
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, देश के 32 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक है।
पाली में एक्यूआई 306 पर पहुंच गया, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में है।
कल पाली में वायु गुणवत्ता का स्तर 177 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 129 अंकों का भारी उछाल आया है।
साफ हवा वाले शहरों की संख्या में 33 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि संतोषजनक हवा वाले शहरों में 6 फीसदी की वृद्धि हुई है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 100 पर पहुंच गया
प्रदूषण के मामले में पीथमपुर (276) दूसरे जबकि टोंक (266) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 244 अंकों के साथ देवास चौथे स्थान पर है।
आज देश के 19 फीसदी यानी 45 शहरों में हवा साफ है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 09 अक्टूबर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि आज देश के जहां महज 19 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 49 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 32 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा संतोषजनक है। हालांकि चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में भारी गिरावट आई है।
रुझानों से पता चला है कि आज जहां देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 32 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। वहीं सन्तोषजनक हवा वाले शहरों की संख्या में करीब छह फीसदी का इजाफा हुआ है। दूसरी तरफ मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती करीब 267 फीसदी बढ़ी है।
इसके साथ ही आज एक बार फिर राजस्थान के कई शहरों में हवा खराब दर्ज की गई है।
आंकड़ों में सामने आया है कि आज प्रदूषण के मामले में पाली की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 306 दर्ज किया गया। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में है। इस दौरान वहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम10) हावी रहे।
देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
पाली में प्रदूषण से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी सुरक्षित सीमा से 580 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि कल पाली में वायु गुणवत्ता का स्तर 177 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 129 अंकों का भारी उछाल आया है।
कल देश में भीलवाड़ा की हवा सबसे खराब थी। जब वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 307 तक पहुंच गया था। हालांकि आज 197 अंकों के सुधार के साथ वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 110 पर पहुंच गया है।
दूसरी तरफ आज एक बार फिर देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 13 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर पाली की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 22 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 100 पर पहुंच गया। वहीं फरीदाबाद की बात करें तो वायु गुणवत्ता सूचकांक मामूली इजाफे के साथ 108 रिकॉर्ड किया गया।
आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में पीथमपुर (276) दूसरे जबकि टोंक (266) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 244 अंकों के साथ देवास चौथे स्थान पर है। जालौर-डूंगरपुर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 240 और 238 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज रतलाम (230) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज बेलापुर (214), जयपुर (212) और सवाई माधोपुर (211) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में 6 राजस्थान के शहर (पाली, टोंक, जालौर, डूंगरपुर, जयपुर, सवाई माधोपुर) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आज जहां चित्तूर, जोधपुर, तंजावुर, इंदौर, मंडीदीप, नारनौल, अहमदाबाद, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), नलबाड़ी, गुम्मिडिपूंडी, किशनगंज, तिरुपति, फरीदाबाद, नवी मुंबई, मुरादाबाद आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी है।
वहीं पाली, पीथमपुर, टोंक, देवास, जालौर, डूंगरपुर, रतलाम, जयपुर, सवाई माधोपुर, सिरोही, बांसवाड़ा, बीकानेर, बाड़मेर, दौसा, सीकर, जैसलमेर, बिलीपाड़ा, बारां, उदयपुर, नागौर, भोपाल, कोटा, वापी, झांसी, ग्रेटर नोएडा, करौली, प्रतापगढ़, सागर, हनुमानगढ़, धुले, अजमेर, अमरावती (महाराष्ट्र), बुलन्दशहर, गांधीनगर, ग्वालियर, झालावाड़, चुरू, झुंझुनूं, गाजियाबाद, दमोह, चित्तौड़गढ़, अकोला, नासिक, विशाखापत्तनम, नोएडा, बहादुरगढ़, बारबिल, भीलवाड़ा, श्री गंगानगर, बूंदी, जलना, मेरठ, भिवाड़ी, सूरत, पटना, मालेगांव, गुरूग्राम, क्योंझर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत आज देश के 19 फीसदी यानी 45 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में कोरबा, कुरूक्षेत्र, मदिकेरी, मिलुपारा, मुंगेर, मैसूर, नाहरलगुन, नमक्कल, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, पंचगांव, पटियाला, पेरुंदुरई, प्रयागराज, पूर्णिया, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, रूपनगर, शिलांग, शिवमोगा, सिरसा, शिवसागर आदि शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 32 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। दूसरी तरह आज देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में छह फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है।
आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें गुवाहाटी, हल्दिया, हापुड, हावड़ा, हैदराबाद, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, करनाल, काशीपुर, कटिहार, कटनी, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कुंजेमुरा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, मदुरै, महाड, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मांडीखेड़ा, मानेसर, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुंबई, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागपुर, नांदेड़, ऊटी आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 40 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है। इन शहरों में अहमदाबाद, अजमेर, अकोला, अमरावती (महाराष्ट्र), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बहादुरगढ़, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बाड़मेर, भीलवाड़ा, भिवाड़ी, भोपाल, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बुलन्दशहर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, चुरू, दमोह, दौसा, धनबाद, धुले, फरीदाबाद, गांधीनगर, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, गुरूग्राम, ग्वालियर, हनुमानगढ़, इंदौर, जैसलमेर, जलना, झालावाड़, झांसी, झुंझुनूं, जोधपुर, करौली, क्योंझर, किशनगंज, कोटा, मालेगांव, मंडीदीप, मेरठ, मुरादाबाद, नागौर, नलबाड़ी, नारनौल, नासिक, नवी मुंबई, नोएडा, पटना, प्रतापगढ़, सागर, सीकर, श्री गंगानगर, सूरत, तंजावुर, तिरुपति, उदयपुर, वापी, विशाखापत्तनम शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में 267 फीसदी का इजाफा हुआ है, जोकि बेहद चिंता का विषय है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 236 में से 45 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 116 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 08 अक्टूबर 2025 को यह आंकड़ा 110 दर्ज किया गया था।
63 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में पाली (306) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 310 के करीब पहुंच गया। कल भीलवाड़ा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 307 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। दिल्ली में 19 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 100 पर पहुंच गया है। हालांकि दिल्ली में वायु गुणवत्ता अभी भी संतोषजनक बनी हुई है।वहीं फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता सूचकांक में एक अंक का मामूली उछाल आया है, जिसके साथ ही एक्यूआई 108 पर पहुंच गया है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज देवास चौथे स्थान पर है, वहीं पीथमपुर (276) दूसरे, जबकि टोंक (266) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 128, गाजियाबाद में 120, गुवाहाटी में 51, गुरूग्राम में 101, नोएडा में 113, ग्रेटर नोएडा में 157 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 94 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 95, चेन्नई में 77, चंडीगढ़ में 54, हैदराबाद में 94, जयपुर में 212 और पटना में 104 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 45 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अरियालूर, बागलकोट, बठिंडा, बेगूसराय, भिलाई, ब्रजराजनगर, चामराजनगर, दावनगेरे, धारूहेड़ा, फिरोजाबाद, गंगटोक, होसुर, हुबली, जींद, कडपा, करूर, कारवार, कोरबा, कुरूक्षेत्र, मदिकेरी, मिलुपारा, मुंगेर, मैसूर, नाहरलगुन, नमक्कल, नयागढ़, पालकालाइपेरुर, पंचगांव, पटियाला, पेरुंदुरई, प्रयागराज, पूर्णिया, राजमहेंद्रवरम, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, रूपनगर, शिलांग, शिवमोगा, सिरसा, शिवसागर, तुमिडीह, विजयपुरा, यादगीर शामिल हैं।
वहीं आगरा, अहमदनगर, अलवर, अमृतसर, अनंतपुर, अंगुल, अररिया, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), बद्दी, बदलापुर, बालासोर, बल्लभगढ़, बरेली, बारीपदा, बैरकपुर, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बिलासपुर, बोईसर, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चरखी दादरी, चेंगलपट्टू, चेन्नई, कोयंबटूर, कुड्डालोर, कटक, दिल्ली, धौलपुर, डिंडीगुल, दुर्गापुर, एलूर, गया, गुवाहाटी, हल्दिया, हापुड, हावड़ा, हैदराबाद, जबलपुर, जालंधर, जलगांव, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, करनाल, काशीपुर, कटिहार, कटनी, खन्ना, खुर्जा, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कुंजेमुरा, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, मदुरै, महाड, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मांडीखेड़ा, मानेसर, मंगुराहा, मीरा-भायंदर, मुंबई, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागपुर, नांदेड़, ऊटी, पलवल, पंचकुला, पानीपत, पिंपरी-चिंचवाड, पुडुकोट्टई, पुणे, रायपुर, राजगीर, राजसमंद, रानीपेट, रोहतक, राउरकेला, समस्तीपुर, सासाराम, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिंगरौली, सिवान, सोलापुर, तालचेर, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन आदि 116 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।