प्रदूषण का गणित: 42 फीसदी शहरों में हवा साफ, छह फीसदी में चिंताजनक हालात

देश में आज आइजोल की हवा सबसे साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 9 दर्ज किया गया है
बढ़ते प्रदूषण से बिगड़े हालात, बीमार, बुजुर्गों और बच्चों के लिए सांस लेना हुआ दुश्वार; फोटो: आईस्टॉक
बढ़ते प्रदूषण से बिगड़े हालात, बीमार, बुजुर्गों और बच्चों के लिए सांस लेना हुआ दुश्वार; फोटो: आईस्टॉक
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देश के छोटे बड़े 42 फीसदी शहरों में हवा साफ बनी हुई है। वहीं दूसरी तरफ छह फीसदी से अधिक शहरों में स्थिति चिंताजनक है। इसी तरह देश के 51 फीसदी से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक बना हुआ है।

यह जानकारी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 09 जुलाई 2025 को जारी रुझानों के विश्लेषण में सामने आई है।

विश्लेषण से पता चला है कि आज एक बार फिर देश में नंदेसरी की हवा सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 270 दर्ज किया गया। हालांकि कल से तुलना करें तो नंदेसरी की हवा में 31 अंकों का सुधार आया है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मानकों के लिहाज से देखें तो नंदेसरी में प्रदूषण 1700 फीसदी अधिक है। इस दौरान वहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण हावी रहे।

वहीं दूसरी तरफ आज देश में आइजोल की हवा सबसे साफ रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 9 दर्ज किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नंदेसरी की तुलना आइजोल से करें तो स्थिति 29 गुणा खराब है।

प्रदूषण के मामले में आज बद्दी (170) दूसरे जबकि करौली (155) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 146 अंकों के साथ मेघालय का बर्नीहाट चौथे जबकि ग्रेटर नोएडा    (131) पांचवें पायदान पर है। चंडीगढ़ में भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं, जो 119 अंकों के साथ देश का छठा सबसे प्रदूषित शहर है। इसी तरह विशाखापत्तनम        (116), गुम्मिडिपूंडी (112), इंफाल (109) और सिंगरौली (108) भी देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शामिल हैं।

आज जहां देश में नंदेसरी, बर्नीहाट, हाजीपुर आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण पीएम2.5 हावी है। वहीं बद्दी, करौली, ग्रेटर नोएडा, चंडीगढ़, विशाखापत्तनम, गुम्मिडिपूंडी, सिंगरौली, दौसा, वापी, लुधियाना आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

रुझानों में यह भी सामने आया है कि आज देश में अगरतला सहित छोटे बड़े 93 शहरों की हवा साफ है। इन शहरों में कटनी, क्योंझर, कोल्हापुर, कोलकाता, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मीरा-भायंदर, मोतिहारी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपुर, नलबाड़ी, नवी मुंबई, नयागढ़, पंचगांव, पटियाला, पेरुंदुरई, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, ऋषिकेश, सांगली, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर आदि शामिल हैं।

अच्छी खबर यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 12 फीसदी का इजाफा हुआ है।

राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है। जहां 17 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 81 पर पहुंच गया। दिल्ली की तरह ही देश के 111 अन्य शहरों में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है।

हालांकि साफ हवा वाले शहरों के उलट देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में करीब दस फीसदी की गिरावट आई है।

देश में आज 13 शहरों की वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में रिकॉर्ड की गई। इन शहरों में बद्दी, बर्नीहाट, चंडीगढ़, दौसा, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, हाजीपुर, इंफाल, करौली, लुधियाना, सिंगरौली, वापी, विशाखापत्तनम शामिल हैं। कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में आठ फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

क्या कहते हैं आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 219 में से 93 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। 112 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 08 जुलाई 2025 को यह आंकड़ा 124 दर्ज किया गया था।

13 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में नंदेसरी (270) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 280 के करीब पहुंच गया। कल नंदेसरी में वायु गुणवत्ता सबसे खराब थी, जब सूचकांक 301 रिकॉर्ड किया गया।

आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में 17 अंकों की गिरावट आई है। इसके साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक सुधरकर 81 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता संतोषजनक श्रेणी में बनी हुई है। वहीं आज फिर सीपीसीबी ने फरीदाबाद के वायु गुणवत्ता से जुड़े आंकड़े साझा नहीं किए हैं। 

गौरतलब है कि पिछले चार महीनों जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज बर्नीहाट चौथे स्थान पर है, वहीं बद्दी (170) दूसरे, जबकि करौली (155) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 63, गाजियाबाद में 82, गुवाहाटी में 38, गुरूग्राम में 63, नोएडा में 79, ग्रेटर नोएडा में 131 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 58 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 54, चेन्नई में 69, चंडीगढ़ में 119, हैदराबाद में 69, जयपुर में 70 और पटना में 52 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 93 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, आगरा, आइजोल, अकोला, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), बदलापुर, बागलकोट, बागपत, बालासोर, बारबिल, बारीपदा, बेलापुर, बेतिया, भागलपुर, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भुवनेश्वर, बिलासपुर, बक्सर, चामराजनगर, चेंगलपट्टू, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कुड्डालोर, कटक, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, दुर्गापुर, गया, गोरखपुर, गुवाहाटी, हल्दिया, हनुमानगढ़, हापुड, हावड़ा, हुबली, जबलपुर, झांसी, कलबुर्गी, कटनी, क्योंझर, कोल्हापुर, कोलकाता, कुंजेमुरा, लातूर, मदिकेरी, मीरा-भायंदर, मोतिहारी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नागपुर, नलबाड़ी, नवी मुंबई, नयागढ़, पंचगांव, पटियाला, पेरुंदुरई, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, रायपुर, रायरंगपुर, ऋषिकेश, सांगली, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, शिवसागर, सोलापुर, श्रीगंगानगर, सुआकाती, तालचेर, टेन्सा, ठाणे, त्रिशूर, तिरुमाला, तिरुनेलवेली, तुमकुरु, तुमिडीह, वाराणसी, वेल्लोर, विजयपुरा, यादगीर शामिल हैं।

वहीं अहमदाबाद, अहमदनगर, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अनंतपुर, अंगुल, अंकलेश्वर, अररिया, अरियालूर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बांसवाड़ा, बारां, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेगूसराय, बेंगलुरु, भिवाड़ी, भिवंडी, भोपाल, बीकानेर, बोईसर, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, बूंदी, ब्यासनगर, चंद्रपुर, चेन्नई, चुरू, दिल्ली, देवास, धनबाद, धौलपुर, डिंडीगुल, डूंगरपुर, एलूर, गांधीनगर, गाजियाबाद, गुरूग्राम, ग्वालियर, हसन, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जोधपुर, कडपा, कल्याण, कानपुर, काशीपुर, खन्ना, खुर्जा, किशनगंज, कोहिमा, कोरबा, कोटा, लखनऊ, महाड, मालेगांव, मंडी बिंदगढ़, मंडीदीप, मंगलौर, मेरठ, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरनगर, नगांव, नागौर, नांदेड़, नासिक, नोएडा, ऊटी, पाली, पालकालाइपेरुर, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, पीथमपुर, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, पुणे, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनाथपुरम, रानीपेट, रतलाम, राउरकेला, सागर, सहरसा, समस्तीपुर, सवाई माधोपुर, सीकर, सिरोही, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, तिरुपुर, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, वातवा, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन आदि 112 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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