

दिल्ली और नोएडा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। नोएडा में एक्यूआई 466 और दिल्ली में 461 दर्ज किया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 2,900 फीसदी अधिक है।
नोएडा की हवा में पीएम2.5 कण हावी हैं, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 19 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 24 गुणा खराब है।
14 दिसंबर, 2025 को 234 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज तीन फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 30 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 67 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 218 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में बहादुरगढ़ (464) दूसरे जबकि दिल्ली (461) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 459 अंकों के साथ गाजियाबाद चौथे स्थान पर है।
ग्रेटर नोएडा-बागपत में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 435 और 429 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
धारूहेड़ा (394) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में पानीपत (382), मेरठ (372) और मानेसर (356) भी शामिल हैं।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के पांच (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, बागपत, मेरठ) और हरियाणा के भी चार शहर (बहादुरगढ़, धारूहेड़ा, पानीपत, मानेसर) शामिल हैं।
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि 14 दिसंबर 2025 को एक बार फिर देश में नोएडा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बढ़कर 466 तक पहुंच गया। गौरतलब है कि 13 दिसंबर को नोएडा में एक्यूआई 455 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 11 अंकों का उछाल आया है। इसके साथ ही वहां स्थिति आज भी गंभीर बनी हुई है।
रुझानों में सामने आया है कि नोएडा की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,900 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 19 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 24 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है। 30 अंकों के उछाल के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 461 पर पहुंच गया। मतलब की दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। चिंता की बात यह है कि दिल्ली में अभी भी प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ मानकों से 2,900 फीसदी अधिक है।
गौरतलब है कि इससे पहले 13 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 431 तक पहुंच गया। हालांकि आज उस रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिल्ली में सूचकांक 461 दर्ज किया गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 14 दिसंबर, 2025 को 234 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज तीन फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 30 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 67 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। बता दें कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 22 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
दूसरी तरफ संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से 25 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इनकी संख्या में कल से 9.4 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं दूसरी तरफ खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में करीब 31 फीसदी की गिरावट आई है, जोकि राहत की खबर है। बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में भी कल से 25 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं गंभीर वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो उनकी गिनती में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 218 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में बहादुरगढ़ (464) दूसरे जबकि दिल्ली (461) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 459 अंकों के साथ गाजियाबाद चौथे स्थान पर है। ग्रेटर नोएडा-बागपत में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 435 और 429 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
धारूहेड़ा (394) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में पानीपत (382), मेरठ (372) और मानेसर (356) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के पांच (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, बागपत, मेरठ) और हरियाणा के भी चार शहर (बहादुरगढ़, धारूहेड़ा, पानीपत, मानेसर) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि नोएडा, बहादुरगढ़, दिल्ली, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, बागपत, धारूहेड़ा, मेरठ, मानेसर, मुजफ्फरनगर, जींद, बल्लभगढ़, पंचगांव, तालचेर, गुरुग्राम, फतेहाबाद, चरखी दादरी, भुवनेश्वर, खुर्जा, ग्वालियर, सोनीपत, सिंगरौली, कटक, बालासोर, मंडीखेड़ा, बुलंदशहर, कुरुक्षेत्र, वाराणसी, बारबिल, कटनी, विशाखापत्तनम, अंगुल, पिंपरी-चिंचवाड़, नागौर, बद्दी, गुम्मिडीपूंडी, समस्तीपुर, आगरा, फरीदाबाद, हल्दिया, नारनौल, पुणे, लखनऊ, हावड़ा, पलवल, यमुना नगर, प्रयागराज, कानपुर, आसनसोल, बक्सर, धौलपुर, पाली, चित्तूर, बारीपदा, जोधपुर, जलगांव, भरतपुर, बिहार शरीफ, कोटा आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं पानीपत, भिवाड़ी, मंडीदीप, कल्याण, किशनगंज, श्री गंगानगर, टोंक, चूरू, सीकर, बीकानेर, औरंगाबाद (बिहार), जैसलमेर, जालोर, झुंझुनू, चंद्रपुर, धनबाद, पटियाला, अजमेर, सांगली, गया, भिवंडी, बदलापुर, बोइसर, अमृतसर, अंकलेश्वर, रायरंगपुर, खन्ना, सवाई माधोपुर, फिरोजाबाद, लुधियाना, अलवर, ठाणे, मैहर, महाद, मीरा-भायंदर, टेन्सा, ब्रजराजनगर, मालेगांव, नांदेड़, रतलाम, जालंधर, नासिक, जलना, सोलापुर, बिलासपुर, बाड़मेर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है।
इन शहरों के विपरीत देश के तीन फीसदी यानी महज सात शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में आइजोल, चामराजनगर, दमोह, कुंजेमुरा, मदिकेरी, शिलांग, तिरुनेलवेली आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन 70 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें चेन्नई, छाल, छपरा, कुड्डालोर, देवास, धारवाड़, गांधीनगर, गोरखपुर, हुबली, हैदराबाद, इंदौर, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, करूर, काशीपुर, क्योंझर, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, लातूर, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मंगुराहा, मोतिहारी, मुंगेर, मैसूर, ऊटी, पेरुंदुरई, प्रतापगढ़, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, राजसमंद, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सहरसा, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 106 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अंबाला, अमृतसर, अंकलेश्वर, अररिया, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), बदलापुर, बारां, बारीपदा, बाड़मेर, बैरकपुर, बेंगलुरु, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भिवानी, भोपाल, बिहार शरीफ, बीकानेर, बिलासपुर, बोइसर, ब्रजराजनगर, बूंदी, बक्सर, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चूरू, कोयंबटूर, दौसा, देहरादून, धनबाद, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गया, गुवाहाटी, हाजीपुर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जलना, जालोर, झालावाड़, झुंझुनू, जोधपुर, कैथल, कानपुर, करौली, करनाल, खन्ना, कोल्हापुर, कोलकाता, कोटा, लुधियाना, महाद, मैहर, मालेगांव, मंगलौर, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुजफ्फरपुर, नागांव, नागपुर, नाहरलागुन, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पंचकुला, परभनी, पटियाला, पटना, पीथमपुर, प्रयागराज, रायपुर, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, रतलाम, राउरकेला, सागर, सांगली, सवाई माधोपुर, सीकर, सोलापुर, श्री गंगानगर, टेन्सा, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, तिरुमाला, टोंक, उदयपुर, उल्हासनगर, विरार, वृंदावन शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 36 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में आगरा, अंगुल, बद्दी, बालासोर, बारबिल, भुवनेश्वर, बुलंदशहर, चरखी दादरी, कटक, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुम्मिडीपूंडी, गुरुग्राम, ग्वालियर, हल्दिया, हावड़ा, कल्याण, कटनी, खुर्जा, किशनगंज, कुरुक्षेत्र, लखनऊ, मंडीदीप, मंडीखेड़ा, नागौर, नारनौल, पलवल, पिंपरी-चिंचवाड़, पुणे, समस्तीपुर, सिंगरौली, सोनीपत, तालचेर, वाराणसी, विशाखापत्तनम, यमुना नगर शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के नौ शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बल्लभगढ़, भिवाड़ी, धारूहेड़ा, जींद, मानेसर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, पंचगांव, पानीपत शामिल हैं। वहीं छह शहरों बागपत, बहादुरगढ़, दिल्ली, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, नोएडा में स्थिति गंभीर बनी हुई है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 234 में से महज सात शहरों में हवा 'बेहतर' है। 70 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 13 दिसंबर 2025 को यह आंकड़ा 56 दर्ज किया गया था।
106 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज नोएडा (466) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 470 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल से नोएडा में प्रदूषण के स्तर में 11 अंकों का उछाल आया है। नोएडा में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।
गौरतलब है कि कल भी देश में नोएडा की हवा सबसे ज्यादा खराब थी, जब एक्यूआई बढ़कर 455 तक पहुंच गया था। राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में अच्छा खासा इजाफा हुआ है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 461 पर पहुंच गया।
इसी तरफ फरीदाबाद में कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां चार अंकों के उछाल के साथ एक्यूआई बढ़कर 218 रिकॉर्ड किया गया। मतलब की फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता आज भी खराब श्रेणी में बनी हुई है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 14 दिसंबर को गाजियाबाद चौथे स्थान पर है, वहीं बहादुरगढ़ (464) दूसरे, जबकि दिल्ली (461) तीसरे स्थान पर है। अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 280, गाजियाबाद में 459, गुवाहाटी में 137, गुरूग्राम में 291, नोएडा में 466, ग्रेटर नोएडा में 435 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 131 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 213, चेन्नई में 97, चंडीगढ़ में 106, हैदराबाद में 98, जयपुर में 165 और पटना में 160 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन सात शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, चामराजनगर, दमोह, कुंजेमुरा, मदिकेरी, शिलांग, तिरुनेलवेली शामिल हैं।
वहीं अगरतला, अहमदनगर, अकोला, अमरावती (महाराष्ट्र), अनंतपुर, अरियालुर, आरा, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बांसवाड़ा, बरेली, बेगूसराय, बेलापुर, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, चेन्नई, छाल, छपरा, कुड्डालोर, देवास, धारवाड़, गांधीनगर, गोरखपुर, हुबली, हैदराबाद, इंदौर, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, करूर, काशीपुर, क्योंझर, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, लातूर, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मंगुराहा, मोतिहारी, मुंगेर, मैसूर, ऊटी, पेरुंदुरई, प्रतापगढ़, पुडुचेरी, पुडुकोट्टई, पूर्णिया, राजसमंद, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सहरसा, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, सिवान, सुआकाती, सूरत, तंजावुर, थूथुकुडी, तिरुपति, वापी, वातवा, विजयवाड़ा, यादगीर आदि 70 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
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गैस चैंबर बनी दिल्ली: दर्ज हुआ साल का सबसे प्रदूषित दिन, नोएडा में 455 तक पहुंचा एक्यूआई