

दिल्ली और मुंबई में प्रदूषण के हालात बिगड़ते जा रहे हैं, जबकि ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 280 तक पहुंच गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, देश के 43 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक है। ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 522 फीसदी अधिक है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।
देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती 44 फीसदी उछाल के साथ बढ़कर 13 पर पहुंच गई है।
कल देश में रतलाम की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 245 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 71 अंकों के सुधार के साथ वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 174 पर पहुंच गया है।
दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 8 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर ग्रेटर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 34 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 199 पर पहुंच गया। वहीं फरीदाबाद की बात करें तो वायु गुणवत्ता सूचकांक मामूली इजाफे के साथ 117 रिकॉर्ड किया गया।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में 4 उत्तर प्रदेश के शहर (ग्रेटर नोएडा, बुलन्दशहर, गाजियाबाद, नोएडा) शामिल हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 11 अक्टूबर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां महज 15 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 43 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 43 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा संतोषजनक है। हालांकि चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में भारी गिरावट आई है।
रुझानों से पता चला है कि आज जहां देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 14 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। वहीं सन्तोषजनक हवा वाले शहरों की संख्या में करीब 13.6 फीसदी का इजाफा हुआ है। दूसरी तरफ मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब नौ फीसदी की गिरावट आई है। चिंता की बात यह है कि देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती 44 फीसदी उछाल के साथ बढ़कर 13 पर पहुंच गई है।
इसके साथ ही आज उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हवा खराब दर्ज की गई है।
आंकड़ों में सामने आया है कि आज प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 285 दर्ज किया गया। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में है। इस दौरान वहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) हावी रहे।
देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी सुरक्षित सीमा से 522 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि कल ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता का स्तर 203 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 77 अंकों का भारी उछाल आया है।
कल देश में रतलाम की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 245 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 71 अंकों के सुधार के साथ वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 174 पर पहुंच गया है।
दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 8 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर ग्रेटर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 34 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 199 पर पहुंच गया। वहीं फरीदाबाद की बात करें तो वायु गुणवत्ता सूचकांक मामूली इजाफे के साथ 117 रिकॉर्ड किया गया।
आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में वापी (276) दूसरे जबकि बुलन्दशहर (270) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 258 अंकों के साथ बल्लभगढ़ चौथे स्थान पर है। बीकानेर-गाजियाबाद में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 256 और 242 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज बिलीपाड़ा (228) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज नोएडा (225), भिवाड़ी (222), गुरूग्राम (220) और बहादुरगढ़ (219) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में 4 उत्तर प्रदेश के शहर (ग्रेटर नोएडा, बुलन्दशहर, गाजियाबाद, नोएडा) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आज जहां वापी, बल्लभगढ़, धारूहेड़ा, सांगली, दिल्ली, रोहतक, अहमदाबाद, चित्तूर, मेरठ, हापुड, हाजीपुर, लातूर, मंडीदीप, विरार, गुम्मिडिपूंडी, सागर, अंगुल, तालचेर, तिरुपति, हैदराबाद आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी है।
वहीं ग्रेटर नोएडा, बुलन्दशहर, बीकानेर, गाजियाबाद, बिलीपाड़ा, नोएडा, भिवाड़ी, गुरूग्राम, बहादुरगढ़, टोंक, नागौर, रतलाम, पीथमपुर, पाली, जालौर, मीरा-भायंदर, नासिक, बागपत, धौलपुर, जयपुर, पिंपरी-चिंचवाड, हनुमानगढ़, मुंबई, सोलापुर, ठाणे, चुरू, कोटा, श्री गंगानगर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बोईसर, दमोह, बारबिल, आगरा, ग्वालियर, मुरादाबाद, मालेगांव, मानेसर, गांधीनगर, पुणे, कटनी, नवी मुंबई, सूरत, बांसवाड़ा, भोपाल, उदयपुर, बाड़मेर, बद्दी, जबलपुर, जैसलमेर, सीकर, भिवंडी, भरतपुर, अमरावती (महाराष्ट्र), झुंझुनूं, झांसी आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत आज देश के 15.3 फीसदी यानी 36 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में गंगटोक, गुवाहाटी, हावेरी, हुबली, कलबुर्गी, कांचीपुरम, करूर, कारवार, कोरबा, मदिकेरी, मोतिहारी, मुंगेर, मैसूर, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, रामनगर, रामनाथपुरम, शिलांग आदि शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 14 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। दूसरी तरह आज देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में 13.6 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है।
आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें हावड़ा, जालंधर, जलगांव, जलना, जींद, कन्नूर, करनाल, काशीपुर, कटिहार, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कुरूक्षेत्र, लुधियाना, मदुरै, महाड, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मांडीखेड़ा, मंगुराहा, मुजफ्फरपुर, नगांव, नलबाड़ी, नमक्कल, नांदेड़, नयागढ़, पलवल, पंचगांव, पंचकुला, पटियाला, प्रतापगढ़, प्रयागराज आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 86 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, अमरावती (महाराष्ट्र), अंगुल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बागपत, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बाड़मेर, बेलापुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, बोईसर, ब्यासनगर, चित्तूर, चुरू, दमोह, दिल्ली, धौलपुर, फरीदाबाद, गांधीनगर, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हापुड, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, कानपुर, कटनी, क्योंझर, कोटा, लातूर, लखनऊ, मालेगांव, मंडीदीप, मानेसर, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरनगर, नागौर, नागपुर, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, पुणे, रतलाम, रोहतक, सागर, सासाराम, सवाई माधोपुर, सीकर, सिंगरौली, सिवान, सोलापुर, श्री गंगानगर, सूरत, तालचेर, ठाणे, तिरुपति, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, विरार, विशाखापत्तनम, वृंदावन शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब नौ फीसदी की गिरावट आई है।
हालांकि दूसरी तरफ देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में 44 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जोकि बेहद चिंता का विषय है। आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है, उनमें बहादुरगढ़, बल्लभगढ़, भिवाड़ी, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बुलन्दशहर, धारूहेड़ा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, नोएडा, सांगली, वापी शामिल हैं।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 235 में से 36 शहरों (-14.3 फीसदी) में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 100 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 10 अक्टूबर 2025 को यह आंकड़ा 88 दर्ज किया गया था।
86 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में ग्रेटर नोएडा (280) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 300 के करीब पहुंच गया। कल रतलाम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 245 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। दिल्ली में 29 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 199 पर पहुंच गया है। हालांकि दिल्ली में वायु गुणवत्ता अभी भी मध्यम श्रेणी में बनी हुई है।
वहीं फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता सूचकांक में एक अंक का मामूली उछाल आया है, जिसके साथ ही एक्यूआई 117 पर पहुंच गया है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज बल्लभगढ़ चौथे स्थान पर है, वहीं वापी (276) दूसरे, जबकि बुलन्दशहर (270) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 136, गाजियाबाद में 242, गुवाहाटी में 47, गुरूग्राम में 220, नोएडा में 225, ग्रेटर नोएडा में 280 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 152 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 116, चेन्नई में 75, चंडीगढ़ में 83, हैदराबाद में 108, जयपुर में 161 और पटना में 114 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 36 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, बागलकोट, चामराजनगर, चरखी दादरी, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, गंगटोक, गुवाहाटी, हावेरी, हुबली, कलबुर्गी, कांचीपुरम, करूर, कारवार, कोरबा, मदिकेरी, मोतिहारी, मुंगेर, मैसूर, नागपट्टिनम, नाहरलगुन, ऊटी, पालकालाइपेरुर, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, रामनगर, रामनाथपुरम, शिलांग, शिवमोगा, शिवसागर, तंजावुर, थूथुकुडी, तिरुनेलवेली, तुमिडीह, विजयपुरा शामिल हैं।
वहीं अहमदनगर, अकोला, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमृतसर, अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, अरियालूर, आरा, आसनसोल, बालासोर, बरेली, बारीपदा, बैरकपुर, बठिंडा, बेगूसराय, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, चंडीगढ़, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चित्तौड़गढ़, कुड्डालोर, कटक, दावनगेरे, देहरादून, धनबाद, धारवाड़, डिंडीगुल, डूंगरपुर, दुर्गापुर, एलूर, फिरोजाबाद, गया, गोरखपुर, हल्दिया, होसुर, हावड़ा, जालंधर, जलगांव, जलना, जींद, कन्नूर, करनाल, काशीपुर, कटिहार, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कुरूक्षेत्र, लुधियाना, मदुरै, महाड, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मांडीखेड़ा, मंगुराहा, मुजफ्फरपुर, नगांव, नलबाड़ी, नमक्कल, नांदेड़, नयागढ़, पलवल, पंचगांव, पंचकुला, पटियाला, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, रानीपेट, राउरकेला, रूपनगर, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिरसा, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, वातवा, विजयवाड़ा, यादगीर आदि 100 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।