
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के लोगों के सामने आवाजाही के लिए ऑटो, ई-रिक्शा और निजी वाहनों के अलावा सिटी बस और बीआरटी (बस रेपिड ट्रांजिट) बस का सीमित विकल्प है। शहर में और आसपास के क्षेत्रों के लिए चलने वाली 40 सिटी बसें हैं। लेकिन इनका समय और आवृत्ति इतनी कम है कि लोग आमतौर पर इनका इस्तेमाल करने से बचते हैं।
मनप्रीत कौर मान जैसी बहुत सी लड़कियां सिटी बसों का इस्तेमाल करना चाहती हैं क्योंकि इससे उनका समय और पैसों की बचत होती है लेकिन शहर के अधिकांश इलाकों तक इनकी पहुंच नहीं है।
सिटी बसें अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सोसायटी चलाती है जिसके अध्यक्ष जिला कलेक्टर हैं। सोसायटी को रायपुर नगर निगम ने ये बसें ठेके पर दी हैं। रायपुर नगर निगम के कार्यपालक अभियंता डाउन टू अर्थ को बताते हैं कि सिटी बस 16 अधिसूचित रूटों पर चलती हैं और 275 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र कवर करती हैं।
हालांकि स्थानीय यात्री इन रूटों से अनजान हैं और शिकायत करते हैं कि बसें शहर के अधिकांश हिस्सों में दिखाई नहीं देतीं, खासकर सबसे व्यस्ततम इलाकों में।
बीआरटी बसें
रायपुर और नए रायपुर की कनेक्टिविटी के लिए नया रायपुर विकास प्राधिकरण करीब 30 एसी बसें चलाता है, लेकिन इसका विशेष लाभ रायपुर के लोगों को नहीं मिलता क्योंकि बसों के स्टॉप सीमित हैं और काफी दूरी पर हैं।
इन बसों का इस्तेमाल मुख्य रूप से सरकारी काम के सिलसिले में नया रायपुर जाने वाले लोग अधिक करते हैं क्योंकि राज्य के अधिकांश सरकारी कार्यालय और मंत्रालय नए रायपुर में ही हैं।
ये बसें रायपुर रेलवे स्टेशन से चलती हैं और डीकेएस चौक, तेलीबांधा होते हुए नए रायपुर के विभिन्न सेक्टरों से गुजरती है। रेलवे स्टेशन से ऐसी ही एक बस में नया रायपुर जा रहे मेडिकल के एक छात्र ने डाउन टू अर्थ को बताया कि नया रायपुर से रेलवे स्टेशन की दूरी करीब 40 किलोमीटर है। स्टेशन से 40 रुपए में बस नया रायपुर पहुंचा देती है। उनका कहना है कि ऑटो या टैक्सी के जरिए नया रायपुर जाने पर करीब 800 रुपए का खर्च आता है जो बस के मुकाबले 20 गुणा अधिक किराया है।
वह बताते हैं कि बस से नया रायपुर जाने में अधिक समय लगता है, लेकिन यह सबसे सस्ता विकल्प है। बीआरटी कॉरिडोर पर चलने वाली इन बसों में अक्सर कंडक्टर नहीं होते। बस स्टॉप से टिकट लेकर यात्रा करनी होती है। जो यात्री बस स्टॉप से टिकट नहीं ले पाता उसे उतरते वक्त टिकट लेनी पड़ती है। रेलवे स्टेशन से ये बसें हर आधे घंटे के अंतराल पर चलती हैं और उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प हैं जो नया रायपुर जाना चाहते हैं।
ट्रेनों की लेटलतीफी
नया रायपुर को रायपुर से जोड़ने के लिए हाल में ही ब्रॉडगेज रेलमार्ग भी तैयार हुआ है लेकिन इसमें केवल एक ही ट्रेन चलती है जो नया रायपुर से आगे अभनपुर तक जाती है।
रायपुर स्टेशन मास्टर एनके साहू स्वीकार करते हैं कि इस ट्रेन का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। पूरी ट्रेन में 15-20 लोग ही यात्रा करते हैं। 2019 तक यह रेलमार्ग नैरोगेज था। साहू ने डाउन टू अर्थ को बताया कि सस्ते यातायात की नजर से देखें तो रेलवे से बेहतर कोई विकल्प नहीं है।
उनका कहना है कि लोग अब ट्रेन के बजाय निजी वाहनों से जाना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि उनके पास पैसा आ गया और वे इंतजार करना पसंद नहीं करते। साहू कहते हैं कि रायपुर रेलवे स्टेशन का प्रतिदिन का फुटफॉल 67-68 हजार है। लेकिन इसमें कितने यात्री लोकल ट्रेनों के हैं, इसका सटीक आंकड़ा उनके पास नहीं है।
रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुतुल कहते हैं कि पिछले चार साल से रायपुर को राजनंदगांव और बिलासपुर से जोड़ने वाली लोकल ट्रेंनें बंद हैं, जिससे लोग त्रस्त हो चुके हैं। उनका कहना है कि यात्री ट्रेनें बंद हैं और कोयले का परिवहन बढ़ा है। वह अपना उदाहरण देते हुए कहते हैं कि कोविड काल से पहले तक उन्होंने रायपुर से बिलासपुर की यात्रा हमेशा ट्रेन से की थी और कभी सड़क मार्ग का इस्तेमाल नहीं किया था, कोविड के बाद उन्होंने कोई यात्रा ट्रेन से नहीं की। उनका कहना है कि आए दिन लोकल ट्रेनें कैंसल होती हैं जिससे नौकरीपेशा लोगों का ट्रेन से मोहभंग हो गया है।
स्टेशन मास्टर एनके साहू कहते हैं कि ट्रेनें ज्यादा कैंसल नहीं होतीं। जो ट्रेंने कैंसल होती हैं वो मुख्यत: दूसरे राज्यों में चल रहे अपग्रेडेशन कार्य की वजह से होती हैं। साहू कहते हैं कि केवल डोंगरगढ़ जाने वाली एक ट्रेन बंद हुई है। रायपुर से करीब 18-20 ट्रेंनें अप/डाउन में चलती हैं।
अंतरराज्यीय शहरों व राज्य के अधिकांश जिलों में जाने के लिए निजी बसें ही सहारा हैं। लोकल ट्रेनों में मुख्यत: बिलासपुर, दुर्ग और भिलाई के लिए आवाजाही होती है लेकिन सीमित ट्रेनें, अनियमित समय और अचानक ट्रेन रद्द होने जाने से यात्रियों का भरोसा लोकल ट्रेनों से उठ गया है।
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