए भी यह अब तक का सबसे गर्म जून रहा।

वहीं न्यूजीलैंड ने अपने पांचवे सबसे गर्म जून को अनुभव किया। चक्रवाती तूफान ‘बिपरजोय’ ने जून में काफी कहर ढाया था। इसी के चलते पाकिस्तान ने दूसरी बार जून के महीने में इतनी ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की है। भारत में भी इसकी वजह से अच्छी-खासी बारिश हुई थी।

बढ़ते तापमान को लेकर एनसीईआई ने आशंका जताई है कि इस बात की 97 फीसदी आशंका है कि 2023 शीर्ष पांच सबसे गर्म वर्षों में शुमार होगा। इसी तरह 2023 में शुरूआती छह महीनों को देखें तो वो अब तक की तीसरी सबसे गर्म अवधि है जब तापमान सामान्य (13.5 डिग्री सेल्सियस) से 1.01 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है।

यदि दुनिया भर में आए तूफानों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो जून में नौ तूफान आए थे। इनमें से चार के दौरान हवा की रफ्तार 74 मील प्रति घंटे या उससे अधिक दर्ज की गई। वहीं एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात के दौरान हवा की गति 111 मील प्रति घंटे को पार कर गई थी।

यदि जून के दौरान आर्कटिक और अंटार्कटिक में जमा समुद्री बर्फ की स्थिति पर गौर करें तो वो जून के दौरान अब तक की सबसे कम समुद्री बर्फ रही। आंकड़ों के मुताबिक इस साल जून के महीने में समुद्रों में जमा बर्फ अपने पिछले निम्नतम रिकॉर्ड, जून 2019 की तुलना में 330,000 वर्ग मील कम रही।

इसी तरह पिछले किसी भी जून के मुकाबले इस साल अंटार्कटिक में जमा समुद्री बर्फ सबसे कम दर्ज की गई। वहीं 13वां मौका है जब आर्कटिक में समुद्री बर्फ इतनी कम दर्ज की गई है।

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