प्रदूषण का का लेखा-जोखा: साफ हवा वाले शहरों में 27 फीसदी की गिरावट, बागपत में 334 पर पहुंचा पीएम 10

विश्लेषण के मुताबिक जहां देश के दस फीसदी से भी कम शहरों में हवा साफ है। वहीं 50 फीसदी में हालात चिंताजनक हैं
प्रदूषण का का लेखा-जोखा: साफ हवा वाले शहरों में 27 फीसदी की गिरावट, बागपत में 334 पर पहुंचा पीएम 10
Published on

देश में कल से प्रदूषण में इजाफा दर्ज किया गया है, जिसके साथ ही खराब और बेहद खराब हवा वाले शहरों की संख्या बढ़ गई है। वहीं दूसरी तरफ साफ हवा वाले शहरों की गिनती में गिरावट आई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 22 अप्रैल 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदूषण के मामले में उत्तर प्रदेश के बागपत की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां पीएम10 का स्तर 334 रिकॉर्ड किया गया है। यदि वायु गुणवत्ता मानकों के लिहाज से देखें तो वहां हवा छह गुणा ज्यादा खराब है।

गौरतलब है कि बागपत में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इसी तरह अगरतला में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 312 तक पहुंच गया है। वहां हवा में ओजोन का स्तर बेहद ज्यादा है। गौरतलब है कि इन दोनों शहरों में हवा जहरीली बनी हुई है, जो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

वहीं प्रदूषण के मामले में आज सिंगरौली तीसरे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 292 रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह 286 अंकों के साथ मुजफ्फरनगर चौथे स्थान पर है। हनुमानगढ़ में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां एक्यूआई 280 दर्ज किया गया है।

इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में सासाराम (273) छठे जबकि हाजीपुर (270) सातवें स्थान पर है। वहीं ब्यासनगर, कुंजेमुरा और औरंगाबाद (बिहार) भी देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं।

रुझानों पर नजर डालें तो 15 शहरों में हवा खराब बनी हुई है। इनमें दिल्ली, गोरखपुर, जयपुर, गाजियाबाद, मेरठ, धनबाद, और पाली भी शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल से देश में 'खराब' हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 88 फीसदी का इजाफा हुआ है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण के स्तर में 22 अंकों का इजाफा हुआ है, जिसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 227 पर पहुंच गया है।

दूसरी तरफ देश में श्री विजया पुरम की हवा सबसे साफ रही, जहां एक्यूआई 28 रिकॉर्ड किया गया है। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर बागपत की तुलना श्री विजया पुरम से करें तो वहां स्थिति 11 गुणा खराब है। श्री विजया पुरम की तरह ही देश के 18 अन्य शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में गडग, हुबली, कलबुर्गी, मदिकेरी, मैहर, नागपट्टिनम, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, शिवसागर आदि शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 27 फीसदी की गिरावट आई है।

अलवर सहित देश के 94 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक दर्ज की गई है। इन शहरों में काशीपुर, कटिहार, खन्ना, कोल्हापुर, कोलकाता, कोप्पल, लुधियाना, मदुरै, महाड, मंगलौर, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मैसूर, नाहरलगुन, नमक्कल, नांदेड़, ऊटी, पुदुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनगर, रानीपेट, सागर, सलेम, समस्तीपुर, सांगली, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सूरत, तालचेर, टेन्सा, ठाणे आदि शामिल हैं। हालांकि साफ हवा वाले शहरों की तरह ही संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी छह फीसदी की गिरावट आई है।

आंकड़ों के मुताबिक अहमदाबाद सहित देश के 96 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।

इनमें भोपाल, बीकानेर, बिलीपाड़ा, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, बूंदी, बक्सर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चुरू, दौसा, देवास, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, ग्वालियर, इंफाल, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कानपुर, करौली, कटनी, क्योंझर, किशनगंज, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, मालेगांव, मंडीदीप, मिलुपारा, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, नोएडा, पंचगांव, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, रायरंगपुर, रतलाम आदि शहर शामिल हैं।

कल से देखें तो मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में मामूली इजाफा हुआ है।

विश्लेषण के मुताबिक जहां देश के दस फीसदी से भी कम शहरों में हवा साफ है। वहीं 50 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। करीब 42 फीसदी शहरों में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 226 में से महज 19 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 94 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 21 अप्रैल 2025 को यह आंकड़ा 100 दर्ज किया गया था।

96 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में बागपत (334) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 350 के करीब पहुंच गया। कल श्रीगंगानगर में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब एक्यूआई 321 रिकॉर्ड किया गया था।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही 22 अंकों के उछाल के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 227 पर पहुंच गया। मतलब कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में बनी हुई है। वहीं आज एक बार फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों जनवरी, फरवरी और मार्च 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज मुजफ्फरनगर चौथे स्थान पर है, वहीं अगरतला (312) दूसरे, जबकि सिंगरौली (292) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 122, गाजियाबाद में 206, गुवाहाटी में 62, गुरूग्राम में 170, नोएडा में 144, ग्रेटर नोएडा में 169 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 89 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 198, चेन्नई में 58, चंडीगढ़ में 136, हैदराबाद में 89, जयपुर में 208 और पटना में 170 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 19 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, अरियालूर, बागलकोट, बेलगाम, चामराजनगर, चिक्कामगलुरु, गडग, हुबली, कलबुर्गी, मदिकेरी, मैहर, नागपट्टिनम, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, शिवसागर, श्री विजया पुरम, तिरुनेलवेली, वापी शामिल हैं।

वहीं अलवर, अमरावती, अमृतसर, अनंतपुर, आसनसोल, बदलापुर, बालासोर, बरेली, बारीपदा, बैरकपुर, बठिंडा, बेलापुर, भिलाई, भिवंडी, भुवनेश्वर, बीदर, बिलासपुर, बोईसर, बर्नीहाट, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, कोयंबटूर, कटक, दमोह, दावनगेरे, डिंडीगुल, एलूर, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, हल्दिया, हापुड, होसुर, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जैसलमेर, जलना, झांसी, कडपा, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, काशीपुर, कटिहार, खन्ना, कोल्हापुर, कोलकाता, कोप्पल, लुधियाना, मदुरै, महाड, मंगलौर, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मैसूर, नाहरलगुन, नमक्कल, नांदेड़, ऊटी, पुदुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनगर, रानीपेट, सागर, सलेम, समस्तीपुर, सांगली, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सूरत, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, उल्हासनगर, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन, यादगीर आदि 94 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

देश में कल से प्रदूषण में इजाफा दर्ज किया गया है, जिसके साथ ही खराब और बेहद खराब हवा वाले शहरों की संख्या बढ़ गई है। वहीं दूसरी तरफ साफ हवा वाले शहरों की गिनती में गिरावट आई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 22 अप्रैल 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदूषण के मामले में उत्तर प्रदेश के बागपत की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां पीएम10 का स्तर 334 रिकॉर्ड किया गया है। यदि वायु गुणवत्ता मानकों के लिहाज से देखें तो वहां हवा छह गुणा ज्यादा खराब है।

गौरतलब है कि बागपत में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इसी तरह अगरतला में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 312 तक पहुंच गया है। वहां हवा में ओजोन का स्तर बेहद ज्यादा है। गौरतलब है कि इन दोनों शहरों में हवा जहरीली बनी हुई है, जो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।

वहीं प्रदूषण के मामले में आज सिंगरौली तीसरे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 292 रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह 286 अंकों के साथ मुजफ्फरनगर चौथे स्थान पर है। हनुमानगढ़ में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां एक्यूआई 280 दर्ज किया गया है।

इसी तरह देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में सासाराम (273) छठे जबकि हाजीपुर (270) सातवें स्थान पर है। वहीं ब्यासनगर, कुंजेमुरा और औरंगाबाद (बिहार) भी देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं।

रुझानों पर नजर डालें तो 15 शहरों में हवा खराब बनी हुई है। इनमें दिल्ली, गोरखपुर, जयपुर, गाजियाबाद, मेरठ, धनबाद, और पाली भी शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल से देश में 'खराब' हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 88 फीसदी का इजाफा हुआ है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण के स्तर में 22 अंकों का इजाफा हुआ है, जिसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 227 पर पहुंच गया है।

दूसरी तरफ देश में श्री विजया पुरम की हवा सबसे साफ रही, जहां एक्यूआई 28 रिकॉर्ड किया गया है। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर बागपत की तुलना श्री विजया पुरम से करें तो वहां स्थिति 11 गुणा खराब है। श्री विजया पुरम की तरह ही देश के 18 अन्य शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में गडग, हुबली, कलबुर्गी, मदिकेरी, मैहर, नागपट्टिनम, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, शिवसागर आदि शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 27 फीसदी की गिरावट आई है।

अलवर सहित देश के 94 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक दर्ज की गई है। इन शहरों में काशीपुर, कटिहार, खन्ना, कोल्हापुर, कोलकाता, कोप्पल, लुधियाना, मदुरै, महाड, मंगलौर, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मैसूर, नाहरलगुन, नमक्कल, नांदेड़, ऊटी, पुदुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनगर, रानीपेट, सागर, सलेम, समस्तीपुर, सांगली, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सूरत, तालचेर, टेन्सा, ठाणे आदि शामिल हैं। हालांकि साफ हवा वाले शहरों की तरह ही संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में भी छह फीसदी की गिरावट आई है।

आंकड़ों के मुताबिक अहमदाबाद सहित देश के 96 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।

इनमें भोपाल, बीकानेर, बिलीपाड़ा, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, बूंदी, बक्सर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चुरू, दौसा, देवास, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, ग्वालियर, इंफाल, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कानपुर, करौली, कटनी, क्योंझर, किशनगंज, कोरबा, कोटा, लातूर, लखनऊ, मालेगांव, मंडीदीप, मिलुपारा, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, नोएडा, पंचगांव, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुणे, रायरंगपुर, रतलाम आदि शहर शामिल हैं।

कल से देखें तो मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में मामूली इजाफा हुआ है।

विश्लेषण के मुताबिक जहां देश के दस फीसदी से भी कम शहरों में हवा साफ है। वहीं 50 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। करीब 42 फीसदी शहरों में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 226 में से महज 19 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 94 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 21 अप्रैल 2025 को यह आंकड़ा 100 दर्ज किया गया था।

96 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में बागपत (334) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 350 के करीब पहुंच गया। कल श्रीगंगानगर में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब एक्यूआई 321 रिकॉर्ड किया गया था।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही 22 अंकों के उछाल के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 227 पर पहुंच गया। मतलब कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में बनी हुई है। वहीं आज एक बार फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों जनवरी, फरवरी और मार्च 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज मुजफ्फरनगर चौथे स्थान पर है, वहीं अगरतला (312) दूसरे, जबकि सिंगरौली (292) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 122, गाजियाबाद में 206, गुवाहाटी में 62, गुरूग्राम में 170, नोएडा में 144, ग्रेटर नोएडा में 169 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 89 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 198, चेन्नई में 58, चंडीगढ़ में 136, हैदराबाद में 89, जयपुर में 208 और पटना में 170 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 19 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, अरियालूर, बागलकोट, बेलगाम, चामराजनगर, चिक्कामगलुरु, गडग, हुबली, कलबुर्गी, मदिकेरी, मैहर, नागपट्टिनम, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, रामनाथपुरम, शिवसागर, श्री विजया पुरम, तिरुनेलवेली, वापी शामिल हैं।

वहीं अलवर, अमरावती, अमृतसर, अनंतपुर, आसनसोल, बदलापुर, बालासोर, बरेली, बारीपदा, बैरकपुर, बठिंडा, बेलापुर, भिलाई, भिवंडी, भुवनेश्वर, बीदर, बिलासपुर, बोईसर, बर्नीहाट, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, कोयंबटूर, कटक, दमोह, दावनगेरे, डिंडीगुल, एलूर, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, हल्दिया, हापुड, होसुर, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जैसलमेर, जलना, झांसी, कडपा, कल्याण, कांचीपुरम, कन्नूर, काशीपुर, कटिहार, खन्ना, कोल्हापुर, कोलकाता, कोप्पल, लुधियाना, मदुरै, महाड, मंगलौर, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मैसूर, नाहरलगुन, नमक्कल, नांदेड़, ऊटी, पुदुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनगर, रानीपेट, सागर, सलेम, समस्तीपुर, सांगली, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सूरत, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, उल्हासनगर, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन, यादगीर आदि 94 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in