प्रदूषण का हाल: देश के 47 फीसदी शहरों में हवा साफ, श्रीगंगानगर में स्थिति सबसे खराब

अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 10 फीसदी का इजाफा हुआ है
प्रदूषण का हाल: देश के 47 फीसदी शहरों में हवा साफ, श्रीगंगानगर में स्थिति सबसे खराब
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देश में लगातार साफ हवा वाले शहरों की गिनती में इजाफा हो रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 17 जून 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण में सामने आया है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब दस फीसदी का इजाफा हुआ है।

इसके साथ ही देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती बढ़कर 103 पर पहुंच गई। मतलब की देश के करीब 47 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं दूसरी तरफ देश में श्रीगंगानगर की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 276 तक पहुंच गया।

गौरतलब है कि कल देश में नंदेसरी की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी। हालांकि आज नंदेसरी की वायु गुणवत्ता से जड़े आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं।

शिवमोगा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां 251 अंकों के साथ वायु गुणवत्ता खराब बनी हुई है। बता दें कि कल जहां महज नंदेसरी की हवा खराब थी। वहीं आज खराब हवा वाले शहरों की गिनती बढ़कर दो हो गई है।

शिवमोगा के बाद आज करौली (165) देश का तीसरा, जबकि खुर्जा (161) चौथा सबसे प्रदूषित शहर है। वहीं सूरत (139) पांचवें, जबकि बीकानेर (138) छठे पायदान पर है। इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में जैसलमेर (129), तालचेर (128), छपरा (118) और सागर (115) शामिल हैं।

रुझानों से पता चला है कि आज जहां श्रीगंगानगर, करौली, खुर्जा, सूरत, बीकानेर, जैसलमेर, गुरूग्राम, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, विशाखापत्तनम, लुधियाना, नोएडा, समस्तीपुर आदि शहरों में पीएम10 हावी है। वहीं सागर, झांसी आदि में प्रदूषण के महीन कणों पीएम2.5 से स्थिति चिंताजनक है। इसी तरह तालचेर, क्योंझर, मंडी गोबिंदगढ़ की हवा में कार्बन का स्तर अधिक है।

इन शहरों के उलट आज देश में एक बार फिर आइजोल की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्त्ता सूचकांक महज नौ दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि आइजोल की तुलना देश के सबसे प्रदूषित शहर श्रीगंगानगर से करें तो वहां स्थिति 29 गुणा बेहतर है।

आइजोल की तरह ही देश के छोटे बड़े 102 शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में नांदेड़, नवी मुंबई, नयागढ़, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पुणे, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, रानीपेट, सहरसा, सलेम, सांगली, शिलांग, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, सुआकाती, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुमाला आदि शामिल हैं।

अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 10 फीसदी का इजाफा हुआ है।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि देश में आगरा सहित 95 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है।

इन शहरों में कानपुर, कटिहार, कटनी, खन्ना, किशनगंज, कोहिमा, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, मालेगांव, मेरठ, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागौर, नासिक, पंचगांव, पटियाला, पटना, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पूर्णिया, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, सासाराम, सतना, सवाई माधोपुर आदि शामिल हैं। राहत की बात यह है कि साफ हवा वाले शहरों की तरह ही देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी करीब छह फीसदी का इजाफा हुआ है।

राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों को देखें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। हालांकि दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। दिल्ली की तरह ही देश के 19 अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में बीकानेर, छपरा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, इंफाल, जैसलमेर, झांसी, करौली, क्योंझर, खुर्जा, लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़, नोएडा, सागर, समस्तीपुर, सूरत, तालचेर, विशाखापत्तनम आदि शामिल हैं।

कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 13 फीसदी की गिरावट आई है।

रुझानों के विश्लेषण से पता चला है कि आज जहां देश के महज दस फीसदी शहरों में हवा चिंताजनक है। वहीं 47 फीसदी में हवा साफ बनी हुई है। इसी तरह 43 फीसदी से अधिक शहरों में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 220 में से 103 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। 95 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 16 जून 2025 को यह आंकड़ा 90 दर्ज किया गया था।

20 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में श्रीगंगानगर (276) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 300 के करीब पहुंच गया। कल नंदेसरी में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब सूचकांक 208 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 7 अंकों की गिरावट आई है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक सुधरकर 104 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में वायु गुणवत्ता एक बार फिर मध्यम श्रेणी में पहुंच गई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज खुर्जा चौथे स्थान पर है, वहीं शिवमोगा (251) दूसरे, जबकि करौली (165) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 70, गाजियाबाद में 108, गुवाहाटी में 32, गुरूग्राम में 114, नोएडा में 102, ग्रेटर नोएडा में 110 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 53 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 80, चेन्नई में 66, चंडीगढ़ में 71, हैदराबाद में 61, जयपुर में 60 और पटना में 76 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 103 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अहमदाबाद, आइजोल, अकोला, अमरावती (आंध्रप्रदेश) , अमरावती (महाराष्ट्र), आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागलकोट, बालासोर, बांसवाड़ा, बारबिल, बारीपदा, बैरकपुर, बेलापुर, भिलाई, भोपाल, बिलीपाड़ा, बोईसर, बूंदी, चामराजनगर, चंद्रपुर, चिकबलपुर, चित्तौड़गढ़, कुड्डालोर, कटक, दमोह, दावनगेरे, देहरादून, दुर्गापुर, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गोरखपुर, गुवाहाटी, हल्दिया, हसन, हुबली, इंदौर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, कलबुर्गी, करूर, काशीपुर, कोल्हापुर, कोलकाता, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मदुरै, महाड, मंडीदीप, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मोतिहारी, मुंगेर, मैसूर, नागपट्टिनम, नागपुर, नलबाड़ी, नमक्कल, नांदेड़, नवी मुंबई, नयागढ़, पेरुंदुरई, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, पुदुचेरी, पुडुकोट्टई, पुणे, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, रानीपेट, सहरसा, सलेम, सांगली, शिलांग, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, सुआकाती, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तिरुपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, विजयपुरा, विरुधुनगर, वृंदावन, यादगीर शामिल हैं।

वहीं आगरा, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अमृतसर, अनंतपुर, अंगुल, अरियालूर, बद्दी, बागपत, बारां, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेगूसराय, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भिवंडी, भुवनेश्वर, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, ब्यासनगर, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चेन्नई, चित्तूर, चुरू, कोयंबटूर, दौसा, देवास, धनबाद, धारवाड़, डूंगरपुर, गया, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हापुड, होसुर, हावड़ा, हैदराबाद, जबलपुर, जयपुर, झुंझुनूं, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कन्नूर, कानपुर, कटिहार, कटनी, खन्ना, किशनगंज, कोहिमा, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, मालेगांव, मेरठ, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागौर, नासिक, पंचगांव, पटियाला, पटना, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पूर्णिया, राजसमंद, रतलाम, राउरकेला, सासाराम, सतना, सवाई माधोपुर, सिंगरौली, सोलापुर, श्री विजया पुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, तुमकुरु, तुमिडीह, उदयपुर, वापी, विजयवाड़ा आदि 95 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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