80 फीसदी स्ट्रोक रोके जा सकते हैं, यदि लक्षणों को समय पर पहचाना जाए और उपचार तुरंत किया जाए। फोटो साभार: आईस्टॉक
स्वास्थ्य

विश्व स्ट्रोक दिवस 2025: जागरूकता ही बचाव की सबसे बड़ी दवा

हर साल लगभग 1.5 करोड़ लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं, जिनमें से 50 लाख की मौत हो जाती है और 50 लाख स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं।

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  • 80 फीसदी स्ट्रोक रोके जा सकते हैं, यदि लक्षणों को समय पर पहचाना जाए और उपचार तुरंत किया जाए।

  • हर साल 1.5 करोड़ लोग स्ट्रोक का शिकार, इनमें से लगभग 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है और 50 लाख स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं।

  • मुख्य कारण: उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, हृदय रोग, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और निष्क्रिय जीवनशैली।

  • मुख्य लक्षण: चेहरे का टेढ़ा होना, हाथ या पैर में कमजोरी, बोलने में कठिनाई - ये संकेत तुरंत चिकित्सा सहायता की मांग करते हैं।

  • रोकथाम के उपाय: नियमित स्वास्थ्य जांच, संतुलित आहार, व्यायाम, धूम्रपान से परहेज और तनाव नियंत्रण से स्ट्रोक का खतरा घटाया जा सकता है।

हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य इस घातक बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना और समय पर पहचान व उपचार के महत्व को सामने लाना है।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) के अनुसार, लगभग 80 फीसदी स्ट्रोक मामलों को समय पर पहचान और उपचार से रोका जा सकता है। चेहरे का टेढ़ा होना, एक हाथ का कमजोर पड़ना, या बोलने में कठिनाई जैसे लक्षणों को पहचानना जीवन बचा सकता है।

स्ट्रोक क्या है?

स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह अचानक रुक जाता है। यह या तो धमनी में रुकावट (इस्केमिक स्ट्रोक) के कारण होता है, या मस्तिष्क में रक्तस्राव (हेमरेजिक स्ट्रोक) से। जब मस्तिष्क को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिलते, तो कोशिकाएं मरने लगती हैं, जिससे स्थायी क्षति हो सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर साल लगभग 1.5 करोड़ लोग स्ट्रोक का शिकार होते हैं, जिनमें से 50 लाख की मौत हो जाती है और 50 लाख स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं। यह न केवल व्यक्ति बल्कि पूरे परिवार और समाज पर भारी बोझ डालता है।

स्ट्रोक के प्रमुख लक्षण

  • चेहरे का अचानक टेढ़ा होना

  • एक हाथ या पैर में कमजोरी या लकवा

  • बोलने या समझने में कठिनाई

  • अचानक धुंधला दिखना या दृष्टि खो जाना

  • चक्कर आना या संतुलन बिगड़ना

इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए, हर मिनट की देरी खतरनाक साबित हो सकती है।

स्ट्रोक के मुख्य कारण

1. उच्च रक्तचाप

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, उच्च रक्तचाप स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है। अनियंत्रित रक्तचाप से स्ट्रोक का खतरा चार गुना तक बढ़ जाता है। भारत में हर तीन में से एक वयस्क को उच्च रक्तचाप है, लेकिन केवल 25 फीसदी लोग ही इसे नियंत्रित रख पाते हैं।

2. धूम्रपान

निकोटिन और कार्बन मोनोऑक्साइड दोनों ही रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। धूम्रपान करने वालों में स्ट्रोक का खतरा चार गुना अधिक होता है। यहां तक कि पैसिव स्मोकिंग यानी दूसरे के धुएं के संपर्क में रहना भी खतरनाक है।

3. हृदय रोग

दिल की अनियमित धड़कन और हार्ट फेल्योर जैसी स्थितियां रक्त में थक्के बनने का कारण बनती हैं, जो मस्तिष्क तक जाकर स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं। एएचए के अनुसार, एएफआईबी वाले मरीजों में स्ट्रोक का खतरा पांच गुना अधिक होता है।

4. मधुमेह

डायबिटीज रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और उनमें चर्बी जमा कर देती है। इससे मस्तिष्क की नसें बंद हो सकती हैं। अध्ययन बताते हैं कि डायबिटीज मरीजों में स्ट्रोक का खतरा 1.8 गुना तक बढ़ जाता है।

5. उच्च कोलेस्ट्रॉल

एलडीएल या “खराब कोलेस्ट्रॉल” धमनियों में प्लाक जमा करता है। ये प्लाक टूटकर मस्तिष्क में रक्त प्रवाह रोक सकते हैं। एनआईएच के अनुसार, एलडीएल को 1 एमएमओएल/लीटर कम करने से स्ट्रोक का खतरा 20 फीसदी तक घटता है।

6. मोटापा और निष्क्रिय जीवन शैली

अधिक वजन और शारीरिक निष्क्रियता उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और डायबिटीज का कारण बनते हैं, जो सभी स्ट्रोक के खतरों को बढ़ाते हैं। हर दिन 30 मिनट की तेजी से चलने से स्ट्रोक की संभावना को 25 फीसदी तक कम कर सकता है।

स्ट्रोक की रोकथाम के सरल उपाय

  • रक्तचाप, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच करना

  • धूम्रपान और तंबाकू से पूरी तरह दूर रहना

  • संतुलित आहार अपनाना: फलों, सब्जियों और साबुत अनाज को प्राथमिकता देना

  • व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाना

  • तनाव कम करें और पर्याप्त नींद लेना

स्ट्रोक अचानक आने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवनशैली का परिणाम है। यह “साइलेंट किलर” समय पर पहचान और जागरूकता से रोका जा सकता है। विश्व स्ट्रोक दिवस 2025 पर आइए हम यह संकल्प लें “स्ट्रोक को समझें, लक्षण पहचानें, और समय पर कदम उठाकर जीवन बचाएं।