
आंकड़ों के अनुसार, देश के 48 फीसदी शहरों में वायु गुणवत्ता चिंताजनक है, जिसमें गाजियाबाद सबसे प्रदूषित है।
गाजियाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 306 है, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में आता है।
वहीं, शिलांग की हवा सबसे साफ है।
देश में साफ हवा वाले शहरों की संख्या में 33.3 फीसदी की गिरावट आई है।
रुझानों से पता चला है कि आज जहां देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 33.3 फीसदी की गिरावट आई है।
सन्तोषजनक हवा वाले शहरों में भी संख्या में एक फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। दूसरी तरह मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में दो फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है।
चिंता की बात यह भी है कि देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 39 फीसदी का इजाफा हुआ है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 17 अक्टूबर 2025 को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि देश के जहां महज 12 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं करीब 40 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 48 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज हवा चिंताजनक है। चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में अच्छी-खासी गिरावट आई है।
रुझानों से पता चला है कि आज जहां देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 33.3 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं सन्तोषजनक हवा वाले शहरों में भी संख्या में एक फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। दूसरी तरह मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में दो फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है।
चिंता की बात यह भी है कि देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब 39 फीसदी का इजाफा हुआ है। कहीं न कहीं देश की हवा में मानसून के जाने और त्यौहारों की धमक साफ तौर पर दिखने लगी है।
आज एक बार फिर प्रदूषण के मामले में गाजियाबाद की स्थिति सबसे खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 306 दर्ज किया गया। मतलब की वहां वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में है। इस दौरान वहां की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी रहे। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना अधिक है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
गाजियाबाद में प्रदूषण से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 1,940 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि कल गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता का स्तर 307 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में एक अंक की मामूली गिरावट आई है।
दूसरी तरफ आज देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 17 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर गाजियाबाद की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 17 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 254 पर पहुंच गया। वहीं फरीदाबाद की बात करें तो कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जिसके बाद सूचकांक 105 पर पहुंच गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि आज प्रदूषण के मामले में रोहतक (287) दूसरे जबकि हनुमानगढ़ (278) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 278 अंकों के साथ मानेसर चौथे स्थान पर है। नोएडा-गुरूग्राम में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 278 और 266 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज हापुड (265) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में आज बल्लभगढ़ (254), दिल्ली (254) और ग्रेटर नोएडा (246) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के चार शहर (गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और हापुड) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आज जहां गाजियाबाद, रोहतक, हनुमानगढ़, मानेसर, नोएडा, गुरूग्राम, हापुड, बल्लभगढ़, ग्रेटर नोएडा, पानीपत, पीथमपुर, धारूहेड़ा, भिवाड़ी, नागपुर, नंदेसरी, मेरठ, फतेहाबाद, बुलन्दशहर, भोपाल, बागपत आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी है।
वहीं दिल्ली, खुर्जा, बीकानेर, बहादुरगढ़, सीकर, श्री गंगानगर, जालौर, चुरू, नागौर, वातवा, मुरादाबाद, झुंझुनूं, धौलपुर, तालचेर, सिंगरौली, वाराणसी, बद्दी, रतलाम, अहमदनगर, जालंधर, बिलीपाड़ा, बाड़मेर, बूंदी, बैरकपुर, चंद्रपुर, कटक, कटनी, उदयपुर, मोतिहारी, राजमहेंद्रवरम, लुधियाना, पाली, अमरावती (आंध्रप्रदेश), दौसा, क्योंझर, पटियाला, गया, बिलासपुर, परभनी, रायरंगपुर, बालासोर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत आज देश के 11.7 फीसदी यानी 28 शहरों में हवा साफ है।
इन साफ हवा वाले शहरों में गंगटोक, हावेरी, हुबली, कैथल, कलबुर्गी, कारवार, कोरबा, मदिकेरी, मैसूर, नाहरलगुन, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, रामनगर, शिलांग, शिवमोगा, शिवसागर, तिरुमाला, उल्हासनगर आदि शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 33.3 फीसदी की गिरावट आई है। इसी तरह संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में एक फीसदी की कमी दर्ज की गई।
आज देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें अम्बाला, अमृतसर, अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, आरा, औरंगाबाद (बिहार), बांसवाड़ा, बारबिल, बरेली, बारीपदा, बठिंडा, बेगूसराय, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, बिहार शरीफ, बोईसर, ब्रजराजनगर, बक्सर, बर्नीहाट, छपरा, चित्तूर, दमोह, देहरादून, धारवाड़, धुले, दुर्गापुर, एलूर, गांधीनगर, गुवाहाटी, हैदराबाद, जैसलमेर, जलगांव, जलना, झांसी, कडपा, कल्याण, करौली, कोहिमा, कोल्हापुर, कुंजेमुरा, लातूर, महाड, मैहर, मालेगांव, मांडीखेड़ा, मंगुराहा, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुंबई, मुंगेर आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 89 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन आगरा, अहमदाबाद, अहमदनगर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अमरावती (महाराष्ट्र), अंगुल, आसनसोल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बालासोर, बारां, बाड़मेर, बैरकपुर, भुवनेश्वर, बिलासपुर, बिलीपाड़ा, बूंदी, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, छाल, चित्तौड़गढ़, चुरू, कोयंबटूर, कटक, दौसा, देवास, धनबाद, धौलपुर, डूंगरपुर, फरीदाबाद, फिरोजाबाद, गया, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जालंधर, जालौर, झालावाड़, झुंझुनूं, जींद, जोधपुर, कानपुर, करनाल, काशीपुर, कटनी, क्योंझर, खन्ना, किशनगंज, कोलकाता, कोटा, कुरूक्षेत्र, लखनऊ, लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीदीप, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुजफ्फरनगर, नागौर, पाली, पंचकुला, परभनी, पटियाला, पटना, प्रयागराज, पूर्णिया, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, रतलाम, रूपनगर, सागर, सवाई माधोपुर, सीकर, सिंगरौली, सिवान, श्री गंगानगर, तालचेर, टोंक, उदयपुर, वापी, वाराणसी, वातवा, विशाखापत्तनम शामिल हैं।
कल से तुलना करें तो देश में मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में दो फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है। आज देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में करीब 39 फीसदी का इजाफा हुआ है, जोकि चिंता का विषय है।
आज देश के जिन 25 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है, उनमें बागपत, बहादुरगढ़, बल्लभगढ़, भरतपुर, भिवाड़ी, भोपाल, बीकानेर, बुलन्दशहर, दिल्ली, धारूहेड़ा, फतेहाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, हनुमानगढ़, हापुड, हावड़ा, खुर्जा, मानेसर, मेरठ, नागपुर, नंदेसरी, नोएडा, पानीपत, पीथमपुर, रोहतक शामिल हैं।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 238 में से 28 शहरों (-33.3 फीसदी) में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) है। 95 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 16 अक्टूबर 2025 को यह आंकड़ा 96 दर्ज किया गया था।
89 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में गाजियाबाद (306) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 310 के करीब पहुंच गया। कल गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 307 रिकॉर्ड किया गया था।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। दिल्ली में 9 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 254 पर पहुंच गया है। हालांकि दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। वहीं आज फरीदाबाद में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है, जिसके बाद एक्यूआई 105 पर पहुंच गया है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में आज मानेसर चौथे स्थान पर है, वहीं रोहतक (287) दूसरे, जबकि हनुमानगढ़ (278) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 144, गाजियाबाद में 306, गुवाहाटी में 72, गुरूग्राम में 266, नोएडा में 278, ग्रेटर नोएडा में 246 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 88 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 160, चेन्नई में 50, चंडीगढ़ में 123, हैदराबाद में 96, जयपुर में 173 और पटना में 106 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन 28 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अगरतला, बदलापुर, बागलकोट, भिवंडी, भिवानी, चामराजनगर, चेन्नई, चिक्कामगलुरु, दावनगेरे, गंगटोक, हावेरी, हुबली, कैथल, कलबुर्गी, कारवार, कोरबा, मदिकेरी, मैसूर, नाहरलगुन, पेरुंदुरई, पुदुचेरी, रामनगर, शिलांग, शिवमोगा, शिवसागर, तिरुमाला, उल्हासनगर, विजयपुरा शामिल हैं।
वहीं अजमेर, अकोला, अलवर, अम्बाला, अमृतसर, अनंतपुर, अंकलेश्वर, अररिया, आरा, औरंगाबाद (बिहार), बांसवाड़ा, बारबिल, बरेली, बारीपदा, बठिंडा, बेगूसराय, बेलापुर, बेंगलुरु, बेतिया, भागलपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, बिहार शरीफ, बोईसर, ब्रजराजनगर, बक्सर, बर्नीहाट, छपरा, चित्तूर, दमोह, देहरादून, धारवाड़, धुले, दुर्गापुर, एलूर, गांधीनगर, गुवाहाटी, हैदराबाद, जैसलमेर, जलगांव, जलना, झांसी, कडपा, कल्याण, करौली, कोहिमा, कोल्हापुर, कुंजेमुरा, लातूर, महाड, मैहर, मालेगांव, मांडीखेड़ा, मंगुराहा, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नगांव, नलबाड़ी, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, पलवल, पंचगांव, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, पुणे, रायपुर, राजगीर, राजसमंद, ऋषिकेश, राउरकेला, समस्तीपुर, सांगली, सासाराम, सतना, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, सिरसा, सोलापुर, सूरत, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, तिरुपुर, तुमिडीह, विजयवाड़ा, वृंदावन, यादगीर आदि 95 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।