त्यौहारों में प्रदूषण से खांसता देश, दिल्ली-अमृतसर सहित 12 शहरों में 300 के पार पहुंचा एक्यूआई
दीपावली यानी प्रकाश और खुशियों का त्यौहार, लेकिन इस मौके पर साल दर साल प्रदूषण का जहर इस कदर हावी हो जाता है, कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है। आतिशबाजी से लेकर वाहनों, उद्योगों से निकलता धुआं, जलता कचरा, बढ़ती धूल और मौसम में बदलाव कई ऐसे कारण हैं जो बढ़ते प्रदूषण में इजाफा करते हैं।
इस साल भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। देखा जाए तो देश में बहुत से परिवार ऐसे हैं जहां बुजुर्ग, बीमार और नवजात बच्चे हैं, जिनके लिए बढ़ता प्रदूषण किसी अभिशाप से कम नहीं, नतीजन इस प्रदूषण से उनके त्यौहारों की खुशी फीकी पड़ जाती है।
सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल भी देश के कई शहरों में प्रदूषण के चलते हवा 'बेहद खराब' रही। देश में जहां बढ़ते प्रदूषण से पिछले 24 घंटों में अम्बाला की स्थिति सबसे खराब रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 367 तक पहुंच गया। इसी तरह प्रदूषण के मामले में अमृतसर और दिल्ली भी ज्यादा पीछे नहीं रहे। ताजा रुझानों ने पुष्टि की है कि दीपावली के दिन अमृतसर में एक्यूआई 350, जबकि दिल्ली में 339 तक पहुंच गया। वहीं सुबह नौ बजे दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषण का औसत स्तर 400 के करीब तक पहुंच गया था।
वहीं 31 अक्टूबर 2024 को जारी आंकड़ों में देखें तो दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 328 दर्ज किया गया था। ऐसे में यदि पिछले 24 घंटों में देखें तो दिल्ली की वायु गुणवत्ता में 11 अंकों की गिरावट आई। वहीं अमृतसर में भी प्रदूषण में 214 अंकों का भारी उछाल आया है। देश के सबसे प्रदूषित शहर अम्बाला में भी 178 अंकों का इजाफा दर्ज किया गया है।
ताजा रुझानों के मुताबिक देश के 12 शहरों में प्रदूषण जानलेवा स्तर तक पहुंच गया। इनमें अम्बाला, अमृतसर, दिल्ली के साथ-साथ हाजीपुर, खुर्जा, मुरादाबाद, बीकानेर, गुरूग्राम, गाजियाबाद, कुरूक्षेत्र, लखनऊ, और चंडीगढ़ शामिल थे।
इसी तरह अजमेर सहित देश के 86 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर दमघोंटू बना हुआ है।
इन शहरों में अंगुल, अररिया, आसनसोल, बद्दी, बागपत, बहादुरगढ़, बल्लभगढ़, बेगूसराय, भागलपुर, भरतपुर, भिवाड़ी, भिवानी, बिलीपाड़ा, बुलन्दशहर, बक्सर, छपरा, चुरू, कुड्डालोर, दौसा, देहरादून, देवास, धारूहेड़ा, धौलपुर, दुर्गापुर, फरीदाबाद, फिरोजाबाद, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, हापुड, हिसार, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जालौर, झुंझुनूं, जींद, जोधपुर, कैथल, कानपुर, करौली, करनाल, काशीपुर, खन्ना, किशनगंज, लुधियाना, मालेगांव, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मानेसर, मेरठ, मीरा-भायंदर, मुंगेर, मुजफ्फरनगर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नोएडा, पाली, पंचकुला, पानीपत, परभनी, पटियाला, पटना, पूर्णिया, रतलाम, रोहतक, सागर, सहरसा, समस्तीपुर, सवाई माधोपुर, सीकर, सिंगरौली, सिरसा, सिवान, सोनीपत, श्रीगंगानगर, सूरत, तालचेर, टोंक, उदयपुर, उज्जैन, विशाखापत्तनम और यमुनानगर शामिल थे।
हालांकि कल देश में खराब हवा वाले शहरों की संख्या 43 दर्ज की गई थी। मतलब की कल से इन शहरों की गिनती में 100 फीसदी का इजाफा हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ देश के महज आठ शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर बेहतर बना हुआ है। इन शहरों में गंगटोक, कोप्पल, अरियालूर, मदुरै, उडुपी, नयागढ़, गडग, हसन शामिल थे। हालांकि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की संख्या में 58 फीसदी की गिरावट आई है। बता दें कि कल देश में साफ हवा वाले शहरों की संख्या 19 दर्ज की गई थी।
देश में गंगटोक की हवा सबसे बेहतर रही, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 39 दर्ज किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर यानी अम्बाला की तुलना गंगटोक से करें तो वहां वायु गुणवत्ता नौ गुणा खराब है।
अमरावती के साथ-साथ देश के 52 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर संतोषजनक बना हुआ है। इन शहरों मैहर, मिलुपारा, मैसूर, नलबाड़ी, नंदेसरी, ऊटी, पीथमपुर, पुडुकोट्टई, रामनगर, रामनाथपुरम, सांगली आदि शहर शामिल थे। हालांकि कल से तुलना करें तो देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की संख्या में 34 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
अलवर सहित देश के 107 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर मध्यम बना हुआ है। कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में कल से दस फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।
इन शहरों में अगरतला, आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, आइजोल, अकोला, अलवर, अमरावती, अनंतपुर, अंकलेश्वर, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बालासोर, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बरेली, बारीपदा, बाड़मेर, बैरकपुर, बठिंडा, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बिहारशरीफ, बिलासपुर, बोईसर, बूंदी, ब्यासनगर, चंद्रपुर, चरखी दादरी, चेंगलपट्टू, चेन्नई, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कटक, धुले, डूंगरपुर, फतेहाबाद, गांधीनगर, गया, हनुमानगढ़, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जलना, झालावाड़, झांसी, कल्याण, कटिहार, कटनी, कोहिमा, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोटा, लातूर, महाड, मांडीखेड़ा, मंगुराहा, मोतिहारी, मुंबई, नगांव, नागपुर, नाहरलगुन, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, पलवल, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, पुणे, रायचुर, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रानीपेट, ऋषिकेश, राउरकेला, सलेम, सासाराम, सिलीगुड़ी, सिरोही, टेन्सा, ठाणे, तंजावुर, थूथुकुडी, तिरुपति, तुमकुरु, उल्हासनगर, वापी, वाराणसी, वातवा, वेल्लोर, विरार, विरुधुनगर, वृंदावन शामिल थे।
मतलब की कुल मिलाकर देखें तो देश के महज तीन फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता बेहतर है, जबकि करीब 20 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक है। दूसरी तरफ देश के 77 फीसदी से ज्यादा शहरों में हालात चिंताजनक बने हुए हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एक नवंबर 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 265 में से आठ शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 52 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 31 अक्टूबर 2024 यह आंकड़ा 79 दर्ज किया गया था। 107 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।
दूसरे शहरों की तुलना में अम्बाला (367) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 400 के करीब पहुंच गया है। वहीं कल बहादुरगढ़ में स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 329 तक पहुंच गया था। वहीं आज दिल्ली प्रदूषण के मामले में तीसरे स्थान पर है। जहां एक्यूआई 339 दर्ज किया गया। इसी तरह हाजीपुर (332) और अमृतसर (350) में भी स्थिति जानलेवा बनी हुई है।
गौरतलब है कि कल से दिल्ली के प्रदूषण में 11 अंकों का इजाफा हुआ है। इसके बाद वहां एक्यूआई 339 रिकॉर्ड किया गया। मतलब की हवा 'बेहद खराब' बनी हुई है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 202, गाजियाबाद में 306, गुरुग्राम में 309, नोएडा में 274, ग्रेटर नोएडा में 258 पर पहुंच गया है।
देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 169 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 306, चेन्नई में 142, चंडीगढ़ में 302, हैदराबाद में 135, जयपुर में 252 और पटना में 230 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन आठ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें गंगटोक, कोप्पल, अरियालूर, मदुरै, उडुपी, नयागढ़, गडग, हसन शामिल रहे।
वहीं अमरावती, आरा, बागलकोट, बेलगाम, बीदर, ब्रजराजनगर, बर्नीहाट, चामराजनगर, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कोयंबटूर, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, डिंडीगुल, गुवाहाटी, हल्दिया, हावेरी, हुबली, कलबुर्गी, कांचीपुरम, करूर, कारवार, क्योंझर, कोलार, कोरबा, कुंजेमुरा, मैहर, मिलुपारा, मैसूर, नलबाड़ी, नंदेसरी, ऊटी, पीथमपुर, पुडुकोट्टई, रामनगर, रामनाथपुरम, सांगली, सतना, शिवमोगा, सिलचर, शिवसागर, सोलापुर, सुआकाती, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुपुर, विजयपुरा, विजयवाड़ा, यादगीर आदि 52 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।