विश्व में 27 फीसदी उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार है अकेला चीन: रिपोर्ट

आंकड़ों के अनुसार 2019 में अकेले चीन 14 गीगाटन से ज्यादा उत्सर्जन किया था जोकि विकसित देशों द्वारा किए कुल उत्सर्जन से भी ज्यादा था
चीन के हुनान शहर में एक थर्मल पावर प्लांट से होता उत्सर्जन, फोटो: विकीमीडिया
चीन के हुनान शहर में एक थर्मल पावर प्लांट से होता उत्सर्जन, फोटो: विकीमीडिया
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हाल ही में रोडियम ग्रुप द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चला है कि 2019 में विश्व के 27 फीसदी ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए अकेला चीन जिम्मेवार था। जिसका मतलब है कि चीन द्वारा जितना उत्सर्जन किया गया था, उतना तो सभी विकसित देशों ने मिलकर भी नहीं किया था।

यदि 1990 की बात करें तो उस समय चीन द्वारा किया जा रहा उत्सर्जन विकसित देशों के एक चौथाई से भी कम था, लेकिन पिछले तीन दशकों में यह तीन गुना से ज्यादा बढ़ चुका है। वहीं पिछले एक दशक में इसमें 25 फीसदी का इजाफा हो चुका है। गौरतलब है कि 2019 में यह उत्सर्जन बढ़कर 14 गीगाटन से ज्यादा हो चुका था।

यदि 2019 के लिए जारी आंकड़ों को देखें तो इस वर्ष में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़कर करीब 52 गीगाटन तक पहुंच गया था, जोकि पिछले एक दशक में 11 फीसदी बढ़ चुका है। इसके करीब 27 फीसदी के लिए अकेला चीन और 11 फीसदी के लिए अमेरिका जिम्मेवार था। हालांकि भारत की भी हिस्सेदार 6.6 फीसदी थी।

इसके बाद 6.4 फीसदी के साथ यूरोपियन यूनियन चौथे और 3.4 फीसदी के साथ इंडोनेशिया पांचवें स्थान पर था। वहीं रूस की हिस्सेदारी 3.1 फीसदी, ब्राजील की 2.8 और जापान की 2.2 फीसदी थी। इस विश्लेषण में वैश्विक उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार छह प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों साथ ही भूमि उपयोग और वनों को भी शामिल किया गया है।

प्रति व्यक्ति के आधार पर देखें तो अमेरिका है सबसे बड़ा उत्सर्जक

2019 में चीन द्वारा किया उत्सर्जन न केवल अमेरिका से ज्यादा हो चुका था साथ ही यह सभी विकसित देशों द्वारा किए कुल उत्सर्जन से भी बढ़ गया था। यदि 2019 में आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के सभी सदस्य देशों और 27 यूरोपियन यूनियन के देशों द्वारा किए कुल उत्सर्जन को देखें तो वो करीब 14,057 मिलियन मीट्रिक टन था जोकि चीन द्वारा किए कुल उत्सर्जन 14,093 मिलियन मीट्रिक टन से 36 मिलियन मीट्रिक टन कम था।

हालांकि यदि आबादी के आधार पर देखें तो चीन एक बड़ा देश है जहां 140 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। इस लिहाज से उसका प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विकसित देशों से काफी कम है। 2019 में चीन का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 10.1 टन था, जोकि पिछले दो दशकों में तीन गुना बढ़ चुका है। यह ओईसीडी के सभी सदस्य देशों द्वारा किए जा रहे प्रति व्यक्ति औसत उत्सर्जन 10.5 टन से थोड़ा ही कम था। हालांकि इसके बावजूद भी यह अमेरिका के प्रति व्यक्ति औसत उत्सर्जन 17.6 टन से काफी कम है।

इस हिसाब से देखें तो अमेरिका का प्रति व्यक्ति औसत उत्सर्जन दुनिया में सबसे ज्यादा है। विश्लेषण में अनुमान लगाया गया है कि 2020 में चीन का प्रति व्यक्ति औसत उत्सर्जन ओईसीडी से  ज्यादा हो सकता है। एक तरफ कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर के देशों द्वारा किए जा रहे उत्सर्जन में तेजी से गिरावट आई है वहीं चीन के शुद्ध उत्सर्जन में 1.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। 

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