कॉप-27: एक औसत भारतीय से लाखों गुणा ज्यादा उत्सर्जन कर रहे हैं कुछ गिने-चुने उद्योगपति

दुनिया के इन सिर्फ 125 अरबपतियों द्वारा किया निवेश हर साल 39.3 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन कर रहा है, जोकि फ्रांस के कुल उत्सर्जन के बराबर है
कॉप-27: एक औसत भारतीय से लाखों गुणा ज्यादा उत्सर्जन कर रहे हैं कुछ गिने-चुने उद्योगपति
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क्या आप जानते हैं कि दुनिया के कुछ गिने-चुने धनाढ्य उद्योगपति एक औसत भारतीय से लाखों गुणा ज्यादा उत्सर्जन करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के इन सिर्फ 125 अरबपतियों द्वारा किया निवेश हर साल 39.3 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन कर रहे हैं, जोकि फ्रांस के कुल उत्सर्जन के बराबर है। फ्रांस जिसकी कुल आबादी 6.7 करोड़ से ज्यादा है। 

इनमें से हर एक अरबपति औसतन हर साल 31 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन कर रहा है, जोकि न केवल भारत बल्कि दुनिया की 90 फीसदी आबादी द्वारा किए जा रहे प्रति व्यक्ति उत्सर्जन से 10 लाख गुणा ज्यादा है। एक औसत व्यक्ति हर साल करीब  2.76 टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन करता है।  

आम लोगों के विपरीत यह जाने-माने अमीर लोग भारी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन कर रहे हैं। वहीं इनके उत्सर्जन का 50 से 70 फीसदी इनके निवेश से होता है। इतना ही नहीं, रिपोर्ट से पता चला है कि इन अरबपतियों की 183 कंपनियों में सामूहिक रूप से 196.8 लाख करोड़ रुपए (2.4 लाख करोड़ डॉलर) से ज्यादा की हिस्सेदारी है।

रिपोर्ट में यह भी माना गया है कि इन उद्योगपतियों द्वारा किए जा रहे उत्सर्जन के जो वास्तविक आंकड़े हैं वो इससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि कॉरपोरेट्स द्वारा प्रकाशित कार्बन उत्सर्जन और उसके वास्तविक प्रभावों को व्यवस्थित रूप से कम करके दिखाया जाता है। यह अरबपति और कॉरपोरेट सार्वजनिक रूप से अपने उत्सर्जन को प्रकट नहीं करते हैं।

उनके अनुसार इन अरबपतियों की लक्ज़री जीवन शैली, उनके निजी जेट और नौकाओं से होता उत्सर्जन औसत व्यक्ति के उत्सर्जन का हजारों गुना है, जो पहले ही पूरी तरह अस्वीकार्य है। लेकिन यदि हम उनके निवेश से होने वाले उत्सर्जन को देखें, तो उनका कार्बन उत्सर्जन एक औसत व्यक्ति से दस लाख गुना ज्यादा है।

अदाणी, अंबानी जैसे दिग्गज भारतीय उद्योगपति भी हैं शामिल

इस बारे में अंतराष्ट्रीय संगठन ऑक्सफेम द्वारा जारी रिपोर्ट “कार्बन बिलियनएयर: द इन्वेस्टमेंट एमिशन्स ऑफ द वर्ल्डस रिचेस्ट पीपल” से पता चला है कि इन 125 उद्योगपतियों की लिस्ट में 11 भारतीय उद्योगपति भी शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक इनमें विप्रो प्रमुख अजीम प्रेमजी, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साइरस पूनावाला, सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज के दिलीप सांघवी, अदानी उद्योग के गौतम अदाणी, कुमार बिरला, आर्सेलर मित्तल के लक्ष्मी मित्तल, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मुकेश अंबानी, जेएसडब्ल्यू ग्रुप की सावित्री जिंदल, एचसीएल प्रौद्योगिकी के शिव नादर, भारती एयरटेल के सुनील मित्तल और कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक शामिल हैं।

इस बारे में ऑक्सफैम में क्लाइमेट चेंज लीड नफकोटे डाबी का कहना है कि, “इन कुछ अरबपतियों के निवेश से जुड़ा उत्सर्जन, फ्रांस, मिस्र या अर्जेंटीना जैसे देशों के कुल कार्बन फुटप्रिंट के बराबर है। हालांकि इसके बावजूद कुल उत्सर्जन में इन अमीरजादों की प्रमुखता और बढ़ती जिम्मेवारी पर शायद ही कभी चर्चा या जलवायु सम्बन्धी नीतियों के निर्माण में शामिल की जाती हैं।“

ऐसे में उनका कहना है कि इस सोच में बदलाव लाना होगा। कॉरपोरेट पिरामिड के शीर्ष पर स्थित इन अरबपतियों की जलवायु परिवर्तन में अहम भूमिका है इसके बावजूद वो लम्बे समय से अपनी जवाबदेही से बचते रहे हैं।

रिपोर्ट से पता चला है कि इन पूंजीपतियों ने अपने निवेश का औसतन 14 फीसदी हिस्सा ऊर्जा और सीमेंट जैसे प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर निवेश किया हुआ है। इस बारे में डाबी का कहना है कि इन बड़े कॉरपोरेट और उनके अमीर निवेशकों को जवाबदेह बनना होगा। उन्हें इसे छिपाने या ग्रीनवॉश करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

पिछले कुछ दशकों में जलवायु परिवर्तन का मुद्दा लगातार गर्माता जा रहा है। इस मुद्दे पर जोरों से चर्चाएं भी हो रही हैं, लेकिन इसके बावजूद जलवायु की मार झेल रहे उस पिछड़े और कमजोर तबके की व्यथा अभी भी जस की तस है। यह पिछड़ा और कमजोर वर्ग वैश्विक उत्सर्जन के बहुत छोटे हिस्से के लिए जिम्मेवार है, लेकिन इसके बावजूद वो इसके प्रभावों से सबसे ज्यादा पीड़ित है।

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