2100 तक अंटार्कटिका के एम्परर पेंगुइन समेत 97 फीसदी प्रजातियों पर विलुप्ति का साया

जलवायु परिवर्तन को कम करके तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने से 68 प्रतिशत स्थलीय प्रजातियों और समुद्री पक्षियों को फायदा होगा
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स, लिन पद्घम, एम्परर पेंगुइन
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एक नए शोध के मुताबिक अंटार्कटिका की पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए बहुत अधिक संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता है। शोध में कहा गया है कि यदि तरीकों में बदलाव नहीं किया गया तो अंटार्कटिका में  रहने वाली प्रजातियों की 97 प्रतिशत तक की आबादी में 2100 तक भारी गिरावट आ सकती है।

शोध में यह भी पाया गया कि अंटार्कटिका की जैव विविधता के खतरों को कम करने के लिए दस प्रमुख रणनीतियों को लागू करने के लिए हर साल केवल 23 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ही जरूरत है। यह अपेक्षाकृत छोटी सी राशि 84 प्रतिशत स्थलीय पक्षी, स्तनपायी और पौधों की प्रजातियों को फायदा पहुंचाएगी।

अध्ययनकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन को अंटार्कटिका के अनोखे पौधों और जानवरों की प्रजातियों के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में पहचान की है। उन्होंने कहा ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करना उनके भविष्य को सुरक्षित करने का सबसे प्रभावी तरीका है।

अंटार्कटिका की जैव विविधता के लिए खतरा

अंटार्कटिका की धरती पर रहने वाली प्रजातियों ने पृथ्वी पर सबसे ठंडे, हवादार और सबसे शुष्क महाद्वीप में अपने को जीवित रहने के लिए अनुकूलित किया है।

प्रजातियों में दो फूल वाले पौधे, हार्डी मॉस और लाइकेन, कई सूक्ष्म जीव, जटिल अकशेरूकीय और सैकड़ों हजारों समुद्री पक्षी शामिल हैं, जिनमें एम्परर और एडेली पेंगुइन शामिल हैं।

अंटार्कटिका ग्रह और मानव जाति को अमूल्य सेवाएं भी प्रदान करता है। यह वायुमंडलीय प्रसार और महासागरीय धाराओं को चलाकर और गर्मी और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके वैश्विक जलवायु को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह दुनिया भर के  मौसम के मिजाज में भी बदलाव करता है।

कुछ लोग अंटार्कटिका को एक सुरक्षित, संरक्षित जंगल मानते हैं। लेकिन महाद्वीप के पौधों और जानवरों को अभी भी कई खतरों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें जलवायु परिवर्तन प्रमुख है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, अंटार्कटिका के बिना बर्फ वाले जगहों के बढ़ने का पूर्वानुमान लगाया गया है, जिससे वन्य जीवन के लिए उपलब्ध आवास तेजी से बदल रहे हैं।

जैसे-जैसे चरम मौसम की घटनाएं जैसे लू या हीटवेव अधिक होती जाती हैं, अंटार्कटिका के पौधों और जानवरों को नुकसान होने की उतनी अधिक आशंका है।

इतना ही नहीं, हर साल बर्फीले महाद्वीप पर जाने वाले वैज्ञानिक और पर्यटक पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं, उदाहरण के लिए, प्रदूषण और जमीन या पौधों के साथ छेड़-छाड़ करना। अंटार्कटिका में अधिक लोगों के आने से बढ़ते तापमान से भी आक्रामक प्रजातियों के पनपने की स्थिति पैदा करता है।

तो ये खतरे अंटार्कटिका प्रजातियों को कैसे प्रभावित करेंगे? और उन्हें कम करने के लिए कौन सी संरक्षण रणनीतियों का उपयोग किया जा सकता है? अध्ययनकर्ता ने बताया, हमारा शोध उत्तर खोजने के लिए निर्धारित किया गया है।

अध्ययन में क्या पाया?

अध्ययनकर्ता ने कहा, हमारे अध्ययन में अंटार्कटिका जैव विविधता, संरक्षण, रसद, पर्यटन और नीति को लेकर 29 विशेषज्ञों के साथ काम करना शामिल था। विशेषज्ञों ने इस बात का मूल्यांकन किया कि अंटार्कटिका की प्रजातियां भविष्य के खतरों पर कैसे प्रतिक्रिया देंगी।

सबसे खराब स्थिति के तहत, अंटार्कटिका स्थलीय प्रजातियों की 97 प्रतिशत आबादी और समुद्री पक्षी अब और 2100 के बीच घट सकते हैं, यदि वर्तमान संरक्षण प्रयास समान प्रक्षेपवक्र पर रहते हैं।

सबसे अच्छी स्थिति में भी, 37 प्रतिशत प्रजातियों की आबादी घट जाएगी। सबसे संभावित परिदृश्य वर्ष 2100 तक महाद्वीप के 65 फीसदी पौधों और वन्य जीवन में गिरावट आ सकती है।

एम्परर पेंगुइन का प्रजनन बर्फ पर निर्भर है और अंटार्कटिका की प्रजातियों में सबसे कमजोर है। सबसे खराब स्थिति में, एम्परर पेंगुइन को 2100 तक विलुप्त होने का खतरा है।

जलवायु परिवर्तन के कारण अन्य अंटार्कटिका प्रजातियों पर भी कहर बरपा सकती है, जैसे कि नेमाटोड कृमि स्कॉटनेमा लिंडसे, जो प्रजाति बेहद शुष्क मिट्टी में रहती है, गर्म होने और बर्फ के पिघलने से मिट्टी की नमी बढ़ने का खतरा होता है।

जलवायु परिवर्तन से सभी अंटार्कटिका प्रजातियों में गिरावट नहीं आएगी, वास्तव में, शुरुआत में कुछ को लाभ हो सकता है। इनमें दो अंटार्कटिक पौधे, कुछ मॉस और जेंटू पेंगुइन शामिल हैं।

ये प्रजातियां अपनी आबादी बढ़ा सकती हैं और अधिक तरल पानी, अधिक बिना बर्फ वाली भूमि और बढ़ते तापमान की स्थिति में अधिक व्यापक रूप से फैल सकती हैं।

अंटार्कटिका की प्रजातियों के संरक्षण के लिए क्या करना होगा?

स्पष्ट रूप से, बदलती दुनिया में अंटार्कटिका की प्रजातियों के संरक्षण के लिए वर्तमान संरक्षण प्रयास काफी नहीं हैं। अध्ययनकर्ताओं  ने बताया उन्होंने जिन विशेषज्ञों के साथ काम किया उन्होंने महाद्वीप की भूमि आधारित प्रजातियों के लिए खतरों को कम करने के लिए दस प्रबंधन रणनीतियों की पहचान की।

अप्रत्याशित रूप से, जलवायु परिवर्तन को कम करने, बाहरी नीति को प्रभावित करने की रणनीति के रूप में सूचीबद्ध कर सबसे बड़ा फायदा पहुंचाएगा। जलवायु परिवर्तन को कम करके तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने से 68 प्रतिशत स्थलीय प्रजातियों और समुद्री पक्षियों को फायदा होगा।

अगली दो सबसे अधिक लाभकारी रणनीतियों में "गैर-देशी प्रजातियों और बीमारी का प्रबंधन" और "प्रजातियों का प्रबंधन और सुरक्षा।" इन रणनीतियों में प्रजातियों को विशेष सुरक्षा प्रदान करने और गैर-देशी प्रजातियों को रोकने के लिए जैव सुरक्षा बढ़ाने जैसे उपाय शामिल हैं।

इस सब पर कितना खर्च होगा?

संयुक्त राष्ट्र का कॉप 15 प्रकृति शिखर सम्मेलन इस सप्ताह कनाडा में संपन्न हुआ। जिसका संरक्षण परियोजनाओं के लिए धन देना एक मुख्य विषय  था। अंटार्कटिका में, कम से कम, ऐसा संरक्षण सस्ता है। हमारे शोध में पाया गया कि सभी रणनीतियों को एक साथ लागू करने में 2100 तक प्रति वर्ष 23 मिलियन अमेरिकी डॉलर (या कुल मिलाकर लगभग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर) खर्च हो सकते हैं।

तुलनात्मक रूप से, ऑस्ट्रेलिया की लुप्तप्राय प्रजातियों को फिर से हासिल करने की प्रति वर्ष लागत 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है, हालांकि यह वास्तव में खर्च की गई राशि से कहीं अधिक है।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा हालांकि, बाहरी नीति को प्रभावित करने की रणनीति, जलवायु परिवर्तन शमन से संबंधित बदलावों के लिए हमने केवल नीति परिवर्तन की वकालत करने की लागत को शामिल किया। उन्होंने बताया कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने की वैश्विक लागत को शामिल नहीं किया और न ही हमने कार्य न करने की बहुत अधिक आर्थिक लागतों के विरुद्ध इसे संतुलित किया।

अंटार्कटिका जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के बढ़ते दबाव का सामना कर रहा है, जिसे क्षेत्रीय और वैश्विक संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता है। अंटार्कटिका की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए प्रति वर्ष केवल 23 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करना एक पूर्ण सौदा हो सकता है। यह अध्ययन पीएलओएस बायोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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